12 घंटे पहलेलेखक: गौरव तिवारी
- कॉपी लिंक

ग्लूकोमा भारत में पिछले कुछ सालों में एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनता जा रहा है। फिलहाल भारत में इससे 1.2 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। यह एक क्रॉनिक डिजीज है, जो धीरे-धीरे ऑप्टिक नर्व को डैमेज करती है। शुरुआत में इसके कारण नजर कमजोर होती है। अगर इलाज न किया जाए तो धीरे-धीरे नजर इतनी कमजोर हो जाती है कि अंधापन भी हो सकता है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, आने वाले कुछ सालों में एशिया में ग्लूकोमा के मामले तेजी से बढ़ सकते हैं। अनुमान है कि साल 2040 तक इस बीमारी के 2.78 करोड़ नए मामले सामने आ सकते हैं। इसमें सबसे ज्यादा मामले भारत और चीन में मिलने का अनुमान है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि भारत में लगभग 90% ग्लूकोमा के मामले समय पर पता ही नहीं चलते हैं। इसका मुख्य कारण जागरूकता की कमी है।
इसलिए ‘सेहतनामा’ में आज ग्लूकोमा की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-
- ग्लूकोमा क्या है?
- इसे कैसे पहचान सकते हैं?
- किन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा है?
- इसका इलाज और बचाव के उपाय क्या हैं?
भारत में 12 लाख लोग ग्लूकोमा से हुए अंधे
भारत में लगभग 12 लाख लोग ग्लूकोमा के कारण अंधेपन का शिकार हो चुके हैं। ग्लूकोमा देश में कुल अंधेपन के 5.5% मामलों के लिए जिम्मेदार है। आमतौर पर यह बीमारी 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को होती है। इससे 2.7% से 4.3% तक बुजुर्ग प्रभावित हो सकते हैं।
ग्लूकोमा क्या है?
ग्लूकोमा एक क्रॉनिक आई डिजीज है, जिसके कारण आंख और दिमाग को जोड़ने वाली नस यानी ऑप्टिक नर्व खराब होने लगती है। ऐसा आंखों में दबाव (प्रेशर) बढ़ने के कारण होता है। अगर समय पर इलाज न मिले तो नजर कमजोर हो सकती है और अंधापन भी हो सकता है।

ग्लूकोमा के लक्षण क्या हैं?
आमतौर पर ग्लूकोमा की शुरुआत में कोई साफ लक्षण नहीं दिखते हैं। इसलिए कई लोगों को समय पर यह नहीं पता चल पाता है कि उन्हें यह बीमारी हो गई है। मुश्किल ये है कि जब तक लक्षण दिखने शुरू होते हैं तब तक आंखों को काफी नुकसान हो चुका होता है।अगर थोड़ी सी कोशिश की जाए तो ये लक्षण शुरुआती दिनों में ही समझ आ सकते हैं।

ग्लूकोमा क्यों होता है?
आंखों और ब्रेन को जोड़ने वाली नस यानी ऑप्टिक नर्व के डैमेज होने से ग्लूकोमा होता है। यह बिना किसी स्पष्ट कारण के भी हो सकता है, लेकिन आंखों में प्रेशर इसका सबसे बड़ा कारण है।
किन लोगों को ग्लूकोमा का सबसे ज्यादा खतरा है?
ग्लूकोमा का सबसे ज्यादा खतरा 40 साल से अधिक उम्र के लोगों को होता है। उम्र बढ़ने के साथ इस बीमारी के विकसित होने की आशंका बढ़ जाती है। डायबिटिक लोगों को भी इसका खतरा ज्यादा होता है, क्योंकि शुगर लेवल बढ़ने से आंखों की नसें कमजोर हो सकती हैं। जिन लोगों की नजर पहले से कमजोर है और जो चश्मा पहनते हैं। उन्हें भी ग्लूकोमा होनेकी आशंका ज्यादा होती है। इसके अलावा और किसे इसका ज्यादा खतरा है, ग्राफिक में देखिए-

