मिन्हाज मर्चेंट का कॉलम:  महाकुम्भ का सफल आयोजन योगी की नियति भी तय करेगा
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मिन्हाज मर्चेंट का कॉलम: महाकुम्भ का सफल आयोजन योगी की नियति भी तय करेगा

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8 घंटे पहले

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मिन्हाज मर्चेंट, लेखक, प्रकाशक और सम्पादक - Dainik Bhaskar

मिन्हाज मर्चेंट, लेखक, प्रकाशक और सम्पादक

अगले कुछ हफ्तों में प्रयागराज में महाकुम्भ के लिए लगभग 40 करोड़ लोग जुटेंगे। मनुष्यों का वह चलता-फिरता समूह अमेरिका की पूरी आबादी से भी ज्यादा है! दुनिया के इस सबसे बड़े धार्मिक समागम में भारत की सदियों पुरानी आध्यात्मिक परम्परा का एआई की मदद से बने एक अस्थायी शहर के साथ मेल हो रहा है, जो दुनिया के सबसे जटिल आयोजनों में से एक का प्रबंधन करेगा।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए एक सफल महाकुम्भ का आयोजन एक बहुत बड़ी चुनौती है और नरेंद्र मोदी के बाद के युग में राष्ट्रीय राजनीति में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए अपनी महत्वाकांक्षा को आगे बढ़ाने का एक अवसर भी।

कुम्भ में योगी के मैनेजमेंट कौशल की कड़ी परीक्षा होगी। इतिहास के इस सबसे बड़े महाकुम्भ का प्रबंधन अनिश्चितताओं से भरा है। पिछले महाकुम्भों में अकसर ही भगदड़ और कुप्रबंधन के दृश्य देखने को मिलते रहे हैं। हर 12 साल में आयोजित होने वाला यह यूपी में भाजपा सरकार के तहत पहला महाकुम्भ है। जनवरी-फरवरी 2013 में पिछला महाकुम्भ अखिलेश यादव की सपा सरकार ने आयोजित किया था। तब 10 फरवरी 2013 को इलाहाबाद (प्रयागराज) रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में 42 लोगों की मौत हो गई थी।

योगी प्रशासन ने 2025 के महाकुम्भ में दुर्घटनाओं को रोकने के लिए असाधारण कदम उठाए हैं। छह सप्ताह तक चलने वाले इस आयोजन में कुल 5,400 करोड़ का निवेश किया गया है, ताकि इसमें शामिल होने वाले 40 करोड़ श्रद्धालुओं के लिए इसे यथासम्भव सुरक्षित बनाया जा सके।

परम्परा और आधुनिकता का यह मिश्रण दुनिया भर से आगंतुकों को आकर्षित करेगा। जहां श्रद्धालु पवित्र त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान के लिए जुटेंगे, वहीं आलीशान टेंटों में भारतीयों और विदेशियों के लिए ठहरने की व्यवस्था होगी।

एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम (यूपीएसटीडीसी) ने 2,000 से अधिक कॉटेज-शैली के तम्बुओं के साथ एक टेंट-सिटी की स्थापना की है, जिनमें रहने का खर्च अलग-अलग है। सामुदायिक भोजन और स्नान की सुविधा वाले इन तम्बुओं की कीमतें 1,500 रु. प्रति रात से शुरू होती हैं और वाई-फाई, एयर-कंडीशनिंग और उत्तम भोजन के साथ प्रीमियम विकल्पों के लिए 35,000 रु. प्रति रात तक जाती हैं।

महाकुम्भ में सुरक्षा नवीनतम तकनीक की विशेषता है। 2,751 सीसीटीवी कैमरों वाली सात-स्तरीय प्रणाली- जिसमें 328 एआई निगरानी तकनीक से लैस हैं- रियल टाइम में विशाल महाकुम्भ क्षेत्र की निगरानी करेगी। हवाई निगरानी प्रदान करने के लिए ड्रोन तैनात हैं।

भीड़-प्रबंधन के लिए एआई और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करते हुए एक एकीकृत कमांड और कंट्रोल सेंटर पूरी निगरानी करता है। महाकुम्भ की सुरक्षा प्रणालियों को बाधित करने और ऑनलाइन खतरों से बचने के लिए एक साइबर-सुरक्षा टीम 24/7 ड्यूटी पर है। लगभग 2,000 महिला पुलिसकर्मियों सहित 37,000 से अधिक पुलिस वाले तैनात हैं।

एक सफल महाकुम्भ का आयोजन योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक उत्थान को तय करेगा। यदि योगी फरवरी-मार्च 2027 के यूपी विधानसभा चुनावों में लगातार तीसरी बार जीतते हैं, तो क्या वे सीएम बने रहेंगे या 2029 से पहले केंद्र में जाना चाहेंगे? वैसे तो गृह मंत्री अमित शाह मोदी के स्वाभाविक उत्तराधिकारी हैं।

वे गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी के कार्यकाल के समय से ही उनके सबसे करीबी विश्वासपात्र रहे हैं। लेकिन इसके लिए बेशक भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को सबसे पहले 2029 का लोकसभा चुनाव जीतना होगा। और फिर मोदी को अपना तीसरा कार्यकाल पूरा होने के बाद प्रधानमंत्री पद से हटने का फैसला करना होगा।

दोनों ही घटनाओं की गारंटी नहीं है। राजनीति में, 2029 एक दूर की संभावना है। उस समय मोदी 78 वर्ष के होंगे। संयोग से डोनाल्ड ट्रम्प की उम्र भी इतनी ही है। योगी की उम्र उनके पक्ष में है। महज 52 वर्ष की उम्र में वे उन युवा मुख्यमंत्रियों का हिस्सा बन सकते हैं, जिन्हें मोदी केंद्र में मार्गदर्शन देना चाहेंगे। योगी के अलावा, देवेंद्र फडणवीस और हिमंत बिस्वा सरमा को भी 2029 के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।

लेकिन क्या योगी को भारत और विदेशों में मौजूद राजनीतिक विरोधियों द्वारा निशाना नहीं बनाया जाएगा, जैसा कि मोदी लगातार निशाने पर रहते थे? योगी जानते हैं कि विपक्ष और यहां तक कि उनकी अपनी पार्टी के विघ्नसंतोषी, विदेशी शत्रुओं से ज्यादा खतरनाक हैं। (ये लेखक के अपने विचार हैं)

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