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- Sanjay Kumar’s Column Congress’ Performance Will Decide Whether AAP Will Win In Delhi Or Not
5 घंटे पहले
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संजय कुमार, प्रोफेसर व राजनीतिक टिप्पणीकार
दिल्ली चुनावों के क्या परिणाम हो सकते हैं, इसका विश्लेषण करते समय दो बातों को ध्यान में रखना होगा। पहला, हाल के वर्षों में त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा हमेशा लाभ की स्थिति में रही है। तो क्या इसका मतलब यह है कि दिल्ली में भाजपा को फायदा होगा, क्योंकि वहां कांग्रेस, आप और भाजपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है? लेकिन एक और पहलू है, जिस पर भी गौर करने की जरूरत है।
हाल के दिनों में कई राज्य सरकारों को न केवल फिर से चुना गया है, बल्कि मौजूदा सरकार के हारने की धारणा (एंटी इनकम्बेंसी) को झुठलाते हुए पहले से भी बड़ा जनादेश दिया गया है। हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र कुछ हालिया उदाहरण हैं।
अगर हम दिल्ली चुनाव का विश्लेषण करते समय केवल एक या दूसरे नैरेटिव के साथ चले जाएं तो यह गलत होगा। दिल्ली में आप की चुनावी सम्भावनाओं के लिए सबसे ज्यादा मायने रखने वाली बात न तो केवल आप सरकार द्वारा किए गए काम हैं और न ही यह है कि भाजपा उसे कितनी मजबूती से चुनौती दे सकती है।
चुनावों के नतीजे सबसे ज्यादा इस तीसरे फैक्टर पर निर्भर रहेंगे कि उनमें कांग्रेस कैसा प्रदर्शन करने जा रही है। हालांकि दिल्ली में 2015 और 2020 में हुए पिछले दो विधानसभा चुनावों में भी त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला था। लेकिन आप इसलिए भारी बहुमत से जीतने में सफल रही थी, क्योंकि कांग्रेस ने बेहद खराब प्रदर्शन किया था। यानी वो केवल नाम के ही त्रिकोणीय मुकाबले थे।
यह दूसरे राज्यों के लिए भले सच हो कि त्रिकोणीय मुकाबलों से ज्यादातर भाजपा को फायदा होता है, लेकिन दिल्ली में ऐसा नहीं हुआ है। कांग्रेस को पिछले दो विधानसभा चुनावों में क्रमशः 9.5% और 4.2% वोट मिले थे। लेकिन आप ने न केवल दोनों चुनाव जीते, बल्कि भाजपा पर भारी अंतर से बढ़त भी बनाई।
2025 में आप की सम्भावनाएं न केवल उसके अपने, बल्कि कांग्रेस के प्रदर्शन पर भी निर्भर करती हैं, क्योंकि दोनों पार्टियों का जनाधार लगभग एक जैसा है। कई राज्यों में आप ने कांग्रेस की कीमत पर चुनावी ताकत हासिल की है और अगर दिल्ली में कांग्रेस फिर से उभरती है, तो यह निश्चित रूप से आम आदमी पार्टी की कीमत पर होगा।
दिल्ली के अलावा पंजाब चुनाव 2022 में भी आप ने कांग्रेस के जनाधार को पूरी तरह खत्म कर दिया और बड़ी जीत दर्ज की। हालांकि आप उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई, उसे 12.9% वोट मिले, लेकिन इसने कांग्रेस के जनाधार को खत्म कर दिया क्योंकि कांग्रेस का वोट शेयर 2017 में 41.4% से गिरकर 2022 में 23.4% हो गया।
भाजपा का वोट शेयर 2017 में 49.1% से बढ़कर 52.5% हो गया। गुजरात में भी आप कांग्रेस की कीमत पर ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब रही थी। इसका नतीजा यह हुआ कि गुजरात में भाजपा ने अपनी सबसे बड़ी जीत दर्ज की।
हालांकि गोवा में आप का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा, उसे केवल 6.7% वोट मिले, लेकिन यह भी कांग्रेस की कीमत पर हुआ। क्योंकि 2017 में उसका वोट शेयर 28.3% से घटकर 23.4% रह गया, जबकि भाजपा को 2017 में 32.5% और 2022 में 33.3% वोट मिले, लेकिन उसने अच्छी जीत दर्ज की।
उत्तराखंड की कहानी थोड़ी अलग हो सकती है, लेकिन यह सबूत बताते हैं कि आप ने कुछ राज्यों में कांग्रेस की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया। दिल्ली में यह भूमिका उलट है। आप का प्रदर्शन काफी हद तक इस बात पर निर्भर करने वाला है कि कांग्रेस कैसा प्रदर्शन करने जा रही है।
लेकिन एक और नैरेटिव है, जिसकी किसी को अनदेखी नहीं करनी चाहिए। हाल के वर्षों में, कई राज्य सरकारों को फिर से चुना गया है। किसी भी सरकार का फिर से चुना जाना इस बात का संकेत देता है कि सरकार लोगों के बीच लोकप्रिय है।
ग्राउंड रिपोर्ट बताती है कि आप सरकार भले ही आज 2020 की तरह लोकप्रिय न हो, लेकिन यह अभी भी दिल्ली के मतदाताओं के बीच सबसे लोकप्रिय विकल्प बनी हुई है- कम से कम निम्न आय वर्ग के मतदाताओं, झुग्गियों और अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोगों के बीच तो निश्चित ही।
लोकनीति-सीएसडीएस सर्वेक्षण के निष्कर्ष बताते हैं कि 2020 में आप को गरीब वर्ग के मतदाताओं के 68% वोट मिले थे, जबकि उसका औसत वोट शेयर 54% है। भाजपा को भी झुग्गियों में रहने वाले मतदाताओं के बीच आप की व्यापक लोकप्रियता का अंदाजा है, जो कि दिल्ली के मतदाताओं का लगभग एक तिहाई हिस्सा हैं। आप और भाजपा दोनों ही इन मतदाताओं को लुभाने की भरसक कोशिश में लगे हैं।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)