टॉप-10 में 5 कंपनियों की वैल्यू ₹1.13 लाख करोड़ बढ़ी:  एयरटेल टॉप गेनर रही, पिछले हफ्ते रिलायंस का मार्केट कैप₹52,032 करोड़ गिरा
ऑटो-ट्रांसपोर्ट

टॉप-10 में 5 कंपनियों की वैल्यू ₹1.13 लाख करोड़ बढ़ी: एयरटेल टॉप गेनर रही, पिछले हफ्ते रिलायंस का मार्केट कैप₹52,032 करोड़ गिरा

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मुंबई1 घंटे पहले

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मार्केट वैल्यूएशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 5 की वैल्यूएशन पिछले हफ्ते के कारोबार के बाद 1,13,117 (1.13 लाख) करोड़ रुपए बढ़ी है। इस दौरान टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल टॉप गेनर रही। कंपनी का मार्केट कैप 47,837 करोड़ रुपए बढ़कर 9.58 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया।

वहीं, इंफोसिस ने अपने वैल्युएशन में 31,827 करोड़ रुपए जोड़े। अब कंपनी का मार्केट कैप 8.30 लाख करोड़ पर पहुंच गया है। इसके अलावा, HDFC बैंक, ICICI बैंक और टाटा कंस्लटेंसी सर्विसेज की मार्केट वैल्यू भी ₹11,888 करोड़, ₹11,761 और ₹ 9,805 करोड़ बढ़ी है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज की वैल्यू ₹52,032 करोड़ कम हुई

जबकि बीते हफ्ते के कारोबार के बाद देश की सबसे वैल्यूएबल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के वैल्यूएशन में 52,032 करोड़ रुपए की गिरावट रही और कंपनी की मार्केट वैल्यू 17.23 लाख करोड़ रुपए पर आ गई है।

वहीं, लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (LIC), हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और ITC की वैल्युएशन में भी गिरावट हुई है।

बीते हफ्ते 623 अंक चढ़ा सेंसेक्स

बीते हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी 13 दिसंबर को बाजार 843 अंक (1.04%) की तेजी के बाद 82,133 के स्तर पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान सेंसेक्स दिन के निचले स्तर 80,082 से 2,131 अंक संभलकर डे-हाई 82,213 के स्तर पर पहुंच गया था।

वहीं निफ्टी भी 219 अंक (0.89%) की तेजी के साथ 24,768 के स्तर पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान निफ्टी दिन के निचले स्तर 24,180 से 612 अंक संभलकर डे-हाई 24,792 के स्तर पर पहुंच गया था।

सेंसेक्स से 30 शेयरों में से 26 में तेजी और 4 में गिरावट रही। जबकि निफ्टी के 50 शेयरों में से 41 में तेजी और 9 में गिरावट रही। NSE के सेक्टोरल इंडेक्स में FMCG सेक्टर सबसे ज्यादा 1.29% चढ़ा। हफ्तेभर के कारोबार में सेंसेक्स 623 अंक चढ़ा।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?

मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।

मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।

मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)

मार्केट कैप कैसे काम आता है?

किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।

कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।

मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?

मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।



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