पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:  भीड़तंत्र से बचना होगा, नहीं तो विचार खो जाएंगे
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: भीड़तंत्र से बचना होगा, नहीं तो विचार खो जाएंगे

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2 घंटे पहले

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पं. विजयशंकर मेहता - Dainik Bhaskar

पं. विजयशंकर मेहता

कभी जनसंख्या एक बड़ी समस्या थी, अभी भी है। लेकिन इस जनसंख्या का अव्यवस्थित रूप होता है भीड़। अब भारत में धीरे-धीरे भीड़ एक बहुत बड़ी समस्या बनकर सामने आएगी। भीड़ के कुप्रबंधन का एक ताजा दृश्य देखने को मिला, जब दक्षिण भारत में एक अभिनेता अपने फिल्म के प्रीमियर पर बिना सूचना दिए पहुंच गए, जिससे भगदड़ मच गई और एक महिला की मौत हो गई।

इसलिए हमें भीड़ के प्रति अत्यधिक सावधान रहना चाहिए। भीड़ से कई कठिनाइयां तो आती ही हैं, यातायात की आती है, स्वास्थ्य की आती है, लेकिन भीड़ से एक और दिक्कत ये है कि जैसे-जैसे देश में भीड़ बढ़ेगी, देश की सामाजिक चेतना पर फर्क पड़ेगा। क्योंकि भीड़ की अपनी कोई सोच नहीं होती, उसे हांका जा कता है।

इस भीड़ को समूह में बदलिए क्योंकि समूह का अपना विचार होता है। अगर देश में ऐसे ही भीड़तंत्र चला, तो विचार खो जाएगा। और कुछ लोग अनेक लोगों पर अपनी मर्जी से राज करेंगे। इसका एक झटका लोकतंत्र पर भी लगेगा, धर्मतंत्र तो आहत होगा ही।

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