सेहतनामा- कमर में लगातार दर्द, तो हो जाएं सावधान:  सही इलाज से कंट्रोल की जा सकती है यह ऑटोइम्यून बीमारी; जानिए इसके लक्षण और बचाव
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सेहतनामा- कमर में लगातार दर्द, तो हो जाएं सावधान: सही इलाज से कंट्रोल की जा सकती है यह ऑटोइम्यून बीमारी; जानिए इसके लक्षण और बचाव

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13 घंटे पहलेलेखक: गौरव तिवारी

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फिल्म मेकर और डायरेक्टर विक्रम भट्ट ने हाल ही में बताया है कि वह एक्सियल स्पॉन्डिलोआर्थराइटिस (Axial Spondyloarthritis) नाम की ऑटोइम्यून बीमारी से जूझ रहे हैं। यह एक तरह का आर्थराइटिस है, जिसमें हड्डियां आपस में जुड़ने लगती हैं, जिससे शरीर में तेज दर्द होता है।

यह मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी यानी स्पाइन और कमर के जोड़ों को प्रभावित करता है। यही कारण है कि इसमें कमर में लगातार दर्द बना रहता है। इसका इलाज पूरी तरह संभव नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।

आमतौर पर यह बीमारी 45 साल से पहले ही शुरू हो जाती है। कई बार इसके लक्षण किशोरावस्था में ही दिखने लगते हैं, कमर में अकड़न और दर्द होता है। यह दर्द इतना तेज हो सकता है कि रोज के कामकाज करना भी मुश्किल हो सकता है।

इसलिए ‘सेहतनामा’ में आज एक्सियल स्पॉन्डिलोआर्थराइटिस की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-

  • एक्सियल स्पॉन्डिलोआर्थराइटिस के लक्षण क्या हैं?
  • इसका इलाज और बचाव के उपाय क्या हैं?

एक्सियल स्पॉन्डिलोआर्थराइटिस क्या है?

एक्सियल स्पॉन्डिलोआर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून डिजीज है। यह तरह का गठिया है, जिसके कारण रीढ़ की हड्डी और कमर के जोड़ों में सूजन और दर्द होता है। यह बीमारी आमतौर पर 45 साल से कम उम्र में शुरू होती है और कई बार कम उम्र में ही इसके लक्षण दिखने लगते हैं।

इसके क्या लक्षण हैं?

एक्सियल स्पॉन्डिलोआर्थराइटिस के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं और आमतौर पर लंबे समय तक बने रहते हैं। ज्यादातर बीमारियों में सोने के बाद या आराम करने के बाद राहत मिलती है, जबकि इसमें समस्या बढ़ जाती है। इसमें शुरुआत में कमर और पीठ में दर्द होता है। जबकि लक्षण गंभीर होने पर सांस लेने में मुश्किल होने लगती है और तेज रोशनी के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है। इसके सभी लक्षण ग्राफिक में देखिए-

एक्सियल स्पॉन्डिलोआर्थराइटिस का इलाज क्या है?

डॉ. राहुल जैन कहते हैं कि इसका पूरी तरह से इलाज संभव नहीं है, लेकिन सही ट्रीटमेंट और देखभाल से इसे कंट्रोल किया जा सकता है। इसके इलाज में मुख्य रूप से दर्द कम करने, सूजन रोकने की कोशिश की जाती है। साथ ही यह भी कोशिश होती है कि पेशेंट को एक्टिव रखा जाए। आमतौर पर इसके लिए कुछ दवाएं दी जाती हैं। इसमें फिजियोथेरेपी के साथ लाइफस्टाइल में बदलाव करने को भी कहा जा सकता है।

  • दवाएं- दर्द और सूजन को कम करने के लिए नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) दिए जाते हैं।
  • इम्यूनिटी- अगर पेन किलर्स का नहीं करतीं तो इम्यूनिटी बूस्टर दी जा सकती हैं। इससे शरीर की इम्यूनिटी नियंत्रित करने में मदद करती हैं।
  • फिजियोथेरेपी- एक्सरसाइज और स्ट्रेचिंग की सलाह दी जाती है। इससे रीढ़ की हड्डी को फ्लेक्सिबल रखने और अकड़न कम करने में मदद मिलती है।
  • लाइफस्टाइल में बदलाव- रोज 7-8 घंटे की पूरी नींद, सही पोश्चर में बैठने और स्मोकिंग छोड़ने से राहत मिलती है।
  • स्ट्रेस मैनेजमेंट- ज्यादा तनाव के कारण ऑटोइम्यून बीमारियां ट्रिगर होती हैं। इसलिए कम तनाव लें।
  • सर्जरी- कुछ मामलों में स्थिति बहुत गंभीर होने पर सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।
  • अर्ली डिटेक्शन- इस ऑटोइम्यून डिजीज में अर्ली डिटेक्शन और सही ट्रीटमेंट से इसको लक्षणों को जल्दी और बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है।

इससे कैसे बच सकते हैं?

