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- Thomas L. Friedman’s Column Trump’s Interests Do Not Match Netanyahu’s
8 घंटे पहले
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थॉमस एल. फ्रीडमैन, तीन बार पुलित्ज़र अवॉर्ड विजेता एवं ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में स्तंभकार
हो सकता है डोनाल्ड ट्रम्प को यहूदियों या अरबों के इतिहास में कोई दिलचस्पी न हो, लेकिन आज ये दोनों उनमें बहुत रुचि रखते हैं। ट्रम्प के पास इस क्षेत्र को इस तरह से नया रूप देने का मौका है, जो इजराइलियों, फिलिस्तीनियों और इस क्षेत्र के लोगों की शांति और समृद्धि के साथ-साथ अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को भी खासा बढ़ा सकता है।
इसमें सफलता की कीमत भले बहुत ज्यादा हो, लेकिन असफलता के परिणाम तो बहुत ही भयानक साबित होंगे। और इससे मुंह फेरने का कोई रास्ता नहीं है। आने वाले समय में मध्य-पूर्व या तो एक मजबूत क्षेत्र के रूप में नया जन्म लेगा, जहां देशों के बीच सामान्य संबंध होंगे, या वो अराजकता और टकरावों से भरे क्षेत्र के रूप में विघटित हो जाएगा।
जब बात इजराइल और फिलिस्तीनियों के बीच शांति स्थापित करने की आती है तो हमें यह भी ध्यान रखना होता है कि कहीं इजराइल के द्वारा वेस्ट बैंक में बसाई जा रही बस्तियां टू-स्टेट सॉल्यूशन की किसी भी गुंजाइश को पूरी तरह से खत्म न कर दें; लेबनान में 50 साल से जारी गृहयुद्ध का समय रहते अंत किया जाए, सीरिया को 14 साल के संघर्ष के बाद फिर से एकीकृत होने का मौका दिया जाए और ईरान को परमाणु बम मिलने से पहले उसकी ताकत कम कर दी जाए। और यह सब करने का समय ठीक अभी है।
7 अक्टूबर, 2023 के बाद पहली बार मध्य-पूर्व में अब उम्मीद की एक किरण दिखाई दी है, जब संघषर्-विराम के बाद इजराइलियों ने एक साल से अधिक समय से बंधक रहे अपने प्रियजनों को गले लगाया और गाजा के लोग शरणार्थी-शिविरों को छोड़कर अपने घरों में लौट आए, बशर्ते उनके घर अभी भी वहां पर मौजूद हों।
हारेट्ज़ अखबार ने गाजा शहर में एक विस्थापित फिलिस्तीनी अहमद मत्तर से बात की, जिन्होंने कहा : ‘लोग बस इतना चाहते हैं कि यह पागलपन बंद हो!’ बेंजामिन नेतन्याहू के साथ अपनी हालिया बातचीत और संघषर्-विराम के लिए उन पर दबाव डालने के बाद ट्रम्प समझ गए होंगे कि उनकी राजनीतिक और कूटनीतिक आकांक्षाएं नेतन्याहू से विपरीत हैं।
नेतन्याहू बाइडेन को आसानी से फुसला सकते थे, लेकिन ट्रम्प को नहीं। अमेरिका के हितों पर ट्रम्प का फोकस वास्तव में नेतन्याहू के राजनीतिक करियर का अंत भी कर सकता है। हारेट्ज़ ने सोमवार को यह हेडिंग अकारण ही नहीं दी थी कि नेतन्याहू गाजा सीज़फायर डील को नाकाम करने की कोशिश करेंगे।
ट्रम्प की दिलचस्पी इजराइल और सऊदी अरब को अन्य अरब देशों के साथ अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन में लाने में है और इसके लिए इजराइल को फिलिस्तीनी प्राधिकरण के साथ टू-स्टेट सॉल्यूशन पर बातचीत शुरू करनी होगी।
जबकि नेतन्याहू का राजनीतिक अस्तित्व इस संघर्ष-विराम के बाद गाजा युद्ध के फिर से शुरू होने और फिलिस्तीनी प्राधिकरण के साथ बातचीत शुरू न करने पर निर्भर करता है। यही कारण है कि 2023 में जब हमास के हमले के जवाब में नेतन्याहू ने गाजा से हमास को जड़ से उखाड़ने के लिए युद्ध शुरू किया था, तो इसके दो विरोधाभासी लक्ष्य थे। साथ ही, युद्ध समाप्त होने के बाद फिलिस्तीनियों के साथ शांति के लिए उनके पास कोई स्पष्ट दृष्टिकोण नहीं था।
नेतन्याहू का लक्ष्य हमास पर पूर्ण विजय और बंधकों की वापसी था। लेकिन हमास पर पूर्ण सैन्य विजय का मतलब अधिकांश बंधकों की मृत्यु होगा। दुर्भाग्य से, नेतन्याहू के मंत्रिमंडल में बैठे यहूदी वर्चस्ववादियों ने उन्हें गाजा के अधिकांश हिस्से को नष्ट करने के लिए युद्ध करने के लिए मजबूर किया, फिर भले ही इजराइल पर युद्ध-अपराधों का आरोप ही क्यों न लगाया जाए। उन्हें उम्मीद थी कि इससे बड़े पैमाने पर फिलिस्तीनियों का विस्थापन होगा और गाजा के कुछ हिस्से पर इजराइल का कब्जा हो जाएगा।
हमास फिलिस्तीनी लोगों के लिए एक अभिशाप साबित हुआ है। लेकिन उसे केवल अधिक उदार फिलिस्तीनियों द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है। नेतन्याहू ने कभी भी हमास के एक बेहतर विकल्प के रूप में वेस्ट बैंक फिलिस्तीनी प्राधिकरण की मदद करने की कोशिश नहीं की।
हर बार जब इजराइल गाजा में अपने सैन्य-अभियान पूरे करता है और वहां से पीछे हटता है तो हमास के आतंकवादी फिर से संगठित हो जाते हैं। कारण, वहां पर नेतृत्व के खालीपन को भरने के लिए कोई और होता ही नहीं। हमास जितने आतंकवादी खोता है, लगभग उतने ही नए आतंकवादियों को भर्ती कर लेता है। यह एक ऐसी लड़ाई का नुस्खा है, जो कभी भी खत्म नहीं हो सकती।
बेंजामिन नेतन्याहू जो बाइडेन को तो आसानी से फुसला सकते थे, लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प को नहीं बरगला सकेंगे। अमेरिका के हितों पर ट्रम्प का फोकस वास्तव में नेतन्याहू के राजनीतिक करियर का अंत भी कर सकता है। (‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ से)