मकर संक्रांति का ज्योतिषीय और व्यावहारिक महत्व:  तिल से कैल्शियम और धूप से मिलता है विटामिन डी, इस त्योहार पर सूर्य, शनि और मंगल देते हैं शुभ फल
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मकर संक्रांति का ज्योतिषीय और व्यावहारिक महत्व: तिल से कैल्शियम और धूप से मिलता है विटामिन डी, इस त्योहार पर सूर्य, शनि और मंगल देते हैं शुभ फल

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9 घंटे पहले

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ज्योतिष के मुताबिक सूर्य जब मकर राशि में आता है तो ये त्योहार मनाते हैं। मकर राशि शनि की राशि है। सूर्य को आत्मा का कारक ग्रह माना गया है। वहीं, शनि को आलस्य और स्वार्थ का ग्रह माना जाता है।

इस दिन सूर्य पर शनि का प्रभाव पड़ने से आत्मबल कमजोर नहीं हो। इसके लिए शनि से जुड़े दान में तिल दिए जाते हैं। इन तिल में मंगल यानी गुड़ को बांधकर दिया जाता है। इस तरह ये त्योहार सूर्य, शनि और मंगल से मिलने वाले अशुभ फल को खत्म करता है।

सूर्य मकर राशि में जब आते हैं तो उत्तरायण होते हैं। उत्तरायण सूर्य का महत्व महाभारत में बता दिया गया है। भीष्म पितामह तब तीरों की शय्या पर थे तब उन्हें सूर्य की पहली किरण ने ही मुक्ति दी थी। यानी उत्तरायण सूर्य की पहली किरण मुक्ति देने वाली मानी जाती है, इसलिए इस दिन उगते सूरज को अर्घ्य देकर प्रणाम किया जाता है।

अब बात करते हैं मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ खाने और पतंग उड़ाने की..

सर्दियों में तिल खाने से शरीर को गर्माहट और कैल्शियम मिलता है। वहीं, सूर्य से विटामिन डी मिलता है। माना जाता है धूप में पतंग उड़ाने से शरीर में विटामिन डी की कमी दूर हो जाती है। इसलिए सनातन में इस दिन तिल-गुड़ खाने और दान करने की परंपरा बनाई गई।

उत्तरायण सूर्य की शक्ति पहचान कर इस मनोरंजन को भी सेहतमंद बनाया गया है। इस पर्व पर पूरे दिन धूप में रहकर पतंग उड़ाई जाती है। ताकि मानसिक और शारीरिक तौर पर मजबूती बनी रहे।

पतंग से सीख लें तो, पतंग उड़ाने से इंसान अपनी विचार शक्ति को पतंग के समान ऊंचा उठा पाता है। साथ ही जमीन के साथ आसमान को नापने के लिए भी संकल्प लेता है।

पतंग को नियंत्रित करने के लिए डोर को अपने हाथ में रखकर नियंत्रण अपने हाथ में रखता है और अपनी इच्छा के अनुसार ही उड़ाता है। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर जीवन में विपरीत समय आए तो तुरंत खुद को बचा सकते हैं। जैसे आंधी तूफान या बरसात में पतंग को डोर खींचकर बचाया जाता है।

यदि आप अपने जीवन में पतंग के समान सफलता के शिखर पर हैं फिर भी आप अनावश्यक रूप से किसी से उलझते या झगड़ा करते हैं या फिर अपने गुरु या परिवार से अपना हाथ छुड़ाते है, तो पतंग के समान ही कटकर जमीन पर गिरकर खत्म हो जाते हैं या लूट लिए जाते हैं।

कटी पतंग से सीख लें: किसी के पुण्यों का उदय हो रहा हो तो वह कटने के बाद भी परिवार, गुरु और देवता के आंगन में गिर जाते हैं और वहां से दोबारा शिक्षा प्राप्त कर अपने जीवन मूल्यों की डोर थाम लें, तो फिर से उड़ने लग जाते हैं। इससे जीवन में सफल हो पाते हैं।



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