3 घंटे पहले
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अमर भिडे कोलम्बिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर
थॉमस एडिसन को अक्सर सबसे महान आविष्कारक माना जाता है, जबकि एडिसन की कंपनी में काम करने वाले निकोला टेस्ला को विरले ही याद किया जाता है। लेकिन ये टेस्ला ही थे, जिनकी अल्टरनेटिंग करंट (एसी) तकनीक ने बड़े पैमाने पर बिजलीकरण को सस्ता बनाया था। इसकी तुलना में एडिसन की डायरेक्ट करंट (डीसी) तकनीक महंगी थी और केवल अमीरों के लिए ही सुलभ होती।
क्या चीन के डीपसीक एआई मॉडल्स भी एआई की दुनिया में ऐसा ही क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं? और क्या अमेरिका को इन्हें एक गम्भीर खतरे के रूप में देखना चाहिए? जैसा कि कई परिवर्तनकारी तकनीकों के साथ होता है, एआई भी कई दशकों में विकसित हुआ है। ओपनएआई का चैटजीपीटी 2022 के अंत में अचानक ही नहीं आ गया था।
अलबत्ता उसने एआई को लेकर अभूतपूर्व उन्माद अवश्य रचा। बेहतर एल्गोरिदम, मोबाइल फोन जैसे सहायक टूल, और सस्ती लेकिन अधिक शक्तिशाली क्लाउड कंप्यूटिंग ने एआई तकनीक के उपयोग को व्यापक बनाया है। ट्रायल और एरर ने यह भी दिखाया कि एआई कहां पर मनुष्य के प्रयासों को मात दे सकता है और कहां नहीं।
चैटजीपीटी और अन्य लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स (एलएलएम) की जादुई कुशलता ने यह भ्रम रच दिया था कि जनरेटिव एआई तकनीक की दुनिया का एक ताजातरीन ब्रेक-थ्रू है। चैटजीपीटी के पास देखते ही देखते 30 करोड़ यूजर्स हो गए। मेटा, माइक्रोसॉफ्ट और अल्फाबेट, वर्चुअल और ऑग्मेंटेड रियलिटी के प्रति अपने शुरुआती उत्साह को भुलाकर एआई उत्पादों और डेटा सेंटरों में अरबों डॉलर उड़ेलने लगे।
इसकी किसी को परवाह नहीं थी कि नई एआई तकनीक यूजर्स को उतनी वैल्यू दे पा रही है या नहीं, जितने का इसमें निवेश किया जा रहा है। उम्मीद थी कि बड़े पैमाने पर डेटा सेंटर्स एआई की लागत को कम करेंगे और बढ़ते उपयोग से मॉडल और स्मार्ट बनेंगे। लेकिन इन एआई मॉडल्स की अपनी सीमाएं हैं।
ये पैटर्नों की पहचान और आंकड़ों के पूर्वानुमान जैसे पुराने एआई-मॉडल्स का ही उपयोग करते हैं। इसका मतलब है कि इनकी विश्वसनीयता इस पर निर्भर करती है कि भविष्य अतीत जैसा होगा। मनुष्य ऐतिहासिक साक्ष्यों की कल्पनाशील व्याख्या कर सकते हैं और भविष्य की सम्भावनाओं का अनुमान लगा सकते हैं। लेकिन एआई एल्गोरिदम ऐसा नहीं कर सकते।
एआई मॉडल्स को अपनी विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए स्पष्ट फीडबैक की जरूरत होती है। अगर फीडबैक अस्पष्ट हों, तब भी वे मनुष्यों के निर्णय की तुलना में अधिक किफायती हो सकते हैं। जैसे कि गूगल या मेटा के एल्गोरिदम द्वारा दिखाए गए विज्ञापन भले ही बेतरतीब हों, लेकिन अज्ञात कंज्यूमर तक धुआंधार विज्ञापन पहुंचाने से वे फिर भी बेहतर हैं।
बहरहाल, डीपसीक के दावों ने बाजार में हलचल मचा दी है। उसका कहना है कि उसने ओपनएआई और गूगल जैसी एआई परफॉर्मेंस को कम लागत ले एनवीडिया चिप्स के साथ हासिल किया है। अगर यह सच है, तो उच्च-स्तरीय एआई चिप्स की मांग उम्मीद से कम हो सकती है।
यही कारण है कि डीपसीक ने एनवीडिया के मार्केट कैप में एक ही दिन में लगभग 600 अरब डॉलर की सेंध लगा दी। अन्य सेमीकंडक्टर कंपनियों और डेटा सेंटर में निवेश करने वालों के शेयरों पर भी असर पड़ा। लेकिन डीपसीक के दावे गलत भी साबित हो सकते हैं।
टेस्ला के आविष्कारों के दावे भी कई बार बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए गए थे। लेकिन कम लागत वाले इनोवेशन जरूर परिवर्तनकारी हो सकते हैं। डीपसीक अगर सफल होता है तो वह एलएलएम के लिए वही कर सकता है, जो टेस्ला की एसी खोजों ने बिजलीकरण के लिए किया था। एलएलएम मॉडल्स विकसित करने वालों को अब बड़े ऑपरेटर्स की सब्सिडी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। कम खपत वाले मॉडल्स डेटा सेंटर्स की मांग को भी कम कर सकते हैं।
और जहां तक इसमें निहित भू-राजनीति का सवाल है तो पिछले साल अमेरिका में एआई सम्बंधी एक रिपोर्ट में चीन से प्रतिस्पर्धा के लिए सालाना 32 अरब डॉलर के ‘आपातकालीन’ खर्च की मांग की गई थी। ट्रम्प का मानना है यह अमेरिकी उद्योगों के लिए ‘खतरे की घंटी’ है।
उन्होंने चीन से सेमीकंडक्टर आयात पर नए टैरिफ लगाने की बात कही है। लेकिन विदेशियों की तरक्की को अपनी घरेलू-सुरक्षा के लिए खतरा समझना एक गलत सोच कहलाती है। वैसे भी किसी भी तकनीक का अपने में कोई महत्व तब तक नहीं होता, जब तक कि उसकी मदद से यूजर्स के काम के उत्पाद नहीं विकसित किए जाते।
विदेशियों की तरक्की को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा समझना गलत सोच कहलाती है। वैसे भी किसी तकनीक का कोई महत्व तब तक नहीं होता, जब तक कि उसकी मदद से यूजर्स के काम के उत्पाद नहीं विकसित किए जाते।
(© प्रोजेक्ट सिंडिकेट)