रुपया ऑल टाइम लो पर:  डॉलर के मुकाबले 25 पैसा गिरकर 87.37 पर आया, इससे इंपोर्ट महंगा होगा
ऑटो-ट्रांसपोर्ट

रुपया ऑल टाइम लो पर: डॉलर के मुकाबले 25 पैसा गिरकर 87.37 पर आया, इससे इंपोर्ट महंगा होगा

Spread the love


नई दिल्ली9 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

भारतीय करेंसी यानी रुपया एक बार फिर अपने रिकॉर्ड ऑल टाइम लो पर आ गया है। बुधवार (5 फरवरी) को कारोबार के दौरान यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 25 पैसे गिरकर 87.37 के स्तर पर पहुंच गया। यह रुपया का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले सोमवार को यह 67 पैसे गिरकर 87.29 के स्तर पर आ गया था।

रुपए गिरने के बड़े कारण…

1. व्यापार घाटा: जब किसी देश का इंपोर्ट उसके एक्सपोर्ट से ज्यादा होता है, तो ट्रेड डेफिसिट यानी व्यापार घाटा कि स्थिति होती है। नवंबर में भारत का व्यापार घाटा 37.8 बिलियन डॉलर (करीब 3.31 लाख करोड़ रुपए) और दिसंबर में 21.94 बिलियन डॉलर (करीब 1.92 लाख करोड़ रुपए) रहा। इससे रुपए की मांग कम होती है और इसकी कीमत गिरती है।

2. चालू खाता घाटा: यानी करंट अकाउंट डेफिसिट यह ट्रेड डेफिसिट और सर्विसेज के इंपोर्ट-एक्सपोर्ट का अंतर है। अगर यह बढ़ता है तो रुपए की डिमांड कम कर सकता है। पिछले वित्त वर्ष में यह जीडीपी का 0.7% था। वित्त वर्ष 2025 में इसके 1% रहने का अनुमान है।

3. फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व: विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट रुपए की मांग और कीमत को कम कर सकता है। 24 जनवरी तक के डेटा के मुताबिक भारत का फॉरेक्स पिछले सप्ताह के मुकाबले, 1.8 बिलियन डॉलर बढ़कर 629.55 बिलियन डॉलर (करीब 55.02 लाख करोड़ रुपए) है।

4. इन्फ्लेशन : हाई इन्फ्लेशन रेट रुपए की कीमत को कम सकता है, क्योंकि यह रुपए की परचेजिंग पावर को कम कर देता है। हालांकि, दिसंबर में यह 5.22% रहा। नवंबर में इन्फ्लेशन रेट 5.38% था। लेकिन यह RBI के 2% उम्मीद के 4 परसेंटेज पॉइंट्स ज्यादा है।

5. ब्याज दर: यदि RBI ब्याज दरें बढ़ाता है, तो यह रुपए की मांग को बढ़ा सकता है और इसकी कीमत बढ़ा सकता है। लेकिन यदि ब्याज दरें कम होती हैं, तो यह इसकी डिमांड कम कर सकता है और कीमत गिरा सकता है। पॉलिसी मीटिंग में RBI ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।

टैरिफ को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का रुख

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 1 फरवरी को कनाडा और मेक्सिको पर 25% और चीन पर एक्स्ट्रा 10 टैरिफ का ऐलान किया था। बाद में उन्होंने अपना फैसला वापस ले लिया, इससे रुपए में कल स्थिरता देखी गई थी।

ट्रम्प ने कई बार ब्रिक्स देशों पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी है। भारत, ब्राजील और चीन तीनों ब्रिक्स का हिस्सा हैं। इसके अलावा ट्रम्प भारत की तरफ से अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाने की शिकायत कर चुके हैं। ऐसे में भारत पर भी टैरिफ का खतरा बना हुआ था।

रुपए में गिरावट से इंपोर्टेड चीजें महंगी होंगी

रुपए में गिरावट का मतलब है कि भारत के लिए चीजों का इंपोर्ट महंगा होना है। इसके अलावा विदेश में घूमना और पढ़ना भी महंगा हो गया है। मान लीजिए कि जब डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू 50 थी तब अमेरिका में भारतीय छात्रों को 50 रुपए में 1 डॉलर मिल जाते थे। अब 1 डॉलर के लिए छात्रों को 86.31 रुपए खर्च करने पड़ेंगे। इससे फीस से लेकर रहना और खाना और अन्य चीजें महंगी हो जाएंगी।

करेंसी की कीमत कैसे तय होती है?

डॉलर की तुलना में किसी भी अन्य करेंसी की वैल्यू घटे तो उसे मुद्रा का गिरना, टूटना, कमजोर होना कहते हैं। अंग्रेजी में करेंसी डेप्रिशिएशन। हर देश के पास फॉरेन करेंसी रिजर्व होता है, जिससे वह इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन करता है। फॉरेन रिजर्व के घटने और बढ़ने का असर करेंसी की कीमत पर दिखता है।

अगर भारत के फॉरेन रिजर्व में डॉलर, अमेरिका के रुपयों के भंडार के बराबर होगा तो रुपए की कीमत स्थिर रहेगी। हमारे पास डॉलर घटे तो रुपया कमजोर होगा, बढ़े तो रुपया मजबूत होगा। इसे फ्लोटिंग रेट सिस्टम कहते हैं।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *