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मुंबई1 घंटे पहले
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मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की 10 सबसे बड़ी कंपनियों में से 6 का मार्केट कैप बीते हफ्ते के कारोबार में 1.71 लाख करोड़ रुपए कम हुआ है। इस दौरान टेक कंपनी इंफोसिस सबसे बड़ी लूजर रही। कंपनी का मार्केट कैप 62,948 करोड़ रुपए कम होकर 7.54 लाख करोड़ रुपए पर आ गया है।
टेक सर्विस प्रोवाइड करने वाली कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) की वैल्यू भी 50,599 करोड़ रुपए गिरी है। अब कंपनी का मार्केट कैप 14.93 लाख करोड़ रुपए है। इसके अलावा, हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL), ICICI बैंक, HDFC बैंक और ITC की वैल्यू भी गिरी है।
रिलायंस की वैल्यू ₹79,773 करोड़ बढ़कर ₹17.61 लाख करोड़ हुई
वहीं, वैल्यूएशन के लिहाज से देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप 79,773 करोड़ रुपए बढ़कर 17.61 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। वहीं, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) का मार्केट कैप 18,697 करोड़ रुपए बढ़कर 6.82 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गए हैं। इसके अलावा लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) और भारती एयरटेल वैल्यू भी बढ़ी है।
बीते हफ्ते 759 अंक गिरा सेंसेक्स
बीते सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार (17 जनवरी) सेंसेक्स 423 अंक की गिरावट के साथ 76,619 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में भी 109 अंक की गिरावट रही, ये 23,201 के स्तर पर बंद हुआ था। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 16 में तेजी और 14 में गिरावट रही।
निफ्टी के 50 शेयरों में से 29 में तेजी और 21 में गिरावट रही। जबकि, एक शेयर बिना किसी बदलाव के बंद हुआ। NSE सेक्टोरल इंडेक्स में प्राइवेट बैंकिंग सेक्टर में सबसे ज्यादा 2.17% की गिरावट रही। पिछले हफ्ते सेंसेक्स में 759 अंक और निफ्टी में 228 अंक की गिरावट रही।
मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।
मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)
मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।
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अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में इंफोसिस को ₹6,806 करोड़ का मुनाफा: रेवेन्यू 7.6% बढ़कर ₹41,764 करोड़ रहा; एक साल में 17.98% चढ़ा कंपनी का शेयर
दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी IT सर्विस ब्रांड इंफोसिस को वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में 6,806 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ है। सालाना आधार पर इसमें 11.4% की बढ़ोतरी हुई है। एक साल पहले की समान तिमाही में कंपनी को 6,106 करोड़ रुपए का कॉन्सोलिडेटेड नेट प्रॉफिट हुआ था।
अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में कंपनी ने 41,764 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जनरेट किया। सालाना आधार पर इसमें 7.6 % की बढ़ोतरी हुई है। एक साल पहले यानी Q3 FY23-24 में टेक कंपनी ने 38,821 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जनरेट किया था। वस्तुओं और सेवाओं को बेचने से मिलने वाला पैसा रेवेन्यू होता है।
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रिलायंस को तीसरी तिमाही में ₹18,540 करोड़ का मुनाफा: सालाना आधार पर 7.38% बढ़ा; जियो का नेट प्रॉफिट 26% बढ़कर ₹6,861 करोड़ रहा
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने आज (16 जनवरी) वित्त वर्ष 2024-25 के तीसरी तिमाही के नतीजे जारी किए हैं। इसमें कंपनी को 18,540 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ है। सालाना आधार पर इसमें 7.38% की बढ़ोतरी हुई है। एक साल पहले की इसी तिमाही में कंपनी का कॉन्सोलिडेटेड नेट प्रॉफिट 17,265 करोड़ रुपए रहा था।
वहीं, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में कंपनी का ऑपरेशनल रेवेन्यू 2.44 लाख करोड़ रुपए रहा। एक साल पहले की समान तिमाही में कंपनी ने 2.28 लाख करोड़ रुपए का रेवेन्यू जनरेट किया था। सालाना आधार पर इसमें 7% की बढ़ोतरी हुई है। वस्तुओं और सेवाओं को बेचने से मिली राशि को रेवेन्यू या राजस्व कहा जाता है।
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