टॉप-10 कंपनियों में से 6 की मार्केट-वैल्यू ₹1.18 लाख-करोड़ बढ़ी:  HDFC बैंक टॉप गेनर रही; इसका मार्केट कैप ₹32,639 करोड़ बढ़कर ₹13.25 लाख करोड़ हुआ
ऑटो-ट्रांसपोर्ट

टॉप-10 कंपनियों में से 6 की मार्केट-वैल्यू ₹1.18 लाख-करोड़ बढ़ी: HDFC बैंक टॉप गेनर रही; इसका मार्केट कैप ₹32,639 करोड़ बढ़कर ₹13.25 लाख करोड़ हुआ

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मुंबई9 घंटे पहले

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पिछले हफ्ते के कारोबार में देश की टॉप-10 कंपनियों में से 6 का कंबाइन मार्केट कैपिटलाइजेशन 1.18 लाख करोड़ रुपए बढ़ा है। इनमें HDFC बैंक को पिछले हफ्ते सबसे ज्यादा फायदा हुआ। इसका मार्केट कैप ₹32,639 करोड़ बढ़कर ₹13.25 लाख करोड़ हो गया।

वहीं भारती एयरटेल का मार्केट कैप ₹31,003 करोड़ बढ़कर ₹9.56 लाख करोड़ हो गया। बजाज फाइनेंस का मार्केट कैप ₹29,032 करोड़ बढ़कर 5.24 लाख करोड़ हो गया है।

इंफोसिस का मार्केट कैप ₹21,114 करोड़ बढ़कर 7.90 लाख करोड़ हो गया। वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज और ICICI बैंक का मार्केट कैप भी बढ़ा है।

इसके अलावा चार कंपनियों- ITC, हिंदुस्तान यूनिलीवर, SBI और TCS की मार्केट वैल्यू 1.15 लाख करोड़ रुपए घटी है।

पिछले हफ्ते सेंसेक्स 1,043 अंक बढ़ा था

पिछले हफ्ते सेंसेक्स 1,043.47 अंक यानी 1.36% बढ़ा है। निफ्टी में भी बीते सप्ताह 225.05 (0.96%) की तेजी रही। वहीं शुक्रवार यानी 7 फरवरी को सेंसेक्स 197 अंक की गिरावट के साथ 77,860 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी 43 अंक गिरकर 23,559 के स्तर पर बंद हुआ था।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?

मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटस नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।

मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।

मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)

मार्केट कैप कैसे काम आता है?

किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।

कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।

मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?

मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।



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