जब हम आत्म निरीक्षण करते हैं तो हमें सिद्धियां मिलती हैं। इसलिए अपने मन का निरीक्षण करें। हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि हम मन, वचन, कर्म से सकारात्मक रहें। हमारा स्वभाव, वाणी, व्यवहार और विचार अच्छे होने चाहिए। हमारी वाणी कर्कश न हो, उसमें प्रियता रहे, वाणी में छल न हो। आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए हमें किस दिशा में नहीं जाना चाहिए? आज का जीवन सूत्र जानने के लिए ऊपर फोटो पर क्लिक करें।
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![स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र:मन, वचन और कर्म से सकारात्मक रहें; हमारी वाणी में प्रियता रहे, इसमें छल न हो स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र:मन, वचन और कर्म से सकारात्मक रहें; हमारी वाणी में प्रियता रहे, इसमें छल न हो](https://i2.wp.com/images.bhaskarassets.com/thumb/1000x1000/web2images/521/2024/12/11/avdheshanand-ji-cover_1733898784.png?w=1210&resize=1210,642&ssl=1)