बुधवार को माघी पूर्णिमा:  तीर्थ दर्शन और नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो पानी में गंगाजल मिलाकर करें स्नान, जानिए क्या करें और क्या न करें
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बुधवार को माघी पूर्णिमा: तीर्थ दर्शन और नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो पानी में गंगाजल मिलाकर करें स्नान, जानिए क्या करें और क्या न करें

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4 घंटे पहले

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बुधवार, 12 फरवरी को माघ मास की पूर्णिमा है। इस पर्व पर तीर्थ दर्शन और नदी स्नान करने की परंपरा है। इसी वजह से गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा जैसी नदियों में कई श्रद्धालु इस दिन स्नान करने पहुंचेंगे। अभी प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है, माघी पूर्णिमा पर यहां करोड़ों भक्त संगम में स्नान करेंगे। पूर्णिमा पर चंद्र अपनी पूर्ण कलाओं के साथ दिखाई देता है। इस दिन चंद्र उदय के बाद चंद्र की पूजा की जाती है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, जो लोग माघी पूर्णिमा पर नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। गंगाजल न हो तो सामान्य पानी को ही गंगा जल का स्वरूप मानकर स्नान करें। मंत्र – गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।। का जप करते हुए स्नान करें। स्नान के बाद घर के आसपास ही जरूरतमंद लोगों को भोजन, अनाज, जूते-चप्पल, धन, कपड़े का दान कर सकते हैं।

माघी पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताएं

  • इस तिथि पर किए गए दान-पुण्य, नदी स्नान से अक्षय पुण्य मिलता है, ऐसा पुण्य जिसका शुभ असर जीवन भर बना रहता है। व्यक्ति का मन भगवान की भक्ति में लगे रहता है।
  • इस तिथि पर पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध, तर्पण, धूप-ध्यान करना चाहिए।
  • माघी पूर्णिमा पर स्नान के बाद तिल, गुड़, कंबल, अन्न और वस्त्र दान करना चाहिए।
  • माघी पूर्णिमा का व्रत रखने की भी परंपरा है। इस दिन निराहार रहकर भगवान के मंत्रों का जप करें, इष्टदेव का ध्यान करें।
  • इस पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने-सुनने की भी परंपरा है।
  • माघी पूर्णिमा पर गायत्री मंत्र, विष्णु सहस्रनाम और शिव मंत्र का जप करना चाहिए। इस दिन हवन पूजन आदि शुभ काम भी किए जा सकते हैं।
  • व्रत-उपवास और पूजा-पाठ करने वाले भक्तों को अधार्मिक कार्यों से बचना चाहिए, खान-पान में संयम रखें। क्रोध पर नियंत्रण रखें, शांत रहकर काम करें।
  • माघी पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का विशेष अभिषेक करना चाहिए।

पूर्णिमा के नाम से तय होता है हिन्दी महीने का नाम

हिन्दी पंचांग में पूर्णिमा तिथि का नाम उस दिन के नक्षत्र पर रखा गया है। पूर्णिमा महीने की अंतिम तिथि मानी जाती है, इस तिथि के नक्षत्र के आधार पर ही महीने का नाम भी तय होता है। जैसे 12 फरवरी को पूर्णिमा पर मघा नक्षत्र रहेगा तो इस तिथि का नाम माघी पूर्णिमा है और इस महीने का नाम माघ मास है।

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