रिलेशनशिप- पेरेंट्स-टीचर मीटिंग में पूछें ये 9 सवाल:  साइकोलॉजिस्ट से जानें PTM में दोनों पेरेंट की हिस्सेदारी क्यों जरूरी
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रिलेशनशिप- पेरेंट्स-टीचर मीटिंग में पूछें ये 9 सवाल: साइकोलॉजिस्ट से जानें PTM में दोनों पेरेंट की हिस्सेदारी क्यों जरूरी

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2 घंटे पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल

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बच्चों की पढ़ाई और उनके फिजिकल, सोशल व इमोशनल ग्रोथ पर ध्यान देना हर पेरेंट्स की जिम्मेदारी होती है। इसे और बेहतर बनाने के लिए बच्चों के स्कूल में पेरेंट्स-टीचर मीटिंग (PTM) रखी जाती है। ये मीटिंग पेरेंट्स के लिए बच्चे के टीचर्स से जुड़ने, उसकी एकेडमिक प्रोग्रेस के बारे में जानने और किसी भी चिंता या चुनौतियों पर चर्चा करने का एक शानदार मौका होता है।

हालांकि कई बार पेरेंट्स यह नहीं समझ पाते कि उन्हें PTM में टीचर्स से कौन से सवाल पूछने चाहिए, जिससे वे बच्चे की परफॉर्मेंस और प्रोग्रेस के बारे में सही जानकारी हासिल कर सकें।

इसलिए आज रिलेशनशिप कॉलम में हम PTM में पेरेंट्स द्वारा पूछे जाने वाले सवालों के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-

  • पेरेंट्स-टीचर मीटिंग क्यों जरूरी है?
  • ये बच्चों के लिए कैसे फायदेमंद है?

पेरेंट्स-टीचर मीटिंग बच्चे की ग्रोथ के लिए जरूरी

पेरेंट्स-टीचर मीटिंग की बच्चे की शिक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इससे पेरेंट्स और टीचर्स को एक साथ आने और बच्चे की प्रोग्रेस पर चर्चा करने का मौका मिलता है। साथ ही पेरेंट्स और टीचर के बीच एक मजबूत कम्युनिकेशन चैनल स्थापित होता है।

PTM पेरेंट्स और टीचर के बीच बातचीत का एक जरिया है। इससे दोनों पक्ष बच्चे की शिक्षा से संबंधित विषयों पर चर्चा कर सकते हैं और एक-दूसरे के दृष्टिकोण को समझ सकते हैं। अगर बच्चे को लेकर पेरेंट्स की कोई चिंता है तो PTM में पेरेंट्स-टीचर मिलकर इस समस्या का हल निकाल सकते हैं। इससे बच्चे को यह महसूस होता है कि घर और स्कूल दोनों ही उसकी पढ़ाई में पर्याप्त इंटरेस्ट रखते हैं।

कुल मिलाकर PTM बच्चे की पढ़ाई और विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह पेरेंट्स और टीचर को एक साथ मिलकर बच्चे की सफलता सुनिश्चित करने का बेहतरीन तरीका है।

पेरेंट्स-टीचर मीटिंग में पूछें ये सवाल

PTM में क्या पूछना है और क्या नहीं पूछना है, यह जानना पेरेंट्स के अनुभव को बेहतर बना सकता है। नीचे दिए ग्राफिक से PTM में पूछे जाने वाले जरूरी सवालों के बारे में जानिए-

पेरेंट्स-टीचर मीटिंग में शामिल होना फायदेमंद

पेरेंट्स-टीचर मीटिंग में शामिल होने के कई फायदे हैं, जो बच्चे की पढ़ाई और विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसमें पेरेंट्स को अपने बच्चे की एकेडमिक प्रोग्रेस के बारे में सही जानकारी मिलती है। उन्हें पता चलता है कि बच्चा किन विषयों में अच्छा कर रहा है और किस सब्जेक्ट में उसे मदद की जरूरत है। पेरेंट्स और टीचर मिलकर उसे बेहतर बनाने पर काम कर सकते हैं।

PTM में माता-पिता को बच्चे के सामाजिक और भावनात्मक विकास के बारे में भी जानकारी मिलती है। उन्हें पता चलता है कि बच्चा स्कूल में कैसा व्यवहार करता है और दोस्तों के साथ उसके संबंध कैसे हैं।

इसके अलावा पेरेंट्स को स्कूल के माहौल और एक्टिविटीज के बारे में भी जानकारी मिलती है। इससे उन्हें पता चलता है कि स्कूल में क्या चल रहा है और वे अपने बच्चे को एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। PTM में शामिल होने के और भी कुछ फायदे हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

PTM में शामिल होने के लिए जरूरी सुझाव

वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी बताते हैं कि PTM से पहले बच्चे से बात करना जरूरी है। बच्चे से उसके स्कूल और पढ़ाई के बारे में पूछें। इसके अलावा कुछ अन्य बातों का भी ध्यान रखें। इसे नीचे दिए पॉइंटर्स से समझिए-

  • PTM के लिए निर्धारित समय पर पहुंचें। इससे मीटिंग में पूरी तरह से ध्यान केंद्रित कर पाएंगे।
  • मीटिंग में शामिल होने से पहले कुछ सवाल तैयार कर लें। जैसे कि बच्चे की एकेडमिक प्रोग्रेस, उसका व्यवहार या किसी विषय में सुधार की जरूरत है।
  • मीटिंग के दौरान पॉजिटिव अप्रोच बनाए रखें। अगर बच्चे की कोई समस्या है तो उसे सुधारने पर ध्यान केंद्रित करें, न कि सिर्फ शिकायतों पर बात करें।
  • पढ़ाई के साथ-साथ बच्चे की मेंटल और सोशल ग्रोथ के बारे में टीचर से जानकारी लें। जैसे कि बच्चा क्लास में कैसे व्यवहार करता है, उसका आत्मविश्वास कैसा है, वगैरह-वगैरह।
  • मीटिंग में टीचर की बातों को ध्यान से सुनें। हो सकता है कि कुछ बातें आपको पहले से पता न हों।
  • मीटिंग के बाद जो भी जानकारी मिले, उस आधार पर एक्शन प्लान बनाएं। जैसेकि अगर किसी विषय में बच्चे को मदद की जरूरत है तो उसे घर पर अतिरिक्त अभ्यास कराएं।
  • अपने बच्चे के बारे में टीचर से हमेशा फीडबैक लेते रहें।

पेरेंट्स-टीचर मीटिंग में शामिल न होने के परिणाम

PTM में शामिल न होने के कई नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। सबसे पहले तो आप अपने बच्चे की पढ़ाई का सही आकलन नहीं कर पाते हैं। टीचर और पेरेंट्स के बीच कम्युनिकेशन नहीं होने से बच्चों को उचित मार्गदर्शन नहीं मिल पाता है।

टीचर अभिभावकों को यह बताते हैं कि बच्चा क्लास में कैसे व्यवहार करता है, उसका आत्मविश्वास कैसा है और वह अन्य बच्चों के साथ कैसे इंटरैक्ट करता है। PTM में न जाने से आपको इस बारे में जानकारी नहीं मिलती है।

कभी-कभी बच्चों को स्कूल में कुछ मेंटल प्रॉब्लम्स होती हैं, जिन्हें समय रहते पहचानना जरूरी होता है। अगर आप मीटिंग में शामिल नहीं होते तो इसके समाधान में देरी हो सकती है।

सबसे जरूरी बात, बच्चों को यह महसूस होना चाहिए कि पेरेंट्स उनकी पढ़ाई में सक्रिय रूप से शामिल हैं। PTM में शामिल न होने से बच्चे के मन में यह भावना आ सकती है कि पेरेंट्स उनकी पढ़ाई में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं रखते हैं। यह उनकी मानसिक स्थिति और प्रेरणा पर नकारात्मक असर डाल सकता है।

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