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4 घंटे पहले
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![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2025/01/23/buddha-cover-photo_1737635692.jpg)
गौतम बुद्ध से जुड़ा प्रेरक प्रसंग है। एक नदी के किनारे बुद्ध और उनके शिष्य ठहरे हुए थे। एक दिन उस नदी के किनारे चार लोग नाव से उतरे। वे चारों नाव से नदी पार करके वहां पहुंचे थे।
चारों लोग पहनावे से विद्वान दिख रहे थे। नाव से उतरकर चारों ने चर्चा की कि इस नाव की मदद से हम नदी पार करके आए हैं। इस नाव को हम यहां कैसे छोड़ सकते हैं?
एक व्यक्ति ने कहा कि जो हमारे काम आया है, हमें भी उसके काम आना चाहिए, यही नीति है। इसलिए अच्छा तो ये होगा कि हम नाव पर चढ़कर आए हैं तो अब हमें नाव को धन्यवाद देने के लिए इसे उठा लेना चाहिए। ये बात से चारों लोग सहमत हो गए।
उन चारों ने नाव को सिर पर उठाया और वहां से आगे बढ़ने लगे। काफी लोग उन्हें देख रहे थे, सभी चर्चा कर रहे थे कि ये लोग या तो बहुत बुद्धिमान हैं या एकदम मूर्ख हैं। किसी ने इन चारों से नाव को उठाने की वजह पूछी।
इन चारों लोगों ने कहा कि इस तरह हम नाव के प्रति अपना आभार व्यक्त कर रहे हैं। इस नाव ने हमें नदी पार करवाई है, अब हम इसे सिर पर रख रहे हैं। पहले हम इसकी सवारी बने थे, अब ये हमारी सवारी बनी है। आभार व्यक्त करना अच्छी बात है।
ये पूरी घटना बुद्ध और उनके शिष्य भी बहुत ध्यान से देख रहे थे। शिष्यों ने बुद्ध से कहा कि तथागत इस घटना के बारे में आप क्या कहना चाहते हैं?
गौतम बुद्ध की सीख
बुद्ध बोले कि ये लोग जो कुछ कर रहे हैं, ये तो इनकी अपनी सोच है, लेकिन मुझे ये लगता है कि ये घटना हमें एक सीख दे रही है।
लोग अपनी-अपनी चीजों के मोह में इस तरह फंस जाते हैं कि वे अपना लक्ष्य ही भूल जाते हैं। नाव तो एक मात्र साधन है, एक साधन से आप कहीं पहुंचे हैं, आपको उसे छोड़कर अपनी मंजिल की ओर बढ़ना चाहिए, लेकिन आप साधन को पकड़कर बैठ जाएंगे तो मंजिल तक नहीं पहुंच पाएंगे।
चीजों के मोह में फंस रहेंगे तो कभी भी लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा। चीजों का मोह छोड़कर लक्ष्य की ओर बढ़ने में ही समझदारी है। हमारे आसपास जो भी सुख-सुविधा की चीजें हैं, इनका उपयोग करें, लेकिन इनसे मोह न रखें।