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- Derek O’Brien’s Column Wildlife Conservation Should Also Be Our Priority
22 मिनट पहले
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डेरेक ओ ब्रायन राज्यसभा में टीएमसी के नेता
विश्व वन्यजीव दिवस पर प्रधानमंत्री ने वनतारा नामक वाइल्डलाइफ रेस्क्यू, रिहैब और कंजर्वेशन सेंटर का उद्घाटन किया। इसे निजी चिड़ियाघर भी कहा गया है। दिल्ली का चिड़ियाघर 200 एकड़ में फैला है और वनतारा 3000 एकड़ में! इस नवनिर्मित फेसिलिटी का दावा है कि इसमें दुनिया की सबसे बड़ी चीता संरक्षण परियोजना संचालित होगी।
लेकिन इस सर्वसुविधायुक्त परिसर के बाहर की हकीकत इससे बहुत विपरीत है। सरकार के 100 करोड़ रु. के चीता पुनर्वास अभियान में आठ चीतों और तीन शावकों की मृत्यु हो गई है। यह संसद में स्वयं सरकार द्वारा स्वीकार किया गया है। सरकार को उन अध्ययनों के बारे में जानकारी थी, जो दर्शाते हैं कि इस तरह के पुनर्वास प्रयासों की सफलता दर केवल 50% है, इसके बावजूद यह किया गया।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के नवीनतम अनुमानों के अनुसार देश में वर्तमान में 73 ऐसी प्रजातियां हैं, जो गंभीर रूप से संकटग्रस्त श्रेणी में आती हैं। ये 2011 में 47 ही थीं। 2022 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार गंभीर रूप से संकटग्रस्त ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (सोहन चिड़िया) अब केवल 100 ही बची हैं। 2021 में सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को उनके संरक्षण के लिए ठोस उपाय करने का निर्देश दिया था।
अपने जवाब में सरकार ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को व्यावहारिक रूप से लागू करना असंभव था। सरकार की प्राथमिकताएं उनके बजटीय-आवंटन में झलकती हैं। प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलीफैंट को पहले अलग-अलग फंडिंग दी जाती थी, लेकिन अब उन्हें एक साथ जोड़ दिया गया है। 2019 और 2023 के बीच इन परियोजनाओं के लिए वित्त-पोषण में 23% की गिरावट आई, जबकि दस में से सात राज्यों को वित्त-वर्ष 2022 में कोई धनराशि नहीं मिली। एक अन्य केंद्र प्रायोजित योजना- डेवलपमेंट ऑफ वाइल्डलाइफ हैबिटैट्स- में इसी अवधि के दौरान वित्त-पोषण में 20% की कमी देखी गई।
मनुष्य और पशुओं का टकराव एक और समस्या है। 2019 से 2023 के बीच हाथियों के हमलों के कारण लगभग 2800 मौतें हुईं। अकेले केरल में, 2021 से 2024 के बीच, वन्यजीवों से संघर्ष में 316 लोगों की जान गई और 3700 लोग घायल हुए। इसी अवधि में, मानव-बाघ संघर्ष के परिणामस्वरूप लगभग 300 मौतें हुईं, जबकि 75 बाघ अवैध शिकार, जब्ती और अन्य अप्राकृतिक कारणों से मारे गए।
इसके बावजूद, सरकार का वन्यजीव-प्रबंधन दृष्टिकोण अकसर अतिवादी रहा है, जो राज्यों में देखते ही गोली मारने के आदेशों से स्पष्ट है। 2016 में, केंद्र सरकार ने संसद को आश्वस्त किया कि इस तरह के कोई आदेश जारी नहीं किए जा रहे हैं, केवल कुछ मामलों में ‘डंडे से जानवरों को भगाने’ की अनुमति दी जा रही है।
हालांकि, राज्यों ने इसे जारी रखा है। 2024 में, यूपी और राजस्थान ने भेड़ियों और तेंदुओं को मारने का आदेश दिया। 2021 में कर्नाटक ने एक बाघ के लिए ऐसा ही आदेश जारी किया था और 2018 में महाराष्ट्र ने एक बाघिन को मारने की अनुमति दी थी। भारत में विदेशी पालतू जानवरों का व्यापार एक और चिंता का विषय है।
हाल ही में, सरकार ने वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 पारित किया। इसमें अंतरराष्ट्रीय सीमाओं, नियंत्रण रेखा या वास्तविक नियंत्रण रेखा के 100 किलोमीटर के भीतर स्थित भूमि के लिए वन संरक्षण नियमों से व्यापक छूट की अनुमति दी गई। ऐसे महत्वपूर्ण संशोधनों के बावजूद इसे लोकसभा में जल्दबाजी में पारित कर दिया गया, जिसमें केवल चार वक्ताओं ने 30 मिनट से थोड़ा अधिक समय तक बहस की।
चर्चा के लिए आवंटित समय तीन घंटे ही था। प्रधानमंत्री के गृह-राज्य गुजरात में पिछले दो वर्षों में लगभग 300 शेर और 450 तेंदुओं की मौत हुई है। अकेले 2023-24 में, राज्य के चिड़ियाघरों में औसतन 45 जानवरों की मौत हुई। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की रैंकिंग गुजरात की पशु देखभाल की खराब स्थिति को और उजागर करती है। अहमदाबाद चिड़ियाघर को बड़े चिड़ियाघरों में सबसे कम अंक मिले हैं।
पशु कल्याण पर काम करने वाले परोपकारी लोगों के बारे में अच्छी बात यह है कि इससे कई और लोग आगे आने के लिए प्रोत्साहित होंगे। पशु वोट बैंक नहीं हैं, इसलिए वे सरकारों की प्राथमिकता में नहीं होते। लेकिन जब हाई नेटवर्थ वाले व्यक्ति इस कार्य के लिए आगे आते हैं तो इससे सरकारों को वन्यजीवों के संरक्षण के कार्य को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है। इससे पशु चिकित्सा अनुसंधान को भी बढ़ावा मिलता है।
- पशु वोट बैंक नहीं हैं, इसलिए वे सरकारों की प्राथमिकता में नहीं होते। लेकिन जब हाई नेटवर्थ वाले व्यक्ति इस कार्य के लिए आगे आते हैं तो इससे सरकारों को वन्यजीवों के संरक्षण के कार्य को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं। इस लेख के सहायक शोधकर्ता निपुंज निकेत हैं।)