मोदी 3.0 सरकारने बहुमत नहीं होके भी अपने ही पुराने लोगो को मलाई दार मंत्रालय दे,एनडीये की सहयोगीओ को अंगूठा दिखाया।पर्दे के पीछे इसका क्या राज है ? क्या सरकार को कोई खतरा है ? कौन से और मुद्दे जिन पर विवाद हो सकता है ? क्या मोदी जी को झुकना पड़ेगा या फिर वो मनमर्जी से अपना एजेंडा चला लेंगे ? इस बार के लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम ने किसी को भी बहुमत का आंकड़ा नहीं दिया है,बीजेपी को अकेले 240 संसद सदस्य दिए और इंडिया ब्लॉक को 230 सांसद मिले । चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट जनादेश नहीं मिला है। हालांकि, सहयोगी दलों के समर्थन से एनडीए की सरकार बनने जा रही है। एनडीए की यह लगातार तीसरी बार सरकार बनेगी भले ही उसको नाम के रूप में मोदी की सरकार माना जा रहा है। एनडीए ने 293 सीटों पर जीत दर्ज की है। नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली और एनडीए में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि चंद्रबाबू नायडू के पास 16 मेंबर ऑफ पार्लियामेंट हैं और दो पवन कल्याण के जनसेना के हैं तथा नीतीश कुमार जी के पास 12 नए सांसद हैं। इस तरह से एक साथ 30 संसद चले जाने से मोदी सरकार को कभी भी खतरा हो सकता है। एनडीए की सरकार बनने के बाद नरेंद्र मोदी को इस बार चुनौतियों को सामना करना पड़ सकता है। मगर जिस तरह से मोदी जी ने अपनी कैबिनेट को सजाया है और अपने ही लोगों को सिर्फ बड़े विभाग के कैबिनेट मिनिस्टर के रूप में या फिर राज्य मंत्री के रूप में या फिर स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्रियों के रूप में मंत्री पद बांट दिए है और और तो और 16 सांसद वाली नायडू की पार्टी को दो ही पद दिए हैं उसमें से एक कैबिनेट पोस्ट तो बिना किसी जहाज के सिविल एविएशन का है। इस तरह नीतीश की पार्टी को सिर्फ एक केबिनेट पोस्ट और एक राज्यमंत्री बनाया और शिवसेना शिंदे के एक व्यक्ति को स्वतंत्र प्रभार का मंत्री बनाया और अजीत पवार गुटका तो कोई भी मंत्री नहीं बनाया। परंतु मोदी जी का प्रभाव इतना तेज है कि किसी ने कोई आवाज तक नहीं उठाई और किसी ने कोई आवाज उठाई तो उनके नेताओं ने इस आवाज को दबा दी। काफी अनुभवी तथा सरकार पलटने में माहिर या फिर दल बदल करने में माहिर राजनीतिज्ञ श्री नायडू या नीतीश कुमार जी या शिंदे जी का चुप रहना यह इंगित करता है कि कोई बड़ी डील हो गई है। या तो पैसों का खेल हो गया है या फिर बिहार तथा आंध्र को विशिष्ट आर्थिक पैकेज के रूप में करोड़ों रुपया देना तय हो गया है,ये बात की चर्चा आम लोगो में पूरे जोर से हो रही है। शिंदे जी और नीतीश तो मुख्यमंत्री बीजेपी के कारण ही बने हुए हैं इसलिए भी इसका कोई विरोध नहीं दिख रहा है। ऐसा दबी जबान में कहा जा रहा है कि एनडीए के सहयोगी दलों का दबाव है कि सरकार एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर चले और बीजेपी के मुद्दों को इसमें शामिल न किया जाए। सभी सहयोगी दलों की सहमति से एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाया जाएगा ताकि सरकार सुचारू रूप से आगे काम कर सके। जानिए वो कौन से पांच मुद्दे हैं, जिन पर नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में पेंच फंस सकता है।तीसरे कार्यकाल में नरेंद्र मोदी जिस मुद्दे पर काम करना चाहते थे, उसमें इन मामले में फंस सकता पेंच जो की निम्न लिखित हैं:——एनडीए के सहयोगी दलों का दबाव है कि सरकार एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर चले और बीजेपी के मुद्दों को इसमें शामिल न किया जाए। सभी सहयोगी दलों की सहमति से एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाया जाएगा ताकि सरकार सुचारू रूप से आगे काम कर सके। जानिए वो कौन से सात मुद्दे हैं, जिन पर नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में पेंच फंस सकता है।1.सीएए और एनआरसीसीएए और एनआरसी बीजेपी का प्रमुख मुद्दा रहा है। लेकिन विपक्ष शुरू से ही लगातार सीएए और एनआरसी का विरोध करता रहा है। यह तब की बात है जब विपक्ष में सांसदों की संख्या बहुत कम थी। लेकिन इस बार विपक्ष के पास 234 सांसद हैं। इस बार और पुरजोर तरीके से इसका विरोध कर सकता है। यह मामला अब अटक सकता है।2.समान नागरिक संहितासमान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मकसद देश में मौजूद सभी नागरिकों के पर्सनल लॉ को एक समान बनाना है, जो बिना किसी धार्मिक, लैंगिक या जातीय भेदभाव के लागू होगा। विपक्ष ने इसका विरोध किया है। उनका कहना है कि सरकार ने यूसीसी का मुद्दा मुसलमानों को टारगेट करने के लिए उठाया है। इस मुद्दे पर भी अब पेंच फंस सकता है।