आंवला खाने से बाल काले हुए, उम्र भी रुक गई:  त्रिफला से 56 फायदे, आयुष मंत्रालय के सलाहकार ने किया आयुर्वेदिक रिसर्च का खुलासा – Madhya Pradesh News
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आंवला खाने से बाल काले हुए, उम्र भी रुक गई: त्रिफला से 56 फायदे, आयुष मंत्रालय के सलाहकार ने किया आयुर्वेदिक रिसर्च का खुलासा – Madhya Pradesh News

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लोग समझते हैं कि आयुर्वेद का ट्रीटमेंट तार्किक नहीं है, लेकिन ऐसा नहीं है। हम इसका वैज्ञानिक परीक्षण करा रहे हैं कि कौन सी आयुर्वेदिक दवा कैसे काम करती है। जैसे आंवला खा लिया तो बाल काले हो गए, पेट भी साफ हो गया, स्किन भी अच्छी हो गई, उम्र भी रुक गई…

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ये खुलासा आयुष मंत्रालय के सलाहकार डॉ. मनोज नेसरी ने दैनिक भास्कर ने विशेष बातचीत में की। वे भोपाल में पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेदिक संस्थान में आयुर्वेद पर्व में शामिल होने आए थे। उन्होंने आयुर्वेद और इससे जुड़े रिसर्च पर कई बातें कहीं।

आयुष मंत्रालय के सलाहकार डॉ. मनोज नेसरी।

आयुष मंत्रालय के सलाहकार डॉ. मनोज नेसरी।

पढ़िए विस्तृत बातचीत…

डॉ. मनोज ने बताते हैं कि प्रकृति का कांसेप्ट यह है कि हर व्यक्ति की अलग–अलग प्रकृति होती है। मोटे तौर पर हम कह सकते हैं, किसी को ठंड ज्यादा लगती है तो किसी को गर्मी, इसी प्रकृति या तासीर को हमने जीनोम के साथ जोड़ा तो पता लगा कि अलग–अलग प्रकृति के व्यक्ति का एक खास जीन पैटर्न होता है जो हमें रिसर्च में दिखाई दिया। तकनीक को साथ लेने से यह रास्ता मिल गया कि किसी रोग को नियंत्रण में लेना है किस जीन को क्या करना है। इसके लिए किसी जीन को हटाने या नष्ट करने की जरुरत नहीं…जैसे एक कमरे एक बार गड़बड़ी करने वाले की पहचान हो जाए तो हम जानते हैं कि केवल उसे एक जगह बैठाकर शांति कायम की जा सकती है।

आयुर्वेदिक चिकित्सकों को तकनीक से जोड़ने का कदम

डाॅ. मनोज ने बताया कि आयुर्वेद को तकनीक से जोड़ने के लिए हम दो कदम उठा रहे हैं, इसके तहत आयुर्वेदिक चिकित्सक को देश के नामी तकनीकी संस्थान में भेजकर तकनीक और उसके उपयोग पर एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिलवाते हैं जैसे नैनो टेक्नोलाॅजी है, जीनोम क्या है? इसका उपयोग क्या है? इससे तकनीक से परिचय होता है आयुर्वेद में कैसे उपयोग किया जा सकता है यह पता चल सकता है।

एप से कर रहे प्रकृति परीक्षण

डाॅ. मनोज ने बताया कि बीमारियाें को यंत्रों से पहचानना अर्थात परीक्षण या टेस्ट बेहद महंगा काम होता है। न केवल टेस्ट महंगे होते हैं बल्कि बीमारी होने के बाद उनका उपचार आर्थिक रूप से बेहद भारी होता है। “ स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणं…” आयुर्वेद का मुख्य लक्ष्य है। डब्ल्यूएचओ भी इसी पर काम कर रहा है। ऐसे में हमने नागरिकों को बीमार होने से रोकने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत आयुष मंत्रालय देश के नागरिकों का प्रकृति परीक्षण अर्थात उनकी वात–पित्त और कफ के संतुलन का पता लगा रहा है।

देशवासियों का परीक्षण मतलब एक चौथाई विश्व की प्रकृति मापना

नेसरी ने बताया कि, इस वर्ष हमने लक्ष्य रख है कि जितने भी पैरामिलेट्री फोर्स है, जैसे बीएसएफ, सीआरपीएफ उनका परीक्षण 31 जनवरी तक पूरा हो जाएगा। देश के 150 करोड़ लोगों का परीक्षण करना यह बेहद बड़ी बात होगी। हम कह सकते हैं कि एक चौथाई विश्व भारत में लेकिन हम पहला कदम उठा चुके हैं ऐसे में उम्मीद है कि हम तेजी से आगे बढ़ेंगे।

ऐसे कर सकते हैं अपना प्रकृति परीक्षण

देश के अलग–अलग राज्यों में नागरिकों के प्रकृति परीक्षण का कार्य किया जा रहा है। अपनी प्रकृति का पता लगाने और भविष्य की तैयारी के लिए प्रकृति परीक्षण एप डाउनलोड करें। इसमें मोबाइल नंबर रजिस्टर करने के बाद सामान्य जानकारियां मांगी जाती है। इसके बाद आयुष मंत्रालय के अलग–अलग आयुर्वेदिक चिकित्सक आपके बारे में जानने के लिए सवाल करते हैं। व्यक्ति की पसंद–नापसंद, आदतों, लक्षण, गुण–दोष की जानकारी लेकर करीब 20 मिनट में प्रकृति पता कर ली जाती है। इसके बाद व्यक्ति को बताया जाता है कि,

बीमारी की वापसी पर कर रहे काम

वैज्ञानिक डीन आर्निश ने पेपर पब्लिश किया और उसने दिखा दिया कि बीमारियों को वापस लौटाना संभव है। जैसे पहले माना जाता था कि हार्ट की बीमार है तो …है…। ऐसे ही डायबिटीज है तो आजीवन दवा खानी ही पड़ेगी लेकिन ऐसी स्थितियों से बचा जा सकता है। जैसे हार्ट की बीमारी की बात करें तो आपके माता–पिता या किसी एक को यह बीमारी है या ऐसे कई कारक हैं जो बताते हैं कि आपको इस रोग का खतरा अधिक है तो आप 100 प्रतिशत ब्लाॅकेज का इंतजार नहीं करें। समय पर सतर्क होकर बचाव शुरू कर देंगे तो हदृय रोगी बनने से बच जाएंगे।

इसी तरह डायबिटीज है तो आशंका है कि माता–पिता को डायबिटीज है तो बेटे-बेटी को हो जाए। डायबिटीज में एचबीएनसी बढ़ने लगता है और आपको पता चलने लगता है कि आप प्रीडायबिटिक हैं तो आप इस चरण पर ही पूरी तरह सतर्क हो जाएं। ऐसे नागरिक बीमारी के दायरे में ना आएं, आहार–विहार उपचार और अन्य सम्मलित कदमों से आप प्री डायबिटिक से हेल्थी स्टेट में आ सकते हैं। आपका एचबीएनसी 5.5 के नीचे आ सकता है। ऐसे में यदि शुरू से ही वैसा आहार विहार रखेंगे तो व्याधियां उत्पन्न ही नहीं होगी। इस तरह हम एक–एक बीमारी के प्रिवेंशन के लिए यह बड़ा कदम साबित होगा। इसी का प्रयास हम कर रहे हैं।



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