डॉ. राहुल जैन कहते हैं कि अगर किसी बीमारी की सटीक वजह नहीं पता है तो इससे पूरी तरह बचाव नहीं संभव होता है। हालांकि, इलाज के साथ नियमित एक्सरसाइज और योग करके इसके असर को कम किया जा सकता है। इसके लिए समय पर पता लगाना बहुत जरूरी है।

सही पॉश्चर जरूरी- पॉश्चर ठीक रखें। खासकर बैठते और खड़े होते समय पीठ सीधी रखें, इससे स्पाइन हेल्थ अच्छी बनी रहती है।

स्मोकिंग और शराब से बचें- सिगरेट और शराब के सेवन से इंफ्लेमेशन बढ़ सकता है। इससे लक्षण और खराब हो सकते हैं।

बैलेंस्ड डाइट लें- बोन हेल्थ के लिए कैल्शियम, विटामिन D और एंटी-इंफ्लेमेटरी फूड से भरपूर संतुलित डाइट लें। कोशिश करें कि इसमें हरी सब्जियां, फल और ओमेगा-3 से भरपूर चीजें जरू हों। ये डाइट हड्डियों और जोड़ों को मजबूत रखने में मदद करेगी।

8 घंटे की नींद जरूरी- मानसिक तनाव से बचने के लिए मेडिटेशन और 8 घंटे की पर्याप्त नींद लेना जरूरी है।

डॉक्टर से कंसल्ट करें- अगर लंबे समय से पीठ या कमर में दर्द बना हुआ है तो इसे नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें, ताकि समय रहते सही इलाज मिल सके।

एक्सियल स्पॉन्डिलोआर्थराइटिस से जुड़े कॉमन सवाल और जवाब

सवाल: एक्सियल स्पॉन्डिलोआर्थराइटिस क्यों होता है?

जवाब: इसका सटीक कारण अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। यह एक ऑटोइम्यून डिजीज है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से खुद के जोड़ों पर हमला करने लगता है। इसके कारण इंफ्लेमेशन होता है और जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है। यह अनुवांशिक भी हो सकता है क्योंकि देखा गया है कि जिन लोगों में HLA-B27 जीन होता है, उन्हें इसका खतरा ज्यादा होता है। इसके अलावा खराब लाइफस्टाइल और गलत फूड चॉइस भी इसका कारण बन सकता है।

सवाल: क्या यह बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है?

जवाब: इसका पूरी तरह से इलाज संभव नहीं है, लेकिन सही इलाज और लाइफस्टाइल में बदलाव से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। दवाओं और फिजिकल थेरेपी की मदद से एक्सियल स्पॉन्डिलोआर्थराइटिस का पेशेंट भी काफी हद तक एक सामान्य जीवन जी सकता है।

सवाल: क्या एक्सरसाइज से इस बीमारी में फायदा होता है?

जवाब: हां, हल्की स्ट्रेचिंग, योग और फिजियोथेरेपी से जोड़ों की जकड़न और दर्द को कम किया जा सकता है। रेगुलर एक्सरसाइज करने से रीढ़ की हड्डी फ्लेक्सिबल बनी रहती है। इससे पीठ और कमर के दर्द में राहत मिलती है।

सवाल: क्या डाइट से इस बीमारी पर असर पड़ता है?

जवाब: हां, संतुलित डाइट लेने से काफी फायदा होता है। जरूरी है कि इस डाइट में ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन D, कैल्शियम से भरपूर चीजें शामिल की गई हों। इसमें हरी सब्जियां शामिल करना भी जरूरी है।

सवाल: किन लोगों को इस बीमारी का खतरा ज्यादा होता है?

जवाब:

  • जिनकी एक्सियल स्पॉन्डिलोआर्थराइटिस की फैमिली हिस्ट्री है।
  • 45 साल से कम उम्र के पुरुष।
  • HLA-B27 जीन वाले लोग।
  • धूम्रपान करने वाले और ज्यादा स्ट्रेस लेने वाले लोग।

सवाल: एक्सियल स्पॉन्डिलोआर्थराइटिस जैसे किन लक्षणों में डॉक्टर से कंसल्ट करना जरूरी है?

जवाब: अगर आपको तीन महीने से ज्यादा समय से ये समस्याएं हैं तो डॉक्टर से तुरंत कंसल्ट करें-

  • कमर या पीठ में दर्द, जकड़न।
  • जोड़ों में सूजन।
  • आंखों में जलन।

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