ग्लूकोमा का इलाज क्या है?
डॉ. अदिति दुसाज कहती हैं कि ग्लूकोमा के इलाज में आंखों के अंदर के दबाव यानी इंट्राऑक्युलर प्रेशर को कम किया जाता है ताकि यह बीमारी और न बढ़े। इसके लिए डॉक्टर पेशेंट की कंडीशन के मुताबिक ट्रीटमेंट दे सकते हैं।
आई ड्रॉप और दवाएं- ये दवाएं आंखों के दबाव को कम करने में मदद करती हैं। अगर किसी का आंखों का दबाव सामान्य से ज्यादा है तो इन दवाओं की मदद से ग्लूकोमा को बढ़ने से रोका जा सकता है।
सर्जरी- अगर दवाओं से फायदा नहीं हो रहा हो तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं। इसमें आंखों के अंदर जमा लिक्विड को बाहर निकाला जाता है। इसके लिए ट्रैबेकुलेक्टॉमी, ट्यूब शंट सर्जरी, लेजर थेरेपी और मिनिमली इनवेसिव ग्लूकोमा सर्जरी की जा सकती है।
ग्लूकोमा से बचाव के लिए क्या करें?
डॉ. अदिति दुसाज कहती हैं कि ग्लूकोमा को पूरी तरह से रोका तो नहीं जा सकता है, लेकिन कुछ सावधानियां बरतने से इसका खतरा कम किया जा सकता है और समय रहते इसे कंट्रोल किया जा सकता है।
नियमित रूप से आंखों की जांच करवाएं- खासकर अगर आपकी उम्र 40 साल से ज्यादा है या परिवार में किसी को ग्लूकोमा रहा है तो हर साल आंखों की जांच जरूर करवाएं।
आंखों की चोट से बचें- किसी भी दुर्घटना या चोट से आंखों का दबाव बढ़ सकता है, जिससे ग्लूकोमा का खतरा बढ़ जाता है।
डायबिटीज और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखें- शुगर और हाई ब्लड प्रेशर से आंखों की नसों को नुकसान हो सकता है, जिससे ग्लूकोमा का खतरा बढ़ता है।
स्टेरॉयड दवाओं का ज्यादा इस्तेमाल न करें- डॉक्टर की सलाह के बिना स्टेरॉयड वाली आई ड्रॉप्स या अन्य दवाएं ज्यादा समय तक न लें।
हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं- संतुलित डाइट लें। नियमित एक्सरसाइज करें और हाइड्रेटेड रहें।
स्क्रीन टाइम कम करें- ज्यादा देर तक स्क्रीन यानी मोबाइल, लैपटॉप, टीवी देखने से आंखों पर दबाव पड़ सकता है। इसलिए बीच-बीच में आंखों को आराम दें।
कैफीन का सेवन कम करें- ज्यादा कैफीन चाय, कॉफी पीने से आंखों का दबाव बढ़ सकता है। इसलिए इसे सीमित करें। ग्लूकोमा को पूरी तरह से
ग्लूकोमा से जुड़े कॉमन सवाल और जवाब
सवाल: क्या ग्लूकोमा से पूरी तरह बचा जा सकता है?
जवाब: ग्लूकोमा को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता है, लेकिन समय पर जांच और सही इलाज से इसे बढ़ने से रोका जा सकता है।
सवाल: क्या ग्लूकोमा से अंधापन हो सकता है?
जवाब: अगर ग्लूकोमा का समय पर इलाज न किया जाए तो यह स्थायी रूप से अंधेपन का कारण बन सकता है। इसलिए नियमित आंखों की जांच करवाना बहुत जरूरी है।
सवाल: क्या ग्लूकोमा सिर्फ बूढ़े लोगों को होता है?
जवाब: नहीं, ग्लूकोमा किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में इसका खतरा ज्यादा होता है।
……………………. सेहत की ये खबर भी पढ़िए भारत में किडनी डिजीज के मामले 16.38% तक बढ़े: रोज की ये 10 गलत आदतें खराब कर रहीं किडनी, डॉक्टर ने बताए बचाव के उपाय

भारत में साल 2011-2017 के बीच किडनी डिजीज के मामले 11.2% बढ़े, जबकि साल 2018-2023 के बीच किडनी डिजीज के मामले 16.38% बढ़े। पूरी खबर पढ़िए…