स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। इसके बाद घर के मंदिर में भगवान गणेश का ध्यान करते हुए चतुर्थी व्रत और पूजा करने का संकल्प लें।
भगवान गणेश को रोली, चावल, मौली, दूर्वा, मोदक, लड्डू, फल, नारियल, पान, सुपारी, धूप, दीप, गंगाजल, और फल-फूल आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। भगवान के मंत्रों का जप करें।
मंत्र – 1. ऊँ गं गणपतये नम:
2. श्री गणेशाय नम:
3. वक्रतुण्ड महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।।
धूप और दीप जलाकर आरती करें।
पूजा के अंत में भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा मांगे। पूजा के बाद प्रसाद बांटें।
पूजा के बाद दिनभर निराहार रहें, जो लोग भूखे नहीं रह पाते हैं, उन्हें फलों का, दूध और फलों के रस का सेवन करना चाहिए। शाम को चंद्र दर्शन करें, गणेश पूजा और चंद्र पूजा करें। इसके बाद अन्न का सेवन कर सकते हैं। इस तरह चतुर्थी व्रत पूरा होता है।