3.अग्निवीर योजनाबीजेपी की अग्निवीर योजना विवादों में घिरी हुई है। विपक्ष ने इसका पुरजोर विरोध भी किया है। एनडीए की सहयोगी पार्टी जेडीयू ने भी हाल ही में कहा कि अग्निवीर योजना पर पुनर्विचार होना चाहिए। अन्य राजनीतिक दल भी इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इस पर पेंच फंसने की संभावना है। भले ही सरकार ने अब इसमें कुछ बदलाव लाने की चेष्टा आर्मी द्वारा ही कराई है।4.मुस्लिम आरक्षणमोदी सरकार शुरू से मुस्लिम आरक्षण के खिलाफ रही हैं। वहीं, आंध्र प्रदेश में टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू मुस्लिम को आरक्षण देने के पक्षधर रहे हैं। विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने कहा कि हम इसे जारी रखेंगे। वहीं, आंध्र प्रदेश में टीडीपी और बीजेपी का गठबंधन है। केंद्र में टीडीपी सहयोगी पार्टी है। इस मामले पर भी पेंच फंस सकता है। जबकि प्रधानमंत्री ने कॉल करके अपने भाषणों में कहा है कि वह कभी भी मुसलमान को आरक्षण नहीं देंगे और जिस तरह से कई राज्य पश्चिम बंगाल केरल बिहार में मुसलमानों को ओबीसी के आरक्षण को काटकर आरक्षण दिया गया है उसे समाप्त करेंगे जैसे ही कोलकाता हाई कोर्ट ने ममता बनर्जी द्वारा दिए गए मुसलमानों के आरक्षण को अभी खत्म कर दिया।5.जाति जनगणनाबीजेपी ने कभी जाति जनगणना की वकालत नहीं की। लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राहुल गांधी इसके पक्ष में रहे हैं। जाति जनगणना को लेकर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी से मुलाकात भी की थी। जदयू अब एनडीए की सहयोगी पार्टी है। इस मामले में अब पेंच फंस सकता है।6.मुस्लिम तुष्टिकरण के कानून: स्वतंत्र भारत में मुसलमानों के वोट पाने के लिए भले ही मुसलमान के उत्थान के लिए काम नहीं हुआ हो मगर उनके मौलानाओं और धर्मगुरुओं को संतुष्ट करने के लिए कई सारे कानून बना दिए गए जैसे मुसलमान को देश की सभी तरह की संपत्ति तथा जो साधन उपलब्ध होंगे उसे पर पहला अधिकार होगा। विशिष्ट पूजा स्थल कानून जो बाबरी मस्जिद के गिराने के बाद लाया गया जिसमें आप और किसी धार्मिक स्थल को बदला नहीं जा सकेगा जैसे मथुरा और काशी में बीजेपी चाह रही है।वक्फ बोर्ड कानून जिसके अंतर्गत वह किसी भी संपत्ति को अपने अधीन कर सकता है और उसका मालिक बन सकता है और उसकी सुनवाई भी वही कोर्ट करेगा। मुसलमान को सरिया कानून को मानते हुए तीन-चार औरतों के साथ शादी करना, तीन तलाक को व्यवहार कर तलाक दे देना और फिर तलाक के बाद मुआवजे के रूप में कुछ नहीं देना और फिर हलाला जैसी जघन्य प्रक्रिया करने के बाद पुनः शादी करना । माता-पिता की संपत्ति में अपने भाई से आधा हिस्सा कम मिलना।7. राजनीतिक विरोधियों पे आक्रमण: सीबीडी, ईडी ,इनकम टैक्स इत्यादि एजेंसी को लगाकर राजनीतिक विरोधियों को घेरना और फिर उनको कोर्ट को मैनेज कर जेल में भरना और बेल भी नहीं लेने देना। मोदी जी ने चुनाव में खुलकर के कहा है कि वह इस तरह की गतिविधियों को रोकेंगे नहीं इस तरह के जितने भी भ्रष्टाचारी हैं उन पर अपनी कार्रवाई जारी रखेंगे। अभी जिस तरह का माहौल चल रहा है और बिना किसी शर्त के मोदी जी को पूरा सहयोग इन दलों ने किया है इससे लगता है कि शायद इन बातों पर भी यह दल कुछ नहीं करेंगे क्योंकि इनको जो मिलना है वह तो मिल गया जहां तक पैसे की बात हो तो फिर उससे बड़ी कोई बात नहीं हो सकती है। आखिर मंत्री पद पाकर भी तो पैसा ही कमाना है, इसलिए या तो दूसरे तरीकों से हजारों करोड़ों रुपया का भुगतान कर दिया गया है या फिर विशेष आर्थिक पैकेज के रूप में कर दिया जाएगा,ऐसी चर्चा जोरो पर है क्योंकि राजनीतिक के इन महारथियों को बिना इसके कोई चुप नहीं कर सकता,वो इस तरह से अपनी अनदेखी कर, मोदी जी के प्रशंसा के कसीदे नहीं पढ़ सकते हैं जैसा कि उन्होंने संसद के सेंट्रल हॉल में पढ़ा या फिर शपथ ग्रहण के समय में नायडू ने मोदी को गले लगा पीठ पे तापी लगवाई। मोदी जी सभी चीजों को संभालने में एक बहुत काबिल व्यक्ति साबित हुए है, अपने राजनीतिक घूर विरोधियों को उन्होंने जिस तरह से अपना दोस्त बनाया है,उसने आने वाले दिनों तक राजनीति में एक नया अध्याय विरोधियों को वश में करने का शुरू कर दिया है और इस तरह का स्पष्ट संदेश है कि मोदी जो चाहेंगे वह करेंगे वह तो शतरंज के ऐसे माहिर और चतुर खिलाड़ी हैं जो कि सामने बैठे खिलाड़ी की चाल को भी खुद ही संचालित करते हैं।
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