एक स्क्रैच से निकलते हैं 23 लाख माइक्रोप्लास्टिक:  स्क्रैच्ड नॉन-स्टिक पैन से हर साल लाखों लोग हो रहे बीमार
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एक स्क्रैच से निकलते हैं 23 लाख माइक्रोप्लास्टिक: स्क्रैच्ड नॉन-स्टिक पैन से हर साल लाखों लोग हो रहे बीमार

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10 घंटे पहलेलेखक: गौरव तिवारी

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आप अपने घर में नॉन स्टिक पैन यूज करते होंगे। उसे धुलते समय स्क्रैच भी आ गए होंगे। इसके बावजूद आप उसका इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर यह सच है तो ये स्टडी आपके लिए ही है।

साल 2022 में साइंस डायरेक्ट में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, अगर नॉन स्टिक पैन में सिर्फ एक 5 सेंटीमीटर का स्क्रैच है तो इससे 23 लाख माइक्रोप्लास्टिक रिलीज होते हैं। ये माइक्रोप्लास्टिक भोजन में मिलकर हमारे पेट में जाते हैं और 10 से ज्यादा गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे नॉन स्टिक पैन से हो रहे नुकसान की। साथ ही जानेंगे कि-

  • इसमें स्क्रैच से निकले माइक्रोप्लास्टिक कितने खतरनाक हैं?
  • इससे किन बीमारियों का जोखिम बढ़ रहा है?

99% लोगों के खून में पैन से निकले टॉक्सिन्स

अमेरिका में लोग हमसे कई साल पहले से नॉन स्टिक पैन यूज कर रहे हैं। कई स्टडीज में लगातार यह सामने आया कि नॉन स्टिक पैन इस्तेमाल करने से गंभीर बीमारियों का जोखिम बढ़ रहा है तो साल 2020 में एक स्टडी की गई। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश इस स्टडी में पता चला कि अमेरिका के 99% लोगों के खून में कम-से-कम डिटेक्ट करने लायक ऐसे टॉक्सिन्स मौजूद हैं, जो नॉन स्टिक पैन में स्क्रैच लगने के बाद निकलते हैं।

चिंता का विषय ये है कि पहले विकसित देशों के किचेन में आया नॉन स्टिक पैन अब भारत समेत कई विकासशील देशों में भी खूब इस्तेमाल हो रहा है। इसलिए भारत में भी स्क्रैच्ड नॉन स्टिक पैन के कारण होने वाली बीमारियों का जोखिम बढ़ रहा है।

पैन पर स्क्रैच से किन बीमारियों का जोखिम?

नॉन-स्टिक पैन पर स्क्रैच आने के कारण रिलीज हुए केमिकल्स से थायरॉइड की समस्या और हार्ट डिजीज हो सकती है। इसके कारण लिवर भी डैमेज हो सकता है। इससे कई अन्य बीमारियों का जोखिम भी बढ़ सकता है, ग्राफिक में देखिए-

ग्राफिक में दी कुछ बीमारियों की वजह विस्तार से समझें-

क्यों होता है कैंसर?

नॉन-स्टिक पैन पर स्क्रैच आने से इसमें मौजूद PFAS और PTFE जैसे जहरीले केमिकल्स रिलीज होते हैं। ये पैन में कुछ भी पकाते समय उसमें मिल जाते हैं और हमारे पेट में चले जाते हैं। ये केमिकल्स और माइक्रोप्लास्टिक ब्लड स्ट्रीम में जाकर ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस बढ़ाते हैं और डीएनए को डिस्टर्ब करते हैं। इससे लिवर, किडनी और टेस्टिकुलर कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।

क्यों होती है हार्ट डिजीज?

स्क्रैच्ड नॉन स्टिक पैन से निकला PFAS शरीर में लिपिड मेटाबॉलिज्म (फैट पचाने की प्रक्रिया) को डिस्टर्ब करता है। इससे खराब कोलेस्ट्रॉल यानी LDL बढ़ता है। यह आर्टरीज में में जमा होने लगता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

साल 2018 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में पता चला कि जिन लोगों के ब्लड में PFAS केमिकल का लेवल ज्यादा होता है, उन्हें हार्ट डिजीज और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा दूसरों की अपेक्षा दोगुना होता है।

क्यों डैमेज होता है लिवर?

स्क्रैच्ड नॉन स्टिक पैन से निकले टॉक्सिन्स हमारे भोजन के साथ पेट में पहुंचते हैं। लिवर भोजन पचाने के अलावा शरीर को डिटॉक्स करके टॉक्सिन्स भी बाहर निकालता है। इन खतरनाक टॉक्सिन्स को डिटॉक्स करने में लिवर को बहुत मुश्किल होती है और यह डैमेज होने लगता है।

क्यों होती है थायरॉइड प्रॉब्लम?

