गौतम और राजेश अडाणी को बॉम्बे हाई-कोर्ट से क्लीन चिट:  मार्केट रेगुलेशन उल्लंघन मामले में बरी हुए, ₹388 करोड़ के फ्रॉड का आरोप था
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गौतम और राजेश अडाणी को बॉम्बे हाई-कोर्ट से क्लीन चिट: मार्केट रेगुलेशन उल्लंघन मामले में बरी हुए, ₹388 करोड़ के फ्रॉड का आरोप था

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नई दिल्ली10 घंटे पहले

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बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) के चेयरमैन गौतम अडाणी और मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश अडाणी को सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) के एक मामले से बरी कर दिया है। इस केस में गौतम और राजेश पर AEL के शेयर की कीमतों में हेरफेर का आरोप लगाया गया था। बार एंड बेंच ने रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी है।

जस्टिस राजेश एन लड्ढा ने सेशन कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें गौतम, राजेश और AEL को लंबे समय से चल रहे मामले से मुक्त करने से इनकार कर दिया गया था। इस केस में गौतम अडाणी और राजेश अडाणी पर मार्केट रेगुलेशन का उल्लंघन कर 388 करोड़ रुपए का फ्रॉड करने का आरोप लगाया गया था।

अडाणी और AEL ने सेशन कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी

हाई कोर्ट का यह फैसला तब आया जब अडाणी और AEL ने सेशन कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। उनकी अपील पर सीनियर एडवोकेट अमित देसाई और विक्रम नानकानी ने तर्क दिया कि उनके खिलाफ कार्यवाही जारी रखने का कोई आधार नहीं है।

मामला SFIO द्वारा दायर 2012 की चार्जशीट से जुड़ा है

यह मामला SFIO द्वारा दायर 2012 की चार्जशीट से जुड़ा है। इस चार्जशीट में आरोप लगाया गया था कि AEL और अडाणी ने स्टॉकब्रोकर केतन पारेख के साथ मिलकर शेयर की कीमतों में हेरफेर किया था। केतन पारेख 1999-2000 के भारत के सबसे बड़े शेयर बाजार घोटाले में एक प्रमुख व्यक्ति था। SFIO, केंद्रीय कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत एक एजेंसी है।

2014 में AEL-अडाणी आरोप मुक्त किए गए थे

2014 में एक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने AEL और अडाणी को आरोप मुक्त कर दिया था। हालांकि, नवंबर 2019 में मुंबई की एक सेशन कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया था। सेशन कोर्ट ने रिवीजन पिटीशन पर फैसला सुनाया था कि SFIO की जांच में पाया गया कि AEL शेयर्स में हेरफेर कर अडाणी ग्रुप के प्रमोटरों ने 388.11 करोड़ रुपए और केतन पारेख ने 151.40 करोड़ रुपए का गैरकानूनी लाभ हासिल किया है।

2019 में हाई कोर्ट ने सेशन कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई थी

सेशन जज डी ई कोथलिकर ने तब माना था कि अडाणी के खिलाफ केस आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद हैं। इसके बाद दिसंबर 2019 में हाई कोर्ट ने सेशन कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी और अंतिम फैसला आने तक रोक को बार-बार बढ़ाया गया।



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