रजत मंडित हुए विंध्यवासिनी मंदिर गर्भगृह के दो द्वार : औरंगाबाद के व्यापारी ने  दिया 76 किलो चांदी
होम

रजत मंडित हुए विंध्यवासिनी मंदिर गर्भगृह के दो द्वार : औरंगाबाद के व्यापारी ने दिया 76 किलो चांदी

Spread the love


wo doors of Vindhyavasini temple sanctum sanctorum adorned with silver: Aurangabad trader donated 76 kg silver

मां विंध्यवासिनी दरबार का द्वार रजत मंडित
– फोटो : Amar Ujala

विस्तार


वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें



मां विंध्यवासिनी मंदिर के प्रथम निकास द्वार पर बृहस्पतिवार को चांदी का गेट लगाया गया। बिहार के औरंगाबाद जिले के एक भक्त द्वारा चांदी का गेट व पत्तर मां के चरणों में समर्पित किया गया। दरवाजा और लगाए गए पत्तर का कुल वजन 76 किलो 800 ग्राम है। श्रीविंध्य पंडा समाज व जिला प्रशासन के अधिकारियों की अनुमति के बाद बृहस्पतिवार की शाम चार बजे से प्रथम निकास द्वार का दरवाजा बंद कर कार्य को शुरू हुआ। द्वितीय निकास द्वार से वीआईपी व आम श्रद्धालु के दर्शन पूजन का कार्य सुचारू रूप से चलता रहा।

Trending Videos

तीर्थ पुरोहित सूर्य प्रसाद मिश्रा फन्नर ने बताया कि विगत कई वर्षों से प्रतिमाह दानदाता औरंगाबाद निवासी व्यापारी रविंद्र कुमार सिंह परिवार के साथ दर्शन पूजन करने के लिए आते थे। मां के चरणों में सेवा भाव करने की जिज्ञासा उठी। उन्होंने 76 किलो 800 ग्राम का चांदी का गेट एवं पत्तर मां के चरणों में समर्पित किया। इससे प्रथम निकास द्वार पर दरवाजा व नीचे पत्थर पर चांदी का पत्तर लगाया गया। श्रीविंध्य पंडा समाज के अध्यक्ष पंकज द्विवेदी ने बताया कि मां विंध्यवासिनी के तीर्थ पुरोहित सूर्य प्रसाद मिश्रा के यजमान द्वारा मां के चरणों में चांदी का गेट समर्पित किया गया है।

इसको लगवाने के लिए पंडा समाज कार्यकारिणी की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन, एडीएम वित्त एवं राजस्व शिव प्रताप शुक्ल, नगर मजिस्ट्रेट द्वारा अनुमति लेने के पश्चात कार्य को शुरू किया गया। पहले यह द्वार पीतल का था। इस दौरान पंडा समाज अध्यक्ष, मंत्री भानु पाठक, सूर्य प्रसाद मिश्रा, दीपक मिश्रा , निर्भय मिश्रा एवं मंदिर सुरक्षा प्रभारी राजेश कुमार मिश्रा सहित कई अन्य लोग मौजूद रहे।

दो द्वार हुए चांदी के, अभी दो द्वार पर लगा है पीतल

विंध्याचल । मां विंध्यवासिनी माता के दरबार में गर्भ गृह दो प्रवेश व दो निकास द्वार है। प्रवेश व निकास द्वार पर 6 अप्रैल 1965 चैत्र शुक्ल पंचमी तिथि को हैहय वंशीय क्षत्रिय कसेरा, वाराणसी के सदस्यों द्वारा हस्तकला पीतल उद्योग सहकारी समिति द्वारा लगाए गया था। तीर्थ पुरोहित अन्नपूर्णा प्रसाद पुत्र लाल बिहारी पंडा द्वारा पीतल के दरवाजे मां के चरणों में समर्पित किए गए थे। विगत दिनों लखनऊ के व्यापारी द्वारा प्रथम प्रवेश द्वार पर चांदी का गेट समर्पित किया गया। इसके पश्चात बिहार राज्य के औरंगाबाद के मां के भक्त द्वारा निकास द्वार पर चांदी का गेट समर्पित किया गया। अभी एक प्रवेश व एक निकास द्वार पर पीतल का गेट लगा है।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *