11 घंटे पहले
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- किताबों से जानिए, कैसे खुशी अपने काम में खो जाने का बाय-प्रोडक्ट है? क्यों जानना जरूरी है कि कठिनाइयां हमारी बनाई होती हैं?
काम में खो जाने का बाय-प्रोडक्ट है खुशी हम ऐसे काम में लगे हैं जो हमारा ध्यान, हमारी प्रतिभा की मांग करता है। अचानक एक पल के लिए रुकते हैं। न समय का पता चला, न माहौल का। सोचें तो एहसास होगा कि हम उस समय अपने जीवन के शिखर के करीब थे और हमने बहुत ऊंचे स्तर की खुशी का अनुभव किया था। खुशी अपने काम में खो जाने का बाय-प्रोडक्ट ही तो है। (व्हेन वी आर हैप्पिएस्ट)
हमारी परेशानियां हमेशा हमारी ही रहेंगी जिस क्षण हम यह पहचान लेते हैं कि हमारी कठिनाइयां किस हद तक हमारी अपनी बनाई हुई हैं, उसी क्षण से उनका समाधान शुरू हो जाता है। जैसे ही हम कहते हैं कि मैं यहां अपनी पसंद से हूं, और मैं इससे बेहतर कुछ चुन सकता हूं, वहीं से परिवर्तन शुरू होता है। बेशक कई बार, कुछ कठिनाइयां या चुनौतियां ईश्वर का उपहार हो सकती हैं। (टेकिंग चार्ज)
मुश्किल समय में भी जरूरी है कृतज्ञता हर नया दिन वास्तव में एक उपहार है। कृतज्ञता हमें तब भी थामे रखती है, जब हम टूट रहे होते हैं। जब हम अंधेरे में लड़खड़ाते हैं, क्रोध में चीखते हैं, आस्था को दूर फेंक देते हैं, सारी उम्मीदें छोड़ देते हैं। तब भी कृतज्ञता हमारे पास रहती है, हमें दिलासा देने और यह याद दिलाने के लिए कि हमारी दृष्टि से परे भी एक विशाल संसार मौजूद है। (ग्रैटिट्यूड)
व्यक्तित्व का एक बड़ा हिस्सा बचपन पर निर्भर करता है बहुत से लोग असंतुष्ट रहते हैं, भले ही उनके पास वे सभी चीजें हों, जिन्हें वे मानते हैं कि हर किसी को चाहिए। अच्छा घर, अच्छी नौकरी और दूसरी सुख-सुविधाएं। उनकी उपलब्धियां, संपत्ति, यहां तक कि उनके रिश्ते भी उन्हें पूर्णता का अहसास नहीं दिलाते। वे नहीं समझ पाते कि वे बेचैन क्यों हैं, उन्हें क्या चाहिए। दरअसल हमारे व्यक्तित्व का एक बड़ा हिस्सा इस पर निर्भर करता है कि हमारे बचपन में हमारे किन गुणों पर जोर दिया गया और किन्हें नजरअंदाज किया गया। (योर हिडन पोटेंशियल)