रिलेशनशिप- दुख का सबसे बड़ा कारण दूसरों से उम्मीद:  अपनी खुशी की जिम्मेदारी खुद लें, साइकोलॉजिस्ट के 8 सुझावों पर गौर करें
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रिलेशनशिप- दुख का सबसे बड़ा कारण दूसरों से उम्मीद: अपनी खुशी की जिम्मेदारी खुद लें, साइकोलॉजिस्ट के 8 सुझावों पर गौर करें

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12 घंटे पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल

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हर कोई अपने जीवन में खुश रहना चाहता है। इसकी चाहत में वह पूरी जिंदगी भटकता रहता है। अपने आपसे या अपनी वर्तमान स्थिति से संतुष्ट होने का अहसास ही खुशी है। इसके अलावा हमारी कुछ व्यवहारिक आदतें भी खुशी का कारण बनती हैं।

हालांकि कई बार अपनों से ज्यादा उम्मीदें लगाना हमारी खुशी को छीन सकता है। ये उम्मीदें पार्टनर, दोस्त या फैमिली मेंबर किसी से भी हो सकती हैं। साइकोलॉजिस्ट भी सुझाव देते हैं कि खुश रहना है तो दूसरों से उम्मीदें करना बंद कर दें। इससे खुद को अनावश्यक दुखों से बचा सकते हैं।

तो आज रिलेशनशिप कॉलम में बात दूसरों से उम्मीद किए बगैर जीवन में खुश रहने की। साथ ही जानेंगे कि उम्मीदें कैसे दुख का कारण बनती हैं।

दुख का सबसे बड़ा कारण है उम्मीद

श्रीमद्भागवत महापुराण में एक उक्ति है, ‘आशा हि परमं दुःखं।’ इसका अर्थ है कि ‘आशा या उम्मीद ही दुख का सबसे बड़ा कारण है।’ इसलिए किसी भी व्यक्ति से अनावश्यक उम्मीदें नहीं करनी चाहिए। वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी बताते हैं कि सच्ची खुशी दूसरों पर निर्भर होने के बजाय आत्मनिर्भरता में है।

लोग किस तरह की उम्मीदों से होते हैं दुखी

हम अपने दोस्त, पार्टनर, रिश्तेदार या फैमिली मेंबर्स से अधिक लगाव रखते हैं। इसलिए उनसे ज्यादा उम्मीदें भी रखते हैं। यही उम्मीदें हमारे दुख का कारण बनती हैं। इसे एक उदाहरण से समझिए-

कोई व्यक्ति अपने पार्टनर से यह उम्मीद करे कि उसका व्यवहार जैसा आज है, हमेशा वैसा ही बना रहेगा। लेकिन कई बार रिश्तों में आए उतार-चढ़ाव के कारण ऐसा संभव नहीं हो पाता है। समय के साथ हमारे रिश्तों में भी कुछ बदलाव आता है। यह बदलाव हमारे दुख का कारण बन सकता है।

नीचे दिए ग्राफिक से समझिए कि दूसरों से किस तरह की उम्मीदें नहीं लगानी चाहिए।

आइए, अब ऊपर दिए पॉइंट्स के बारे में विस्तार से बात करते हैं।

बिना बताए अपने मन की बात समझने की उम्मीद करना

यह मान लेना एक बहुत बड़ी गलती है कि आपके दोस्त, परिवार या पार्टनर आपके मन की बात पढ़ सकते हैं। दरअसल बिना बताए कोई भी ये नहीं जान सकता कि आपके मन में क्या चल रहा है। ऐसे में ये उम्मीद करना आपके दुख का कारण बन सकता है। इसलिए हमेशा अपनी बात को मन में रखने के बजाय खुलकर बताएं। इससे किसी भी तरह की मिसअंडरस्टैंडिंग नहीं होगी और रिश्ता भी मजबूत बनेगा।

