पौराणिक कथा के मुताबिक, देवी सती के पिता प्रजापति दक्ष भगवान शिव को पसंद नहीं करते थे और समय-समय पर शिव जी को अपमानित करने के अवसर खोजते रहते थे।
एक दिन प्रजापति दक्ष ने एक यज्ञ आयोजित किया। यज्ञ में सभी देवी-देवताओं, ऋषि-मुनियों को बुलाया गया, लेकिन दक्ष ने शिव-सती को आमंत्रित नहीं किया।
जब देवी सती को अपने पिता के यहां के यज्ञ की जानकारी मिली तो देवी भी यज्ञ में जाने के लिए तैयार हो गईं।
भगवान शिव ने देवी सती को समझाया कि हमें बिना बुलाए ऐसे आयोजन में नहीं जाना चाहिए। देवी सती ने कहा कि दक्ष मेरे पिता हैं, और अपने पिता के यहां जाने के लिए किसी आमंत्रण की जरूरत नहीं है। सती के ऐसा कहने के बाद भी शिव जी देवी को जाने से रोकना चाहा, लेकिन सती क्रोधित हो गईं।
देवी सती के क्रोध से दस महाविद्याएं प्रकट हो गईं। इसके बाद शिव जी के मना करने के बाद भी देवी सती दक्ष के यहां यज्ञ में पहुंच गईं। यज्ञ स्थल पर सती को देखकर प्रजापति ने दक्ष ने शिव जी के लिए अपमानजनक बातें कहीं। देवी सती शिव जी अपमान सहन नहीं सकीं और उन्होंने यज्ञ कूंड में अपनी देह त्याग दी।