गुरुवार और गुप्त नवरात्रि की नवमी का योग:  देवी दुर्गा के साथ करें भगवान शिव, विष्णु और गुरु की पूजा, राशि अनुसार करें दान-पुण्य
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गुरुवार और गुप्त नवरात्रि की नवमी का योग: देवी दुर्गा के साथ करें भगवान शिव, विष्णु और गुरु की पूजा, राशि अनुसार करें दान-पुण्य

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देवी पूजा की सरल विधि

गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि पर देवी दुर्गा के साथ सिद्धिदात्री स्वरूप की भी पूजा करनी चाहिए। घर के मंदिर में सबसे पहले प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा करें।

गणेश जी को स्नान कराएं। दूर्वा, हार-फूल और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें, मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।

गणेश पूजा के बाद घर के मंदिर में देवी दुर्गा की प्रतिमा और शिवलिंग स्थापित करें।

देवी दुर्गा और शिव जी का ध्यान करते हुए देवी प्रतिमा और शिवलिंग पर जल, पंचामृत चढ़ाएं। पंचामृत के बाद फिर जल से कराएं।

देवी दुर्गा को सुहाग का सामान और शिवलिंग पर जनेऊ अर्पित करें। आभूषण, पुष्प हार चढ़ाएं। इत्र अर्पित करें। तिलक लगाएं। लाल फूल, बिल्व पत्र, धतूरा, दूर्वा अर्पित करें।

चावल, नारियल अर्पित करें। मिठाई और मौसमी फलों का भोग लगाएं। धूप और दीप जलाएं। आरती करें। आरती के बाद परिक्रमा करें।

पूजा में दुं दुर्गायै नमः और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। अंत में पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें।



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