हमेशा सही काम करने की उम्मीद करना

हम अक्सर लोगों से ये उम्मीद करते हैं कि वे काम को हमारे तरीके से करेंगे। लेकिन ये जरूरी नहीं है कि आप अपने काम को जिस तरह करते हैं, उसी परफेक्शन से दूसरा व्यक्ति भी करे। हर व्यक्ति के काम करने का तरीका अलग-अलग हो सकता है। इसलिए दूसरों से यह उम्मीद लगाना व्यर्थ है। इससे आपको सिर्फ दुख ही मिलेगा।

दूसरों से खुशी की उम्मीद करना

हम अक्सर दूसरों से खुशी की उम्मीद करते हैं। लेकिन सच यह है कि खुशी की शुरुआत खुद से होती है। इसलिए दूसरों से उम्मीद करने के बजाय खुद खुश रहने की कोशिश करें। अपनी पसंदीदा एक्टिविटीज में शामिल हों, जो आपको खुशी दे सकती है। दूसरों से खुशी की उम्मीद करना दुख का कारण बन सकता है।

अपने मुताबिक बदलाव की उम्मीद करना

हम अक्सर दूसरे व्यक्ति की आदतों या व्यवहार में बदलाव की उम्मीद करते हैं। लेकिन सच तो ये है कि हम उसमें बदलाव के बजाय उसे अपने मन मुताबिक देखना चाहते हैं। हालांकि लोग तब ही बदलते हैं, जब वे खुद बदलना चाहते हैं। ऐसे में लोगों को वैसे ही स्वीकार करने की कोशिश करें, जैसे वे हैं। उन पर अपना नजरिया थोपने की कोशिश न करें।

समर्थन और प्रोत्साहन की उम्मीद लगाना

आपकी खुशी और सफलता आपके हाथों में है। इसके लिए दूसरों पर निर्भर रहने से निराशा मिल सकती है। इसलिए कभी भी दूसरों से अपने लिए समर्थन और प्रोत्साहन की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। खुद को सेल्फ मोटिवेटेड रखना बेहतर है।

इमोशनल सपोर्ट की उम्मीद करना

दूसरों से इमोशनल सपोर्ट की उम्मीद रखना स्वाभाविक है, लेकिन ये हमेशा ही सही नहीं हो सकता। कई बार व्यक्ति अपनी खुद की समस्याओं और भावनाओं से जूझ रहा होता है। ऐसे में वह दूसरों को उम्मीद के मुताबिक सपोर्ट नहीं दे पाता।

इसलिए अपनी भावनाओं को कंट्रोल करने की जिम्मेदारी खुद ही लेनी चाहिए। इससे हम आत्मनिर्भर और मानसिक रूप से मजबूत बनते हैं। दूसरों से सपोर्ट की उम्मीदें दुखी होने का कारण बन सकती हैं।

खुश रहने के लिए जरूरी हैं कुछ और चीजें

दूसरों से उम्मीद छोड़ देने का मतलब यह नहीं है कि हम अपने आसपास के लोगों की परवाह करना बंद कर दें। यह जीवन को आसान और शांतिपूर्ण बनाने का एक तरीका है। हम जितनी कम उम्मीदें करेंगे, उतना ही खुश रहेंगे। जीवन में खुश रहने के लिए दूसरों से उम्मीदें न करने के अलावा कुछ और चीजें भी जरूरी हैं। इसे नीचे ग्राफिक से समझिए-

खुश रहने के लिए पॉजिटिविटी बेहद जरूरी

खुश रहना हर व्यक्ति की इच्छा होती है, लेकिन यह केवल बाहरी परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करता। खुशी हमारी सोच और मानसिकता में निहित होती है। इसके लिए पॉजिटिव सोच का होना जरूरी है। ये व्यक्ति को जीवन में आने वाली कठिनाइयों और समस्याओं का सामना करने की ताकत देती है।

पॉजिटिविटी हमें यह सिखाती है कि जीवन के हर पल में अच्छे पहलू को देखें। जब हम अपने विचारों में पॉजिटिविटी लाते हैं तो खुद को उत्साहित और एनर्जेटिक महसूस करते हैं। इससे हम अपनी गलतियों से सीख सकते हैं और जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। इसलिए खुश रहने के लिए पॉजिटिविटी को अपने जीवन का हिस्सा बनाना बेहद जरूरी है।

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