माघी पूर्णिमा 12 फरवरी को:  पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ करने की परंपरा, जानिए इस कथा से जुड़ी खास बातें
जीवन शैली/फैशन लाइफस्टाइल

माघी पूर्णिमा 12 फरवरी को: पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ करने की परंपरा, जानिए इस कथा से जुड़ी खास बातें

Spread the love


  • Hindi News
  • Jeevan mantra
  • Dharm
  • Maghi Purnima Is On 12th February, Satyanarayan Katha Significance In Hindi, How To Worship To Satyanarayana Bhagwan

20 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

बुधवार, 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा है। पूर्णिमा से जुड़ी कई परंपराएं हैं। इस तिथि पर नदी स्नान, तीर्थ दर्शन, हवन-पूजन, दान-पुण्य जैसे धर्म-कर्म किए जाते हैं। इस पर्व पर भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ करने की और व्रत-पूजा करने की भी परंपरा है। ये स्कंद पुराण में बताई गई है। जानिए इस कथा से जुड़ी खास बातें…

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, ग्रंथों में लिखा है कि सत्यनारायण भगवान की कथा पढ़ने-सुनने, पूजा और व्रत करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ये कथा खासतौर पर पूर्णिमा पर की जाती है, क्योंकि धर्म-कर्म के नजरिए से पूर्णिमा तिथि का महत्व काफी अधिक है। इस दिन चंद्र अपने पूर्ण स्वरूप में दिखाई देता है, ये दिन सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। पूर्णिमा के बाद से चंद्र घटना शुरू हो जाता है, पूर्ण चंद्र के साथ किए गए धर्म-कर्म अक्षय पुण्य देते हैं, ऐसी मान्यता है।

ये हैं संक्षिप्त सत्यनारायण कथा

  • सत्यनारायण भगवान की कथा पांच अध्यायों में है। पहला अध्याय नारद मुनि और भगवान विष्णु से जुड़ा है। इस कथा में नारद ने विष्णु जी से सत्यनारायण व्रत के बारे में पूछा है। विष्णु जी ने बताया है कि जो भक्त सत्यनारायण व्रत करते हैं, उनके दुख दूर होते हैं।
  • दूसरे अध्याय में काशी के एक गरीब ब्राह्मण की कथा है। सत्यनारायण व्रत से उस ब्राह्मण की सभी समस्याएं खत्म हो गई थीं। तीसरे अध्याय में बताया गया है कि एक व्यापारी ने सत्यनारायण व्रत किया था, जिसके फल में उसे धन-संपत्ति प्राप्त हुई, लेकिन वह बाद में व्रत से जुड़े नियम भूल गया और उसे परेशानियों का सामना करना पड़ा। जब उसने फिर से सत्यनारायण व्रत किया तो उसकी परेशानियां खत्म हो गईं।
  • चौथे अध्याय में एक राजा की कथा है। राजा ने सत्यनारायण भगवान की उपेक्षा कर दी थी, इस वजह से उसका राजपाठ बर्बाद हो गया था। जब राजा को अपनी गलती का अहसास हुआ तो उसने सत्यनारायण व्रत किया और उसका जीवन सुखी हो गया।
  • पांचवें अध्याय में निषाद पुत्र से जुड़ी कथा है। निषाद पुत्र ने सत्यनारायण व्रत किया था, जिससे उसका भाग्योदय हो गया।

सत्यनारायण कथा का जीवन प्रबंधन

ये कथा हमें सत्य का पालन करने की और भगवान में आस्था बनाए रखने का संदेश देती है। झूठ और अधर्म के रास्ते पर चलने से जीवन में परेशानियां आती हैं। इसलिए हमें जीवन में सत्य को अपनाना चाहिए और गलत कामों से दूर रहना चाहिए।

सत्यनारायण कथा करने की विधि

पूजन सामग्री – भगवान सत्यनारायण की प्रतिमा या चित्र, पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और मिश्री से बना पंचामृत, फल-फूल, तुलसी पत्ते, भोग के लिए हलवा और चूरमा, नारियल, केले और आम के पत्ते, भगवान के श्रृंगार के वस्त्र आदि, कुमकुम, गुलाल, अबीर जैसी पूजन सामग्री, धूप-दीप, कथा की किताब।

पूजा विधि – स्नान के बाद सत्यनारायण भगवान की फोटो या मूर्ति स्थापित करें। पंचामृत से अभिषेक करें और फल-फूल चढ़ाएं। श्रृंगार करें। धूप-दीप जलाएं। पूजन सामग्री चढ़ाएं। तुलसी के साथ भोग लगाएं। कथा का पाठ करें। प्रसाद अर्पित करें और परिवार के सदस्यों में बांटें।

खबरें और भी हैं…



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *