मूर्ति बोले-हफ्ते में 70 घंटे काम कोई थोप नहीं सकता:  इस पर आत्मचिंतन हो बहस नहीं; मैं भी सुबह 6.30 से रात 8.30 तक काम कर रहा
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मूर्ति बोले-हफ्ते में 70 घंटे काम कोई थोप नहीं सकता: इस पर आत्मचिंतन हो बहस नहीं; मैं भी सुबह 6.30 से रात 8.30 तक काम कर रहा

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मुंबई6 घंटे पहले

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नारायण मूर्ति 20 जनवरी को इंडियन मर्चेंट्स चैंबर (IMC) के आयोजित किलाचंद मेमोरियल लेक्चर में शामिल हुए थे। - Dainik Bhaskar

नारायण मूर्ति 20 जनवरी को इंडियन मर्चेंट्स चैंबर (IMC) के आयोजित किलाचंद मेमोरियल लेक्चर में शामिल हुए थे।

इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने हफ्ते में 70 घंटे काम वाले अपने बयान पर सफाई दी। उन्होंने कहा- ऐसा कोई नहीं है जो कह सके कि आपको यह करना चाहिए, आपको यह नहीं करना चाहिए।’

मूर्ति ने कहा, ‘कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक काम करने की मांग नहीं कर सकता है। ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर आत्मचिंतन करना चाहिए ना की बहस। इसकी आवश्यकता समझने की जरूरत है।’

उन्होंने कहा- मैं सुबह 6.30 बजे ऑफिस पहुंचता था और रात 8:30 बजे निकलता था। मैं ऐसा 40 साल से कर रहा हूं। मैंने ऐसा किया ये फैक्ट है। इसलिए कोई भी ये नहीं कह सकता है कि ये गलत है।

नारायण मूर्ति 20 जनवरी को इंडियन मर्चेंट्स चैंबर (IMC) के आयोजित किलाचंद मेमोरियल लेक्चर में शामिल हुए थे। वर्क-लाइफ बैलेंस पर उनसे किए गए सवाल के जवाब में उन्होंने ये बात कही।

दो मौके जब मूर्ति ने हफ्ते में 70 घंटे काम की सलाह दी

अक्टूबर 2023: मूर्ति ने देश के युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी। इसके बाद सोशल मीडिया कई अलग-अलग धड़ों में बंट गया था। मूर्ति के इस बयान के बाद उनकी जितनी आलोचना हुई थी, उतना साथ भी मिला था।

दिसंबर 2024: मूर्ति ने कहा था कि युवाओं को यह समझना होगा कि हमें कड़ी मेहनत करनी होगी और भारत को नंबर एक बनाने की दिशा में काम करना होगा। हमें अपनी आकांक्षाएं ऊंची रखनी होंगी, क्योंकि 800 मिलियन (80 करोड़) भारतीयों को मुफ्त राशन मिलता है। इसका मतलब है कि 800 मिलियन भारतीय गरीबी में हैं। अगर हम कड़ी मेहनत करने की स्थिति में नहीं हैं तो कौन कड़ी मेहनत करेगा।’

राजन भारती मित्तल बोले- परिवार और स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है

भारती एंटरप्राइजेज के चेयरमेन राजन भारती मित्तल ने कहा- हमारी कंपनी में काम का मतलब क्वालिटेटिव वर्क आउट से है, ना कि क्वांटिटेटिव वर्क आउट से। हमें यह कहते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि एयरटेल और भारती एंटरप्राइज में जो भी आता है, वह मालिक के तौर पर आता है, ब्रांड का मालिक होता है। वो जब चाहे तब काम करता है। परिवार महत्वपूर्ण है। आपका स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है। आपको इसे संतुलित करना होगा।

L&T चेयरमैन सुब्रह्मण्यन हफ्ते में 90 घंटे काम के समर्थन में

L&T की इंटरनल मीटिंग की वीडियो रेडिट पर शेयर की गई थी।

L&T की इंटरनल मीटिंग की वीडियो रेडिट पर शेयर की गई थी।

11 जनवरी को लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन SN सुब्रह्मण्यन ने अपने एम्प्लॉइज के साथ L&T की इंटरनल मीटिंग में ऑनलाइन बातचीत के दौरान एक हफ्ते में 90 घंटे काम करने की सलाह दी थी।

उन्होंने कहा था कि अगर संभव हुआ तो कंपनी आपसे रविवार को भी काम करवाएगी।सुब्रह्मण्यन ​​​​ने बातचीत के दौरान कर्मचारियों के सवालों के जवाब भी दिए और सवाल भी किए थे।

जब उनसे पूछा गया कि बिलियन डॉलर वाली ये कंपनी अपने एम्प्लॉइज को शनिवार को भी क्यों बुलाती है। इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि मुझे खेद है कि मैं आपको रविवार को काम नहीं करवा पा रहा हूं। अगर मैं आपको रविवार को भी काम करवा पाऊं, तो मुझे ज्यादा खुशी होगी, क्योंकि मैं रविवार को काम करता हूं।’ पूरी खबर पढ़ें…

अडाणी बोले थे – 8 घंटे घर रहने पर भी बीबी भाग जाएगी

अडाणी ने एएनआई न्यूज एजेंसी के इंटरव्यू में वर्क-लाइफ बैलेंस पर अपनी बात की थी।

अडाणी ने एएनआई न्यूज एजेंसी के इंटरव्यू में वर्क-लाइफ बैलेंस पर अपनी बात की थी।

इससे पहले हाल ही में वर्क-लाइफ बैलेंस पर गौतम अडाणी ने कहा था कि ‘आपका वर्क-लाइफ बैलेंस मेरे ऊपर और मेरा आपके ऊपर थोपा नहीं जाना चाहिए। मान लीजिए, कोई व्यक्ति अपने परिवार के साथ चार घंटे बिताता है और उसमें आनंद पाता है, या कोई अन्य व्यक्ति आठ घंटे बिताता है और उसमें आनंद लेता है, तो यह उसका बैलेंस है। इसके बावजूद यदि आप आठ घंटे बिताते हैं, तो बीवी भाग जाएगी।’

अडाणी ने कहा था कि संतुलन तब महसूस होता है जब कोई व्यक्ति वह काम करता है जो उसे पसंद है। जब कोई व्यक्ति यह स्वीकार कर लेता है कि उसे कभी ना कभी जाना है, तो उसका जीवन आसान हो जाता है। पूरी खबर पढ़ें…

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इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति की हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह पर बहस जारी है। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर डॉक्टर्स तक का कहना है कि सप्ताह में 35-40 घंटों से ज्यादा काम करने से न सिर्फ सेहत खराब होती है, बल्कि कर्मचारियों की जान तक जा सकती है, उनकी परफॉर्मेंस और प्रोडक्टिविटी पर भी बुरा असर पड़ता है। पूरी खबर पढ़ें…

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