डेरेक ओ ब्रायन का कॉलम:  संसद के शीतकालीन सत्र की कुछ रोचक झलकियां
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डेरेक ओ ब्रायन का कॉलम: संसद के शीतकालीन सत्र की कुछ रोचक झलकियां

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8 घंटे पहले

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डेरेक ओ ब्रायन लेखक सांसद और राज्यसभा में टीएमसी के नेता हैं - Dainik Bhaskar

डेरेक ओ ब्रायन लेखक सांसद और राज्यसभा में टीएमसी के नेता हैं

संसद के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन आप यह लेख पढ़ रहे हैं। 21 दिवसीय सत्र पर कुछ बिंदु देखें :

चर्चित नाम : महंगाई, संघवाद और बेरोजगारी पर जोरदार बहस की उम्मीद थी। लेकिन इनके बजाय, जॉर्ज सोरोस, गौतम अदाणी और पं. जवाहरलाल नेहरू चर्चाओं में रहे। सत्र के अंतिम दिनों में बाबासाहब आम्बेडकर और अमित शाह ट्रेंड करने लगे। यह स्तम्भकार उसी पंक्ति में- जहां गृह मंत्री भाषण दे रहे थे- कुछ सीटों की दूरी पर बैठा था। उन्होंने कहा : ‘यह फैशनेबल हो गया है, आम्बेडकर, आम्बेडकर, आम्बेडकर, आम्बेडकर, आम्बेडकर… अगर आपने इतनी बार भगवान का नाम लिया होता तो सात जन्मों के लिए स्वर्ग चले जाते।’ इस स्तम्भकार के दाईं ओर बैठे नेता प्रतिपक्ष ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। उन्होंने जो कहा, वह माइक्रोफोन पर नहीं सुनाई दिया। न ही उस समय कैमरा मल्लिकार्जुन खरगे पर था, जिन्होंने कहा- ‘महोदय, आपने जो कहा, उससे लगता है कि आपको आम्बेडकर से बहुत समस्या है। लेकिन क्यों?’ मुखर वक्ता : 18 दिसम्बर तक राज्यसभा कुल 43 घंटे चली। इसमें से 10 घंटे विधेयकों पर चर्चा हुई। संविधान पर बहस साढ़े 17 घंटे चली। शेष साढ़े 15 घंटों में से साढ़े 4 घंटे या लगभग 30% समय एक ही व्यक्ति बोले। वे राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति थे। तो क्या जगदीप धनखड़ ने संसद में कोई नया रिकॉर्ड बना दिया है?

शानदार आगाज : इस सप्ताह की शुरुआत में छह सांसदों ने शपथ ली। सना सतीश बाबू (टीडीपी), बीडा मस्तान राव (टीडीपी), रयागा कृष्णैया, रेखा शर्मा, सुजीत कुमार (सभी भाजपा) और रीताब्रत बनर्जी (टीएमसी)। रीताब्रत को शपथ लेने के अगले दिन संविधान पर बोलने का अवसर भी मिला। उन्होंने रबींद्रनाथ ठाकुर पर बात की और उनकी कविता ‘भारत का प्रात: गान’ से चार छंद पढ़े। इसी के पहले छंद को हमारे राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया है। रीताब्रत की बंगाली-अंग्रेजी की जुगलबंदी ने हमें मुग्ध कर दिया।

मैराथन भाषण : ‘संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ शीर्षक बहस के दौरान कोई बुदबुदाया : सत्ता पक्ष के भाषणों को सुनकर मैं सोच रहा हूं कि हम संविधान के 75 वर्षों पर चर्चा कर रहे हैं या आपातकाल के 49 वर्षों पर! कुछ सदस्य एक घंटा से अधिक बोले। इनमें मोदी, शाह, सिंह, रिजिजू, नड्डा और सीतारमण जैसे नाम थे। खरगे ही ऐसे विपक्षी सांसद थे, जो एक घंटे से अधिक बोल सके।

किसी भाजपा सांसद द्वारा मेरा प्रिय भाषण : इस सरकार के पिछले कार्यकाल में भूपेंद्र यादव पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ श्रम और रोजगार मंत्री हुआ करते थे। जून 2024 से श्रम और रोजगार विभाग किसी और को दे दिया गया है। उन्हें सुनकर बहुत अच्छा लगा, क्योंकि उन्होंने शिकागो विश्वविद्यालय के एक शोध-पत्र का उल्लेख किया, जिसमें दुनिया भर के संविधानों के जीवनकाल का विश्लेषण किया गया था। मंत्री ने बताया कि 50% संविधानों की 80 वर्ष की आयु तक मृत्यु हो जाने की संभावना रहती है, केवल 19% ही 50 वर्ष की आयु तक जीवित रहते हैं और 7% तो अपना दूसरा जन्मदिन भी नहीं मना पाते। दिलचस्प!

सबसे अच्छी जन्मदिन पार्टी : 12 दिसंबर को शरद पवार का 84वां जन्मदिन था। उनकी बेटी और लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले ने इस अवसर पर एक रात्रिभोज का आयोजन किया। यह न केवल उनके पिता, बल्कि उनकी मां प्रतिभा पवार के लिए भी था, जिनका जन्मदिन अगले दिन था। उपस्थित मेहमानों में रेवंत रेड्डी, अखिलेश यादव, डिम्पल यादव, फारूक अब्दुल्ला, जया बच्चन, सौगत रॉय, अभिषेक मनु सिंघवी भी शामिल थे। काश, 80 से ज्यादा के और भी लोग ऐसी सकारात्मक सोच रखते।

संविधान पर मेरे भाषण का एक अंश : संविधान लाइब्रेरी में रखी किताब नहीं, एक जीवंत दस्तावेज है। कोलकाता में एक ज्यूइश बेकरी है, जो स्वादिष्ट क्रिसमस केक बनाती है। उस बेकरी में काम करने वाले सभी 300 कर्मचारी मुसलमान हैं। क्रिसमस से लगभग एक सप्ताह पहले से आपको बेकरी के बाहर लंबी कतारें दिखने लगती हैं। अगर आप कतारों में खड़े लोगों से उनका नाम पूछें तो वे बताएंगे : भास्कर, रीमा, अरुण…। वे सभी भारतीय हैं। तो आइए, अगले हफ्ते कोलकाता फेस्टिवल में क्रिसमस मनाएं। मार्च के अंत में फिर से रेड रोड पर कतार में खड़े होकर ईद की नमाज देखें। और, 30 अप्रैल 2025 को नयनाभिराम नए जगन्नाथ मंदिर के दर्शन करने दीघा पधारें!

‘संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ शीर्षक बहस के दौरान कोई बुदबुदाया : सत्ता पक्ष के भाषणों को सुनकर मैं सोच रहा हूं कि हम संविधान के 75 वर्षों पर चर्चा कर रहे हैं या आपातकाल के 49 वर्षों पर! (ये लेखक के अपने विचार हैं। इस लेख के सहायक-शोधकर्ता आयुष्मान डे और वर्णिका मिश्रा हैं)

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