हरिद्वार13 घंटे पहले
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मातृभाषा हमारे स्वभाव और प्रकृति का परिचय देती है। इसलिए जो भी आपकी भाषा है, जिस प्रकार का भी आपका रहन-सहन, आपका भोजन है, उसके लिए सम्मान का भाव रखें। आप जहां भी रहते हैं, अपनी भाषा का आदर करें। भारतीय संस्कृति में हम अपने संस्कार-विचारों का, जीवन शैली का सम्मान करते चले आए हैं।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए हमारी खास पहचान किसकी मदद से बनती है?
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