पूर्णिमा की रात चंद्र को दिया जाता है अर्घ्य:  14 दिसंबर को मार्गशीर्ष पूर्णिमा, इस पर्व पर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने-सुनने की परंपरा
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पूर्णिमा की रात चंद्र को दिया जाता है अर्घ्य: 14 दिसंबर को मार्गशीर्ष पूर्णिमा, इस पर्व पर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने-सुनने की परंपरा

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अर्घ्य देने के लिए जरूरी चीजें – चांदी का लोटा, दूध, चावल।

ऐसे चढ़ाएं अर्घ्य – चांदी के लोटे में दूध भरें, दूध में चावल डालें। चंद्र देव की ओर मुंह करके खड़े हो जाएं। जमीन पर बड़ी थाली रखें और इसके बाद ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र बोलते हुए दोनों हाथों को ऊंचा करके लोटे से चंद्र को अर्घ्य चढ़ाएं। लोटे से दूध की धारा थाली में गिराएं। अर्घ्य देने के बाद ये दूध दान कर सकते हैं।

अगर दूध न हो तो पानी से चंद्र को अर्घ्य दें। चांदी का लोटा न हो तो मिट्टी के कलश से अर्घ्य दे सकते हैं।



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