पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:  प्रसन्न मन से अकेलापन दूर करके जिया जा सकता है
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: प्रसन्न मन से अकेलापन दूर करके जिया जा सकता है

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40 मिनट पहले

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पं. विजयशंकर मेहता - Dainik Bhaskar

पं. विजयशंकर मेहता

जब हम सपना देखते हैं, तो वो सच लगता है। सुबह उठकर ध्यान आता है कि सपना था। संसार ऐसा ही है। कुछ लोग जब रिटायरमेंट-लाइफ जीते हैं, तो बहुत परेशान हो जाते हैं। जो राजनीति में रहे, बड़े कारोबारी, नौकरी में उच्च पदों पर, लोकप्रिय खिलाड़ी- एक न एक दिन ये सब सेवानिवृत्त होते हैं।

जब ये अपनी कामयाबी की दौड़ में होते हैं, तो निजी जीवन की कुर्बानी दे देते हैं। वर्तमान में जो वैभव होता है, वही उनकी छवि बना देता है। वे भूल जाते हैं कि एक दिन यह सब जाना है। इनकी दिनचर्या, इनकी रुचि पर इनके पद, प्रभाव और प्रतिष्ठा का इतना असर पड़ता है कि ये उसे ही सच मान लेते हैं।

जैसे ही इनके दिन गुजर जाते हैं, तो जो ये थे, उससे निकलने में इनको बड़ा समय लगता है। इनके कैरेक्टर में अकेलापन उतर आता है। इसलिए जब आपको लगे कि आपका प्रभावशाली वक्त जाने वाला है, तो 4-5 साल पहले ही उसका विकल्प चुनें कि सेवानिवृत्ति के बाद क्या कर सकते हैं, और कैसे प्रसन्न मन से अकेलेपन को दूर करके जिया जा सकता है।

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