डेरोन एस्मोगलु का कॉलम:  क्या चीन इनोवेशन के क्षेत्र में पश्चिम को हरा सकता है?
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डेरोन एस्मोगलु का कॉलम: क्या चीन इनोवेशन के क्षेत्र में पश्चिम को हरा सकता है?

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1 घंटे पहले

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डेरोन एस्मोगलु 2024 के अर्थशास्त्र के नोबेल विजेता व एमआईटी में प्रोफेसर - Dainik Bhaskar

डेरोन एस्मोगलु 2024 के अर्थशास्त्र के नोबेल विजेता व एमआईटी में प्रोफेसर

डीपसीक के रिलीज होने के बाद चिपमेकर एनवीडिया के शेयर की कीमतों में भारी गिरावट आई थी। कई अन्य टेक कंपनियों का वैल्युएशन भी घटा। कुछ लोगों ने इसे एआई की दुनिया में वर्चस्व के लिए चीन और अमेरिका के बीच चल रही होड़ में एक ‘स्पुतनिक-क्षण’ घोषित किया। ये सच है कि अमेरिका के एआई उद्योग को इसी तरह से झकझोरे जाने की जरूरत आन पहुंची थी, लेकिन इस प्रकरण ने कुछ कठिन सवाल खड़े कर दिए हैं।

आज तमाम प्रमुख अमेरिकी टेक कंपनियां एआई को लेकर एक ही प्लेबुक के हिसाब से चल रही हैं। हालांकि मेटा ने आंशिक रूप से ओपन-सोर्स मॉडल के साथ खुद को थोड़ा अलग किया है। अमेरिकी कंपनियां मानती हैं कि उनके मॉडल में अधिक से अधिक डेटा और कंप्यूटिंग पॉवर को फीड करने भर से वे अधिक क्षमताओं को हासिल कर सकेंगी।

डीपसीक की आमद से पहले तक अमेरिकी कंपनियां विकल्पों पर विचार करने के लिए तैयार नहीं थीं। उन्होंने मनुष्य की तरह कार्य करने के उद्देश्य से डिफ्यूशन मॉडल और चैटबॉट पर ध्यान केंद्रित कर रखा था, जो किसी सीक्वेंस में अगले शब्द का पूर्वानुमान लगाने के लिए अथाह डेटासेट्स को खंगालता हो। और हालांकि डीपसीक का नजरिया भी कमोबेश यही है, लेकिन ऐसा मालूम होता है कि यह कई छोटे और अधिक कुशल मॉडलों का उपयोग करके एक परिष्कृत विचार-शृंखला को सामने रखता है और लर्निंग पर ज्यादा जोर देता है। इस रणनीति से उसे अमेरिकी एआई की तुलना में किफायती और प्रतिस्पर्धी मॉडल तैयार करने में मदद मिली है।

डीपसीक-प्रकरण ने यह उजागर किया है कि अमेरिकी एआई उद्योग किस तरह से किसी भी विकल्प के प्रति नजरें फेरकर बैठा है। सस्ते और बेहतर विकल्पों को वो नजरअंदाज करता है। अब सवाल यह है कि क्या अग्रणी अमेरिकी टेक कंपनियां अपने मॉडलों को एक अधिक मनुष्य-केंद्रित दिशा में ले जाने का अवसर चूक रही हैं?

मुझे डर है कि इसका उत्तर हां है। दूसरा सवाल है कि क्या चीन अमेरिका से आगे निकल रहा है? यदि ऐसा है, तो क्या इसका मतलब यह है कि सत्तावादी तंत्र भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में विकसित इनोवेशंस की न केवल बराबरी कर सकता है, बल्कि उनसे बेहतर प्रदर्शन भी कर सकता है?

मैं तो अभी तक यही समझता था कि तानाशाही शासन-तंत्र इनोवेशन को बाधित करता है, लेकिन डीपसीक की सफलता इस सोच को चुनौती देती है। हालांकि अभी इसका प्रमाण नहीं मिला है कि क्या तानाशाही देशों का इनोवेशन समावेशी-लोकतंत्रों के जितना ही शक्तिशाली या टिकाऊ हो सकता है।

आखिर, डीपसीक अमेरिका (और कुछ हद तक यूरोप) में वर्षों की प्रगति पर ही तो आधारित है। इसके सभी बुनियादी मैथड अमेरिका में ही विकसित हुए थे। ये अमेरिका की बिग टेक फर्में ही थीं, जिन्होंने ट्रांसफॉर्मर मॉडल, चेन-ऑफ-थॉट रीजनिंग और डिस्टिलेशन की शुरुआत की, जिन्होंने आगे चलकर एआई की बुनियाद रखी। इन मायनों में डीपसीक ने जो किया, वह इनोवेशन से ज्यादा इंजीनियरिंग की सफलता माना जा सकता है।

डीपसीक दूसरी चीनी एआई फर्मों से इन मायनों में अलग है, क्योंकि चीन में विकसित होने वाली अधिकतर टेक्नोलॉजी सरकार के लिए या सरकारी फंडिंग से होती है। क्या डीपसीक की रचनात्मकता और गतिशीलता उसके दुनिया की नजरों में आने के बाद भी जारी रहेगी? उसकी उपलब्धि को इस बात का सबूत नहीं माना जा सकता कि चीन इनोवेशन के क्षेत्र में खुली सोच रखने वाले समाजों को हरा सकता है।

भू-राजनीति से संबंधित सवाल यह है कि क्या चीनी एआई रिसर्च को रोकने के लिए अमेरिका ने निर्यात में नियंत्रण सहित दूसरे जो उपाय किए थे, वे नाकाम हुए हैं? इसका उत्तर भी अस्पष्ट है। क्योंकि डीपसीक ने अपने नवीनतम मॉडल (V3 और R1) को पुराने और कम शक्तिशाली चिप पर ट्रेन किया है, इसे आगे ले जाने के लिए उसे और शक्तिशाली चिप की आवश्यकता हो सकती है।

जो देश पहले एजीआई (आर्टिफिशियल जनरल इंटेजिलेंस, जो मनुष्यों जैसी कॉग्निटिव क्षमताओं से लैस हो) विकसित कर लेगा, उसका भू-राजनीति की दुनिया में दबदबा होगा। डीपसीक भी एजीआई को डेवलप करना चाहता है और वो ऐसा मॉडल बनाना चाहता है, जिसे ट्रेन करना सस्ता हो। यह गेम-चेंजर साबित हो सकता है। क्या हमें एजीआई तक पहुंचना चाहिए, यह दीगर सवाल है। लेकिन डीपसीक ने अमेरिकी टेक इंडस्ट्री के अति-आत्मविश्वास को हिला जरूर डाला है।

क्या डीपसीक की रचनात्मकता उसके दुनिया की नजरों में आने के बाद भी जारी रहेगी? उसकी उपलब्धि को इस बात का सबूत नहीं माना जा सकता कि चीन इनोवेशन के क्षेत्र में खुली सोच रखने वाले समाजों को हरा सकता है। (© प्रोजेक्ट सिंडिकेट)

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