दिल्ली पुलिस हाउसिंग निगम द्वारा किए गए आडिट में खुलासा हुआ की दिल्ली पुलिस में लगभग 200 करोड़ का घोटाला इसलिए हुआ की दिल्ली पुलिस के जिलों में तैनात थानों ने अपने डीसीपी के स्तर पर प्रोफेशनल कार्य के लिए बहत में आवंटित 150 करोड़ की जगह छोटे मोटे कार्य को कराकर,जैसे रंग पुताई आफिस और घरों में कराकर झूठे बिल अपने जाने माने ठेकदारों से बना कर 200 रुपए ऐट लिए । सूत्रों से पता लगा की पुलिस के सभी जिले व यूनिटों ने अपने-अपने ठेकेदार तय कर रखे हैं। वे उन्हीं से जिले व यूनिटों में मेनटेनेंस का काम कराते हैं। दरअसल इसके पीछे मोटे कमीशन का खेल चलता है। इस तरह का काम सालों से चलता आ रहा है। दरअसल जिले व यूनिटों के डीसीपी अपने मन माफिक मेंटेनेंस का काम करवा फर्जी बिल तैयार कर सीधे प्लानिंग एंड फाइनेंस डिवीजन व फाइनेंस मैनेजमेंट डिवीजन को भेजकर पैसे प्राप्त कर लेते हैं।
दिल्ली पुलिस में वरिष्ठता के हिसाब से बिल के अमाउंट की स्वीकृति देने का प्रविधान है, लेकिन डीसीपी उनसे स्वीकृति नहीं लेते हैं। इसके पीछे भी मूल वजह कमीशन का खेल है। विभाग के पास डीसीपी द्वारा किए गए खर्चो की जांच करने की अब तक कोई व्यवस्था नहीं थी।
पूर्व आयुक्त राकेश अस्थाना ने इसे समझ कर दिल्ली पुलिस के थानों व आवासीय कालोनियों के निर्माण व मरम्मत कराने का काम विभाग द्वारा ही कराने का निर्णय लिया और दिल्ली पुलिस हाउसिंग निगम बनाया। पर जिलों में डीसीपी के खासम खास ठेकेदारों ने निगम को कई माह तक काम ही करने नहीं दिया था। और अब निगम ने उनकी पोल खोली तो तहलका मच गया।
पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने जांच के आदेश दे दिए ।पुलिस आयुक्त ने आदेश दिया था कि काेई भी डीसीपी माइनर वर्क नहीं कराएंगा। पर उसके बाद भी डीसीपी और थाने काम करवाते रहे और बिल बनवाते रहे और अब कहा जा रहा है ये घोटाला 350 करोड़ का है।
आयुक्त के निर्देश पर प्रोविजन एंड फाइनेंस डिविजन के विशेष आयुक्त लालतेंदू मोहंती ने जिले व विभिन्न यूनिटों में तैनात 40 डीसीपी व एडिशनल डीसीपी से खर्चों का पूरा ब्योरा पेश करने को कहा है। घोटाले के इस मामले ने पुलिस विभाग में खलबली मचा दी है।
आयुक्त के आदेशों के बावजूद माइनर वर्क कराना जिला व यूनिट के डीसीपी को महंगा पड़ सकता है। आयुक्त ने मामले में तमाम शिकायतें मिलने के बाद चार सदस्यीय कमेटी बनाकर जांच के आदेश दिए हैं। कमेटी ने सभी डीसीपी से रिपोर्ट तलब की है।
अब,इसके बाद पुलिस आयुूक्त ने अतिरिक्त पुलिस आयुक्त(साधान प्रशासन) पीके मिश्रा की देखरेख में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त असलम खान, दिल्ली पुलिस हाउसिंग कोरपोरेशन के पुलिस उपायुक्त आलाप पटेल और एग्जीक्यूटीव इंजीनियर समेत चार सदस्य कमेटी बनाई है। कमेटी को जांच में पता लगा है कि कई यूनिट व जिलों में मना करने के बावजूद माइनर वर्क हुआ है। इसके बाद कमेटी ने सभी डीसीपी से जल्द से जल्द रिपोर्ट मांगी है। जैसे, नई दिल्ली जिला पुलिस उपायुक्त कार्यालय में पांच महीने में 18 करोड़ रुपये का काम हुआ है। इस काम को लेकर पुलिस की वित्तीय सलाहकार ने सवाल उठाए दिए है। वित्तीय सलाहकार ने ट्रैफिक पुलिस को पत्र लिखकर जवाब है कि जब आपका बजट इतना है ही नहीं तो उन्होंने कैसे 18 करोड़ खर्च कर दिए। बताया जा रहा है कि जिस ठेकेदार ने ये काम किया वह इस काम के लिए अधिकृत नहीं था। पेमेंट मांग रहे है तो काम किसके आदेश से करवाया है। जब पुलिस आयुक्त मना किया तो कैसे काम करवा लिया। माइनर वर्क कितना हुआ है और उसकी जिम्मेदारी किसकी है। काम करवाने का वर्क आर्डर भी मांगा गया है। जो माइनर वर्क करवाया है तो वह किसके कहने पर करवाया गया है। माइनर वर्क का वेरीफिकेशन।
जो काम करवाया है उसकी फोटो। कमेटी ने डीसीपी से ये जानकारियां मांगीं।
कमेटी के मुख्य अतिरिक्त पुलिस आयुक्त पीके मिश्रा ने बताया कि अभी जांच की जा रही है। अभी सभी जिलों ने कमेटी को रिपोर्ट नहीं भेजी है। रिपोर्ट आने के बाद ही पता लगेगा कि किस जिले ने कौन-कौन सा माइनर वर्क करवाया है। कुछ ही जिलों ने रिपोर्ट भेजी है ।
मगर अब इस पर राजनीति शुरू हो गई है दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल जी ने कहा कि इसकी जिम्मेदारी दिल्ली की लेफ्टिनेंट गवर्नर श्री विनय सक्सेना जी ले और प्रधानमंत्री को ट्वीट कर कर लिखा कि आपके नीचे आपकी पुलिस के द्वारा 350 करोड रुपए डकार दिए गए क्या अब आप कोई सीबीआई ईडी की इंक्वारी करवाएंगे।
दिल्ली के मंत्री श्री सौरभ भारद्वाज ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली में दिल्ली पुलिस में 350 करोड़ का घोटाला हो गया मगर दिल्ली के गवर्नर साहब आंख बंद कर सो रहे हैं। उन्होंने आज तक किसी भी थाने का निरीक्षण नहीं किया जबकि वह हर जगह जाते रहते हैं। दिल्ली में शुक्रवार को साकेत कोर्ट के अंदर गोलियां चल गई कोटी अगर सुरक्षित नहीं है तो कौन सुरक्षित होगा। द्वारका में एक वकील को मार दिया गया और एक महिला का अपहरण हो गया। सीनियर सिटीजन की मौत, मोबाइल छीन लेना चेन छीन लेना पैसे डकार लेना यह सब अपराध खुलकर दिल्ली में हो रहे हैं परंतु पुलिस नाकाम है और इतने बड़े घोटाले की जिम्मेवारी श्री विनय सक्सेना जी को लेना चाहिए क्योंकि उनकी देखरेख में इतना बड़ा घोटाला हुआ है।
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