स्क्रैच्ड नॉन स्टिक पैन से निकले केमिकल्स शरीर में जाकर थायरॉइड ग्लैंड का काम करने का तरीका डिस्टर्ब कर सकते हैं। इससे हाइपोथायरायडिज्म, हाइपरथायरायडिज्म और ऑटोइम्यून थायरॉइड डिजीज हो सकती हैं।

  • हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक स्टडी के मुताबिक, जिन लोगों के शरीर में PFAS की मात्रा ज्यादा होती है, उनमें हॉर्मोनल असंतुलन की आशंका 50% अधिक होती है।
  • साल 2020 में जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्रोनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, PFAS जैसे केमिकल्स के कारण लोगों को हाशिमोटो थायरॉयडिटिस की आशंका बढ़ जाती है। यह एक ऑटो इम्यून थायरॉइड डिजीज है।

क्यों होते हैं प्रेग्नेंसी से जुड़े कॉम्प्लिकेशन?

PFAS केमिकल एक एंडोक्राइन डिसरप्टर है, यानी यह शरीर में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रॉन हॉर्मोन का संतुलन बिगाड़ सकता है। इससे इनफर्टिलिटी की भी समस्या हो सकती है।

साल 2021 में ‘एनवायर्नमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्स’ जर्नल में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, PFAS का लेवल बढ़ने से महिलाओं में प्रजनन क्षमता 30-40% तक कम हो सकती है। इसके अलावा प्रेग्नेंसी के दौरान भी समस्याएं हो सकती हैं।

स्क्रैच्ड नॉन स्टिक पैन से जुड़े कॉमन सवाल और जवाब

सवाल: क्या स्क्रैच्ड नॉन-स्टिक पैन में बने भोजन से तुरंत कोई स्वास्थ्य समस्या हो सकती है?

जवाब: आमतौर पर स्क्रैच्ड पैन इस्तेमाल करने से तुरंत कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं होती है। इसे एक या दो बार इस्तेमाल करने से नुकसान तो होता है, पर कोई गंभीर बीमारी नहीं होती है। अगर लंबे समय तक इसे इस्तेमाल कर रहे हैं तो जहरीले केमिकल शरीर में जमा होते रहते हैं और इसके कारण धीरे-धीरे स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं।

सवाल: नॉन-स्टिक पैन की जगह सुरक्षित विकल्प क्या हैं?

जवाब: अगर आप नॉन-स्टिक कुकवेयर बदलना चाहते हैं तो ये विकल्प सुरक्षित हैं-

  • स्टेनलेस स्टील से बने बर्तन इस्तेमाल कर सकते हैं। इन्हें इस्तेमाल करने में भी नॉन स्टिक बर्तनों की तरह सहूलियत होती है।
  • कास्ट आयरन अगर ठीक से बर्तन के रूप में ढाला जाए तो नॉन-स्टिक बर्तन की तरह काम करता है।
  • सेरेमिक कोटेड कुकवेयर ले सकते हैं। इनके फीचर्स भी नॉन स्टिक बर्तन जैसे होते हैं।
  • एनोडाइज्ड एल्युमिनियम से बने बर्तन भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

सवाल: क्या नॉन-स्टिक पैन का इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर देना चाहिए?

जवाब: अगर पैन में कोई स्क्रैच नहीं है तो इसे सावधानी से इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं अगर इसमें कोई स्क्रैच आ गया है या पैन पुराना हो चुका है तो इसे बदलना ही बेहतर है। जानबूझकर समस्याओं को बुलावा नहीं देना चाहिए। अगर अभी तक नॉन स्टिक पैन नहीं इस्तेमाल किया है तो बेहतर है कि मेटल यानी धातु से बने बर्तन ही इस्तेमाल करें।

सवाल: क्या नॉन-स्टिक पैन के स्क्रैच को रिपेयर करके सेफ बनाया जा सकता है?

जवाब: नहीं, एक बार नॉन-स्टिक कोटिंग में स्क्रैच आने के बाद उसे पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है। कुछ कंपनियां रिफिनिशिंग सर्विस देती हैं। हालांकि, भारत में अभी यह बहुत महंगा है और सभी पैन में यह कराना संभव भी नहीं है। इसलिए अगर स्क्रैच आ गया है तो इस बार मेटल से बना बर्तन ही घर लाएं।

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