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- Sanjay Kumar’s Column Politics Of Mutual Conflict Will Continue This Year Too
5 घंटे पहले
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![संजय कुमार, प्रोफेसर व राजनीतिक टिप्पणीकार - Dainik Bhaskar](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2025/01/08/sanjay-kumar_1736277865.jpg)
संजय कुमार, प्रोफेसर व राजनीतिक टिप्पणीकार
- विश्लेषण- दिल्ली-बिहार चुनावों से हालात गरमाएंगे
भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन के बीच जिस तरह की टकराव की राजनीति 2024 में देखी गई थी, उसके 2025 में भी जारी रहने के पूरे आसार हैं।
चुनावों के चलते तकरार और बढ़ेगी, क्योंकि 2025 की शुरुआत में दिल्ली और साल के अंत तक बिहार में चुनाव होने हैं, लेकिन चुनावी मुद्दों से परे भी दोनों गठबंधनों के बीच टकराव की राजनीति जारी रहने का अंदेशा है। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान, लगभग पूरे समय सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्ष के बीच कड़ी टक्कर देखी गई।
नतीजा ये रहा कि लगभग पूरा सत्र बेकार चला गया। इस सत्र में हुआ टकराव असामान्य भी था, क्योंकि गृह मंत्री अमित शाह द्वारा डॉ. आम्बेडकर पर कथित टिप्पणी को लेकर शुरू हुआ विरोध, हो-हल्ला, धरना-प्रदर्शन अंत में भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के बीच धक्का-मुक्की में बदल गया।
शीतकालीन सत्र तो अब समाप्त हो गया है, लेकिन विवाद कायम है। फरवरी 2025 में बजट सत्र शुरू होने पर इसके फिर से तूल पकड़ने का अंदेशा है। लेकिन 2025 की राजनीति में जो नई चीज जुड़ सकती है, वह है इंडिया गठबंधन सहयोगियों के बीच प्रतिद्वंद्विता का एक नया आयाम, जिसकी झलक दिल्ली की राजनीति में देखने को मिल सकती है।
दिल्ली में 2024 का लोकसभा चुनाव आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने सहयोगी के तौर पर लड़ा था, लेकिन न केवल दिल्ली विधानसभा चुनाव में वे एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे, बल्कि आप और कांग्रेस नेताओं के बीच हुए ताजा आरोप-प्रत्यारोपों से पता चलता है कि दोनों के बीच प्रतिद्वंद्विता भी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
वहीं बिहार विधानसभा चुनाव में न केवल एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी, बल्कि इंडिया के गठबंधन सहयोगियों खासकर कांग्रेस और राजद के बीच भी कुछ खींचतान दिखाई दे सकती है।
हाल ही में राजद सुप्रीमो लालू यादव द्वारा दिया गया यह बयान कि इंडिया गठबंधन का नेतृत्व कांग्रेस से लेकर ममता बनर्जी को सौंप दिया जाना चाहिए, बस एक ट्रेलर है। यह बताता है कि चुनाव नजदीक आने पर पूरी तस्वीर कैसी होगी। जब कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 99 लोकसभा सीटें जीतीं तो लगा कि वह पुनरुद्धार की राह पर है।
लेकिन इसके तुरंत बाद उसे हरियाणा विधानसभा चुनाव में भारी झटका लगा। कांग्रेस ने यह चुनाव आप के साथ गठबंधन नहीं करते हुए अकेले ही लड़ा था, क्योंकि आप कांग्रेस की तुलना में अधिक सीटों की मांग कर रही थी। आप नेता अभी भी इसे भूले नहीं हैं।
दिल्ली चुनावों के लिए कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं करके आप ने कांग्रेस का बदला चुकाया है। हरियाणा के बाद महाराष्ट्र में भी कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद इंडिया गठबंधन सहयोगियों के बीच इस मुद्दे पर जोरदार खींचतान शुरू हो गई है कि भाजपा के खिलाफ लड़ाई में इंडिया गठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा।
आप ने दिल्ली का चैप्टर पहले ही बंद कर दिया है। वह अकेले चुनाव लड़ रही है और कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन करने को तैयार नहीं है। हरियाणा में गठबंधन और सीट-बंटवारे के मुद्दे पर कांग्रेस ने जिस तरह का रवैया दिखाया, आप भी जैसे को तैसा के मूड में वैसा ही करने की कोशिश कर रही है। इससे कांग्रेस के नेताओं, खासकर पार्टी के दिल्ली नेतृत्व में नाराजगी है।
आप ने 2020 में 53.5% वोटों के साथ दिल्ली में 70 में से 62 सीटें जीतकर बड़ी जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस को केवल 4.5% वोट मिले थे। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के लिए कुछ पुनरुत्थान के संकेत हैं। उसका वोट शेयर 10% को छू सकता है, जिससे आप के लिए कुछ मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
भाजपा पिछले 26 वर्षों से दिल्ली की सत्ता से बाहर है, लेकिन उसके पास अभी भी कम से कम 38% वोट हैं। उसके पक्ष में 5-6% वोटों का स्विंग और आप के लिए इसी तरह का निगेटिव स्विंग चुनाव को कुछ हद तक करीबी बना सकता है।
बिहार चुनाव में अभी भले 10 महीने बाकी हों, लेकिन कांग्रेस के लिए संकट यह है कि बिहार के इंडिया गठबंधन में वह जूनियर पार्टनर है। इन चुनावों में राजद के साथ-साथ भाजपा और जदयू के लिए भी बहुत कुछ दांव पर लगा होगा।
आरएलएसपी, लोक जनशक्ति पार्टी, जन स्वराज, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा जैसे छोटे क्षेत्रीय दलों की भी अहम भूमिका रहने जा रही है, चाहे वे किसी गुट से गठबंधन करें या अकेले चुनाव लड़ें। 2025 की राजनीति 2024 से कम दिलचस्प नहीं रहने वाली है।
- न केवल दिल्ली में आप और कांग्रेस एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे, बल्कि दोनों में प्रतिद्वंद्विता भी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। बिहार में इंडिया के गठबंधन सहयोगियों खासकर कांग्रेस और राजद के बीच भी खींचतान है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)