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6 घंटे पहले
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आज माघ मास की गुप्त नवरात्रि का पहला दिन है। ये नवरात्रि 6 फरवरी तक चलेगी। गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं के लिए साधना गुप्त रूप से की जाती है। ये साधनाएं बहुत कठिन होती हैं, इसीलिए इन्हें किसी विशेषज्ञ पंडित के मार्गदर्शन में करना चाहिए। नवरात्रि में सामान्य भक्तों को देवी दुर्गा की पूजा करनी चाहिए।
जानिए गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों में देवी पूजा कैसे कर सकते हैं…
देवी पूजा के लिए जरूरी चीजें
देवी मां की मूर्ति को स्नान के लिए तांबे का बर्तन, लोटा, दूध, मूर्ति को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र और आभूषण। चावल, कुमकुम, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, अष्टगंध, फूल, नारियल, फल, दूध, मिठाई, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर मिलाकर बनाएं), सूखे मेवे, शक्कर, पान, दक्षिणा।
देवी पूजा की सरल स्टेप्स |
गुप्त नवरात्रि में रोज सुबह स्नान के बाद घर के मंदिर में सबसे पहले गणेश पूजा करें। इसके बाद देवी पूजा का संकल्प करें। |
गणेश जी को स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें। फूल, चावल, दूर्वा, भोग गणेश जी को चढ़ाएं। |
गणेश पूजा के बाद देवी दुर्गा की पूजा शुरू करें। मूर्ति में माता दुर्गा का आवाहन करें, आवाहन यानी देवी मां को आमंत्रित करना। |
माता दुर्गा को आसन दें। अब माता दुर्गा को स्नान कराएं। स्नान पहले जल से फिर पंचामृत से और फिर जल से स्नान कराएं। |
दुर्गा जी को लाल वस्त्र, लाल चुनरी अर्पित करें। वस्त्रों के बाद आभूषण, हार चढ़ाएं। इत्र अर्पित करें। |
कुमकुम से तिलक लगाएं। धूप और दीप जलाएं। लाल फूल अर्पित करें। चावल चढ़ाएं। नारियल अर्पित करें। |
मिठाई का भोग लगाएं। आरती करें। आरती के बाद परिक्रमा करें। माता दुर्गा की पूजा में दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का जाप करें। पूजा में हुई गलतियों की क्षमा मांगे। |
इन मंत्रों का भी कर सकते हैं जप
सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्येत्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तु ते।।
ऊँ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
इन मंत्रों के अलावा दुर्गा सप्तशती का पाठ भी किया जा सकता है।
देवी कथाएं पढ़ और सुन सकते हैं। इस दिन किसी गौशाला में धन और हरी घास का दान करें।