पाचन तंत्र की सफाई के लिए जरूरी है व्रत करना:  एकादशी व्रत कल – जानिए व्रत से धर्म लाभ के साथ ही कौन-कौन से हेल्थ बेनिफिट्स मिलते हैं?
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पाचन तंत्र की सफाई के लिए जरूरी है व्रत करना: एकादशी व्रत कल – जानिए व्रत से धर्म लाभ के साथ ही कौन-कौन से हेल्थ बेनिफिट्स मिलते हैं?

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8 घंटे पहले

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कल (शनिवार, 8 फरवरी) जया एकादशी का व्रत किया जाएगा। व्रत करने से धर्म लाभ के साथ ही हेल्फ बेनिफिट्स भी मिलते हैं। व्रत करते हैं तो हम भूखे रहते हैं, भूखे रहने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और पाचन तंत्र की सफाई भी होती है। जब अन्न का त्याग करते हैं तो आलस दूर होता है, पूजा-पाठ, मंत्र जप और ध्यान में एकाग्रता बनी रहती है। व्रत के साथ ही ध्यान भी करेंगे तो नकारात्मक विचार और मन की अशांति दूर होती है।

व्रत करने से शरीर में होती है ऑटोफेजी प्रक्रिया

जब हम व्रत करते हैं, तब शरीर में ऑटोफेजी नाम की प्रक्रिया होती है। ये एक जैविक प्रक्रिया है, इस प्रक्रिया में हमारा शरीर खुद की सफाई करता है, जो कोशिकाएं खराब हो चुकी हैं, उन्हें हटाता है। ऑटोफेजी शब्द ग्रीक भाषा के Auto यानी स्वयं और Phagy यानी खाना से मिलकर बना है। इस शब्द का शाब्दिक अर्थ है स्वयं को खाना।

ऑटोफेजी प्रक्रिया में शरीर अपनी खराब कोशिकाओं को खुद हटाता है और अच्छी कोशिकाओं को बनाए रखता है। इस प्रक्रिया की वजह से कई रोगों से हमारी रक्षा होती है और उम्र बढ़ती है। व्रत फैट बर्न करने में मदद करता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

व्रत करते समय किन बातों का ध्यान रखें

व्रत में हमें बहुत ज्यादा फलाहार नहीं करना चाहिए। व्रत के दिन ज्यादा से ज्यादा समय तक भूखे रहने की कोशिश करनी चाहिए और जरूरी ऊर्जा मिल सके, इतना ही फलाहार करना चाहिए। अगर पेटभर फलाहार कर लेंगे तो व्रत से हेल्थ बेनिफिट्स नहीं मिल पाएंगे।

छोटे बच्चे, रोगी, गर्भवती महिलाओं को व्रत करने से बचना चाहिए। इन लोगों को भूखे रहने से दिक्कत हो सकती है। ये लोग संतुलित आहार लेकर पूजा-पाठ कर सकते हैं।

आयुर्वेद व्रत से पेट से जुड़ी समस्याएं होती हैं दूर

चरक संहिता के सूत्रस्थानम् अध्याय में उपवास का महत्व बताया गया है। व्रत करना शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। आयुर्वेद में रोगों का उपचार 6 तरह से किया जाता है। ये 6 प्रकार हैं लंघन, बृंहण, रूक्षण, स्नेहन, स्वेदन और स्तंभन। इनमें लंघन का महत्व काफी अधिक है। इसमें शरीर को हल्कापन देने वाले द्रव्यों का उपयोग किया जाता है। लंघन के भी 10 प्रकार हैं। वमन, विरेचन, शिरोविरेचन, निरूढ़ वस्ति, पिपासा, वायु का सेवन, धूप का सेवन, पाचन औषध-द्रव्यों का सेवन, उपवास और व्यायाम।

लंघन के 9वें प्रकार उपवास से पाचन ठीक होता है। कफ और पित्त नियंत्रित होते हैं। वात विकार यानी गैस, अपच, डकार आना, जी मचलाना जैसे समस्या में उपवास बहुत लाभदायक होते हैं। एक दिन अन्न ग्रहण न करने पर हमारे पाचनतंत्र को आराम मिलता है। ऐसी स्थिति में पाचनतंत्र और पेट की भी सफाई हो जाती है। फलों के सेवन से शरीर को जरूरी ऊर्जा मिलती है।

व्रत से जुड़ी रिसर्च चूहों को कराया गया था व्रत

जापानी साइंटिस्ट योशिनोरी ओशुमी ने ऑटोफेजी प्रक्रिया का फायदा समझाया था। इस रिसर्च के लिए उन्हें वर्ष 2016 में मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार मिला था।

अमेरिका के टेक्सास विश्वविद्यालय मेडिकल सेंटर में व्रत से जुड़ी एक शोध चूहों पर हुई थी। इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने कुछ चूहों को दो समूहों में बांटा था। एक ग्रुप के चूहों को समय पर खाना दिया गया, दूसरे ग्रुप के चूहों को समय-समय पर व्रत कराया गया और थोड़ा-थोड़ा खाना दिया गया।

रिसर्च के नतीजे में वैज्ञानिकों ने देखा कि जिन चूहों को समय-समय पर व्रत कराया गया, वे स्वस्थ थे और उनकी उम्र भी बढ़ गई थी। दूसरी ओर जिन चूहों को खूब खाना दिया गया, वे चूहे मोटे हो गए थे और बीमार रहने लगे थे।

इस रिसर्च से यह साबित हो गया कि व्रत करने से शरीर कई रोगों से बचा रहता है और व्रत करने वाले व्यक्ति की उम्र भी बढ़ती है।

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