1 फरवरी को तिलकुंद चतुर्थी:  भगवान गणेश के साथ ही शनि देव की पूजा का शुभ योग, तिल के लड्डू का भोग लगाएं और तिल का दान करें
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1 फरवरी को तिलकुंद चतुर्थी: भगवान गणेश के साथ ही शनि देव की पूजा का शुभ योग, तिल के लड्डू का भोग लगाएं और तिल का दान करें

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3 घंटे पहले

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शनिवार, 1 फरवरी को माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। इस व्रत का नाम तिलकुंद चतुर्थी है। चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी माने गए हैं और शनिवार का कारक ग्रह शनि है, इसलिए इस दिन गणेश जी के साथ ही शनि देव की भी विशेष पूजा करनी चाहिए।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, ज्योतिष में शनि को न्यायाधीश माना जाता है, ये ग्रह मकर और कुंभ राशि का स्वामी है। शनि इस समय कुंभ राशि में है और इस वजह से मकर, कुंभ और मीन राशि पर साढ़ेसाती चल रही है। वृश्चिक और कर्क राशि पर शनि का ढय्या चल रहा है। जिन लोगों की कुंडली में शनि की स्थिति अच्छी नहीं है, उन लोगों को शनिवार और चतुर्थी के योग में शनिदेव का तेल से अभिषेक करना चाहिए। शनि के लिए काले तिल का दान करें। शनि को तिल से बने व्यंजन का भोग लगाएं।

तिलकुंद चतुर्थी पर करं तिल से जुड़े शुभ काम

तिलकुंद चतुर्थी पर पूजा-पाठ के साथ ही तिल का दान खासतौर पर करना चाहिए। पानी में काले तिल मिलाकर स्नान करें।

नहाने से पहले शरीर पर तिल से बना उबटन लगा सकते हैं। गणेश जी को तिल के लड्डू का भोग लगाएं। इस दिन तिल से हवन कर सकते हैं।

खाने में तिल का सेवन करें। शाम को चंद्र उदय के बाद चंद्र की पूजा करें और तिल-गुड़ का भोग लगाएं।

सरल स्टेप्स में कर सकते हैं गणेश जी की पूजा

तिलकुंद चतुर्थी पर स्नान के बाद घर के मंदिर में भगवान गणेश का पूजन करें।

पूजा के में भगवान गणेश का पंचामृत और जल से अभिषेक करें। इसके बाद हार-फूल और वस्त्रों से श्रृंगार करें।

दूर्वा, फल, फूल, चावल, रौली, मौली चढ़ाएं। तिल और तिल-गुड़ से बनी मिठाई, लड्डुओं का भोग लगाएं।

गणेश पूजा करते समय अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखेंगे तो बहुत शुभ रहेगा।

पूजा में ऊँ श्रीगणेशाय नम: मंत्र का जप करें। धूप-दीप जलाएं। कर्पूर जलाकर आरती करें।

पूजा के बाद भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। प्रसाद बाटें।

शाम को भी ठीक इसी तरह भगवान की पूजा करें। चतुर्थी व्रत की कथा पढ़ें-सुनें।

चतुर्थी पर करें ये शुभ काम

  • इस दिन ऊनी कपड़े, कंबल, जूते-चप्पल, कपड़े, खाना और तिल आदि का दान करना चाहिए।
  • शनि देव के निमित्त तेल और काले तिल का दान करें।
  • किसी मंदिर में पूजन सामग्री जैसे कुमकुम, गुलाल, अबीर, हार-फूल, प्रसाद, भगवान के वस्त्र-आभूषण, चंदन, घी-तेल, रूई आदि चीजें दान करें।

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