मुगल शासक औरंगजेब को लेकर पिछले कुछ हफ्तों से महाराष्ट्र और देश की राजनीति में जोरदार बहस चल रही है। इस बहस के बीच ही कॉमेडियन कुणाल कामरा की ओर से कथित रूप से महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को लेकर की गई टिप्पणी पर भी महाराष्ट्र में अच्छा-खासा बवाल हुआ।
औरंगजेब को लेकर चली बहस उसकी कब्र को हटाने की मांग तक पहुंच गई और इसे लेकर हिंदू संगठनों ने जब प्रदर्शन किया तो इस दौरान नागपुर में हिंसा भी हुई। औरंगजेब की कब्र, कुणाल कामरा की कॉमेडी सहित तमाम मुद्दों को लेकर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने The Indian Express को दिए इंटरव्यू में अपनी बात रखी।
बताना होगा कि रामदास अठावले महाराष्ट्र के प्रमुख दलित नेता हैं और Republican Party of India (Athawale) के अध्यक्ष भी हैं।
अठावले से जब यह पूछा गया कि महाराष्ट्र में मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग की जा रही है, इसे लेकर उनका क्या कहना है तो उन्होंने कहा, ‘औरंगजेब की मौत 1707 में हुई थी, पिछले 300 सालों में उसकी कब्र को हटाने का मुद्दा नहीं उठा। यह मुद्दा अब सामने आया जब छत्रपति संभाजी महाराज पर छावा फिल्म बनी। लोग जानते हैं कि औरंगजेब ने ही छत्रपति संभाजी महाराज की हत्या की थी लेकिन फिल्म में उन्होंने इसे देखा। यह फिल्म पूरे देश भर में दिखाई गई। लोगों ने मुझे बताया कि यह फिल्म हिट रही और इसे देखते हुए वे रो पड़े। उसके बाद ही औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग उठी है।’
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…शिवाजी महाराज ना होते तो
अठावले ने आगे कहा, ‘मैं एनडीए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हूं और उनकी नीतियों को पसंद करता हूं लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि औरंगजेब की कब्र को हटाने से कुछ नहीं होगा, इसे नहीं हटाया जाना चाहिए। शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज का एक इतिहास है। औरंगजेब ने कई प्रांतों पर कब्जा करने की कोशिश की थी और छत्रपति शिवाजी महाराज ने उसे ऐसा करने से रोका था। अगर शिवाजी महाराज ना होते तो औरंगजेब और मुगल पूरे देश भर में फैल गए होते।’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संभाजी महाराज ने औरंगजेब के सामने सिर झुकाने से इनकार कर दिया था इसलिए औरंगजेब ने उन्हें यातनाएं दी और उनके शरीर के टुकड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के सैनिकों में दलित महार भी शामिल थे।
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देश के प्रमुख दलित नेताओं में शुमार अठावले ने कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि औरंगजेब की कब्र को हटाने से कोई फायदा नहीं होगा लेकिन मुसलमानों को औरंगजेब से नहीं जुड़ना चाहिए और हिंदुओं को भी उसकी कब्र को हटाने की मांग नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुंबई में 1992 में दंगे हुए थे लेकिन उसके बाद से वहां कोई दंगा नहीं हुआ।
अखिलेश की सरकार में होते थे दंगे- अठावले
अठावले ने कहा कि योगी आदित्यनाथ के शासन में उत्तर प्रदेश में कोई दंगा नहीं हुआ लेकिन अखिलेश यादव के टाइम में आए दिन दंगे होते थे। उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों को मोदी सरकार की योजनाओं का बिना किसी भेदभाव के फायदा मिल रहा है इसलिए हिंदू-मुस्लिम विवाद देश के हित में नहीं है।
…औरंगजेब मर चुका है
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि औरंगजेब की कब्र को एएसआई से संरक्षित है और यह बरकरार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को औरंगजेब की कब्र से नहीं जुड़ना चाहिए लेकिन कब्र बनी रहनी चाहिए। आगे एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि औरंगजेब मर चुका है तो इस मुद्दे को भी खत्म कर दिया जाना चाहिए।
कुणाल कामरा को लेकर अठावले ने कहा कि वह एक अच्छे कलाकार हैं, उनका सेंस ऑफ ह्यूमर भी अच्छा है लेकिन गद्दार जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। उन्हें वह गाना नहीं गाना चाहिए था जिसे लेकर विवाद हुआ।
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