इंस्पायरिंग:  हम काम की गरिमा समझें और उसे पूरी मेहनत से करें, कोई काम छोटा नहीं होता – शाहरुख खान
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इंस्पायरिंग: हम काम की गरिमा समझें और उसे पूरी मेहनत से करें, कोई काम छोटा नहीं होता – शाहरुख खान

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5 घंटे पहले

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  • शाहरुख खान अगले हफ्ते आने वाली ‘मुफासा’ को लेकर चर्चा में हैं। इस फिल्म में उनकी आवाज है। हर तरह के काम करने में ना झिझकने वाले इस सुपरस्टार के प्रेरक बातें…

मैं वास्तव में कोई बिजनेसमैन नहीं हूं। ईमानदारी से कहूं तो मैं 10 में से 0 ही होऊंगा। मैं उतना बुद्धिमान नहीं हूं, जितना कि लोग सोचते हैं। जब चीजें सही चलती हैं, तो सब सही चलता है। मैं मानता हूं कि लोहा जब गरम हो तभी वार करो। मेरा मूल सिद्धांत बहुत सीधा है : सुबह अपना काम शुरू करो और रात को जब काम समाप्त हो तो हमें महसूस होना चाहिए कि हमने कुछ अच्छा किया है। मैं काम की गरिमा को समझता हूं और उस पर यकीन करता हूं। आप जो भी काम करते हैं, वह गरिमापूर्ण है। मैं हर काम बहुत मेहनत से करता हूं। चाहे वह शो में डांस करना हो, प्रोग्राम होस्ट करना हो, टीवी शो करना हो या फिल्म करना हो- मैं यह सब उसी गरिमा के साथ करता हूं, जैसे मेरे घर को साफ करने वाली महिला अपना काम गरिमा से करती है। मैं उसे बार-बार धन्यवाद कहता हूं। मैं उसे कभी नीचा नहीं देखता। मैंने हमेशा लोगों से कहा है कि सबसे ज्यादा सम्मान मेरे ड्राइवर के लिए है। मैं सुबह 6 बजे घर आता हूं और सो जाता हूं। उसे 12 बजे बुलाया जाता है और वह मुझे कहीं भी ले जाने के लिए तैयार रहता है। मेरे पास 24 घंटे सुरक्षा गार्ड है और मुझे नहीं पता कि वह कब खाता या कब सोता है।

युवाओं को याद रखना चाहिए कि अपने सपने का पीछा करते हुए, आप उन लोगों की जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर सकते जिनके प्रति आप उत्तरदायी हैं। मैं एक मध्यवर्गीय पृष्ठभूमि से आता हूं। मैंने अपने माता-पिता को ऐसी दाल के साथ खाना खाते देखा है, जिसमें पानी ज्यादा और दाल कम होती थी। वे मजाक में कहते थे, “आज पानी वाली दाल खाते हैं।’ मेरे पिता का देहांत इसलिए हुआ क्योंकि हम उन्हें महंगे इंजेक्शन नहीं दिला पाए, जो कि उनकी बीमारी को हरा सकते थे। तब मेरी मां ने मुझसे कहा, “तुम्हें थोड़ा व्यावहारिक होना पड़ेगा’ और इसने मुझे बदल दिया।

मेरे लिए जिंदगी में काम ही सबकुछ है। मैं कभी हार नहीं मानता, क्योंकि जब आप पीछे मुड़कर देखते हैं कि आप कहां से आए हैं और यह सब हो सकता है, तो कुछ भी हो सकता है। अब मैं सबसे कहता हूं कि बिना सफल हुए आप फिलॉसफर नहीं हो सकते। सफल होओ, फिर शिक्षा देने की कोशिश करो। पैसा महत्वपूर्ण है- इसे कमाओ, जब तुम्हारे पास मौका हो। बस मैं फिल्मों में अभिनय करने के लिए पैसे नहीं लेता। मैं यह बात खुलकर कहता हूं, और आप इसे क्रॉस-चेक कर सकते हैं। मैं अपने सभी प्रोड्यूसर से कहता हूं, अगर आपके पास है तो पैसे दें और अगर उन्होंने नुकसान उठाया है, तो मैं पैसे नहीं लेता। शुरू से ही ऐसा है। मैं यह घमंड दिखाने के लिए नहीं कह रहा हूं। मैं राजा हूं! राजा पैसे नहीं लेते, वो देते हैं। लेकिन राजा कमाता कहां से है? राजा हर उस मौके से कमाता है, जो उसे मिलता है।

केवल एक और कोशिश से समस्या दूर हो सकती है बुरे दौर में यह विश्वास और उम्मीद हमेशा रखता हूं कि एक और कोशिश से समस्या दूर हो सकती है। अगर आप बार-बार दरवाजे से सिर टकराते रहेंगे, तो अंततः वह दरवाजा गिर ही जाएगा। हम सभी के पास उठने और फिर से कोशिश करने की ऊर्जा होती है। इसलिए लगातार कोशिश करते रहना जरूरी है। मैं हमेशा खुद को एक और मौका देता हूं। (विभिन्न इंटरव्यूज़ में बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान)



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