20 घंटे पहलेलेखक: शशांक शुक्ला
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‘डर’ एक भावनात्मक प्रतिक्रिया है। गाहे-बगाहे इससे हमारा सामना होता रहता है। आमतौर पर डर को हम कमजोरी से जोड़ देते हैं। समाज का एक हिस्सा मानता है कि ‘डरना’ एक मेंटल वीकनेस है।
हालांकि ऐसा हो, यह जरूरी नहीं है। डर हमें सावधान करता है और आने वाली परिस्थितियों के लिए पहले से तैयार करता है। इसकी मदद से हम मुसीबतों से आसानी से निपट पाते हैं।
कभी करियर को लेकर, कभी रिश्तों को खोने का डर हमें परेशान करता है। अगर हम इससे निपटना नहीं जानते हैं तो यह निर्णय लेने से रोकता है। हमारी क्षमताओं को सीमित करता है और उद्देश्य तक तक पहुंचने से पहले हार मानने को मजबूर कर सकता है।
ऐसे में आज हम रिलेशनशिप में जानेंगे कि-
- डर का सामना कैसे करें?
- डर को अपने फायदे के लिए कैसे इस्तेमाल करें?
डर क्या है?
डर एक स्वाभाविक मानवीय भावना है। यह हमारे मस्तिष्क का एक रक्षात्मक तंत्र है, जो हमें खतरे या अनिश्चितता के प्रति सतर्क रहने का संकेत देता है। ऐसी किसी सिचुएशन में, जिसमें हमें नुकसान पहुंच सकता है हमारा शरीर ‘फाइट-ऑर-फ्लाइट’ मोड ऑन कर देता है। ऐसी स्थिति में या तो हम मुसबीत से लड़ते हैं या फिर उस जगह से भाग जाते हैं। भागना कमजोरी नहीं, सेल्फ प्रोटेक्शन है।
डर मेंटल और इमोशनल स्तर पर असर छोड़ता है और हमें सावधान रहने, चुनौतियों से निपटने के लिए प्रेरित कर सकता है। हालांकि, यह कभी-कभी सपनों और लक्ष्यों की राह में बाधा भी बन सकता है, लेकिन डर को पहचान कर हम इसे अपनी ताकत बना सकते हैं।
डर क्यों लगता है?
ब्रेन में एमिग्डला नाम का एक हिस्सा होता है। यह हिस्सा खतरे को भांपने और उस पर रिएक्शन देने का काम करता है, लेकिन मुख्य सवाल यह है कि हमें डर क्यों लगता है। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं।
डर का सामना कैसे करें?
डर से सामना करने के लिए सबसे पहले हमें डर को पहचानना होगा। जब हम अपने डर को पहचानते हैं और उससे भागने के बजाय उसका सामना करते हैं, तब हमें महसूस होता है कि यह केवल एक मानसिक बाधा है जिसे पार किया जा सकता है। यह प्रक्रिया हमें आत्मविश्वास देती है और सिखाती है कि डर को अपनी जिंदगी पर हावी होने से कैसे रोका जाए।
डर का इस्तेमाल फायदे के लिए कैसे करें?
डर को अक्सर जीवन में रुकावट के रूप में देखा जाता है। जबकि डर हमें आने वाले किसी भी चुनौती के लिए सतर्क करता है। जब हम डर के कारण सतर्क होते हैं, तो इससे हमारे शरीर में एड्रेनालिन हॉर्मोन का स्तर बढ़ता है, जो ऊर्जा और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बढ़ाता है।
डर हमें अपनी कमजोरियों से रूबरू कराता है, ताकि हम उनमें सुधार कर सकें और अपनी क्षमताओं को नए स्तर पर ले जा सकें। यह हमें अपने लक्ष्यों को स्पष्ट करने और उन पर पूरी तरह फोकस करने का अवसर देता है। डर को समझने और गले लगाने का मतलब है अपने अंदर छिपी क्षमता को पहचानना।
जब हम अपने डर का सामना करते हैं, तो यह हमें एक नई ताकत और आत्मविश्वास से भर देता है। हमें अपने भीतर के डर को दबाने की बजाय, इसे प्रेरणा का स्रोत बनाना चाहिए।
यह न केवल हमें कठिनाइयों से बाहर निकलने में मदद करेगा, बल्कि हमारे आत्म-उत्थान का जरिया भी बनेगा। जीवन में डर से भागने की बजाय, हमें इसे अपनी कहानी का हिस्सा बनाना चाहिए। जीवन में आने वाली हर चुनौती को एक नई उपलब्धि में बदलने के लिए प्रयास करना चाहिए।
डर को पहचानकर हम उसे अपने फायदे में बदल सकते हैं। जब हमें डर लगता है तो इससे यह पता चलता है कि हम किसी चुनौतीपूर्ण स्थिति के लिए तैयार नहीं हैं। यह हमें तैयारी का मौका देता है। डर हमें अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकालता है। साथ ही हमारी क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
डर की वजह से उत्पन्न एड्रेनालिन हमारी एकाग्रता और प्रदर्शन को बेहतर बना सकता है। यह हमें उन क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करता है जहां सुधार की आवश्यकता होती है।
डर की वजह से हम नई स्किल्स सीखते हैं। साथ ही यह हमें बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करता है। यह उन चीजों की ओर इशारा करता है जिन्हें हम खोना नहीं चाहते हैं। हमें इसे एक संकेत के रूप में देखना चाहिए। अगर आप कुछ नया कर रहे हैं तो ऐसे समय में अपने काम पर फोकस करना चाहिए।
हम अपने डर का इस्तेमाल फायदे के लिए कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए हमें डर से भागने की बजाय उसका सामना करना सीखना होगा।