Boman Irani became a director at the age of 65 | बोमन ईरानी 65 साल की उम्र में निर्देशक बने: बोले- बूढ़ा डायरेक्टर का रिकॉर्ड तोड़ना था, ‘द मेहता बॉयज’ पिता-पुत्र के रिश्ते पर आधारित
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Boman Irani became a director at the age of 65 | बोमन ईरानी 65 साल की उम्र में निर्देशक बने: बोले- बूढ़ा डायरेक्टर का रिकॉर्ड तोड़ना था, ‘द मेहता बॉयज’ पिता-पुत्र के रिश्ते पर आधारित

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6 मिनट पहलेलेखक: वीरेंद्र मिश्र

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फिल्म ‘द मेहता बॉयज’ से बोमन ईरानी ने डायरेक्शन में कदम रख रहे हैं। इस फिल्म के प्रोड्यूसर और राइटर भी बोमन ईरानी हैं। - Dainik Bhaskar

फिल्म ‘द मेहता बॉयज’ से बोमन ईरानी ने डायरेक्शन में कदम रख रहे हैं। इस फिल्म के प्रोड्यूसर और राइटर भी बोमन ईरानी हैं।

फिल्म ‘द मेहता बॉयज’ से बोमन ईरानी ने डायरेक्शन में कदम रखा है। इस फिल्म के प्रोड्यूसर भी बोमन ईरानी हैं। फिल्म की कहानी उन्होंने अकादमी पुरस्कार विजेता अलेक्जेंडर दिनलारिस जूनियर के साथ लिखी है। पिता-पुत्र के रिश्ते पर आधारित यह फिल्म प्राइम वीडियो पर 7 फरवरी 2025 को रिलीज होगी। हाल ही में इस फिल्म को लेकर बोमन ईरानी ने दैनिक भास्कर से बातचीत की। उन्होंने बताया कि उन्हें हर चीज के लिए टाइम लगता है। 65 साल की उम्र में डायरेक्शन में इसलिए कदम रखा, क्योंकि उन्हें सबसे बूढ़ा डायरेक्टर का रिकॉर्ड तोड़ना था। पेश है बोमन ईरानी से हुई बातचीत के कुछ और खास अंश..

सवाल- डायरेक्शन में आने के लिए इतना समय क्यों लग गया?

जवाब- मुझे हर चीज के लिए टाइम लगता है। मैं 34 साल की उम्र में फोटोग्राफर बना। थिएटर में शुरुआत 35 साल में की। 44 साल की उम्र में हिंदी फिल्मों में आया और 65 साल की उम्र में डायरेक्शन में कदम रखा। मुझे सबसे बूढ़ा डायरेक्टर का रिकॉर्ड तोड़ना था। बचपन के बहुत सारे अरमान होते हैं, जिसको पूरा करने का एक वक्त होता है।

सवाल- आपने कई बड़े डायरेक्टर्स के साथ काम किए हैं। किसकी डायरेक्शन शैली आपको ज्यादा प्रभावित करती है?

जवाब- मैंने हर डायरेक्टर से कुछ ना कुछ सीखा है। मैं सबके ओपिनियन सुनता हूं। राज कपूर साहब भी सबके ओपिनियन सुनते थे। मैंने राजकुमार हिरानी से बहुत सीखा है। वो स्क्रिप्ट पर बहुत ध्यान देते हैं। यश चोपड़ा साहब से सीखा कि कैसे सेट पर माहौल बनाते हैं। शूटिंग से पहले वो सबको सहज महसूस करवाते थे। सुभाष कपूर डायलॉग को लेकर बहुत ही पैशनेट रहते हैं। श्याम बेनेगल से मैंने जो भी सीखा है, अगर अपनी जिंदगी में उतरता जाऊं तो एक अच्छा डायरेक्टर बन सकता हूं।

सवाल- फिल्म ‘द मेहता बॉयज’ की शुरुआत कैसे हुई?

जवाब- एक दिन राइटर-डायरेक्टर सुजॉय घोष मेरे घर पर आए थे। उस समय मैं बीमार था, मुझे बुखार हुआ था। उन्होंने मुझे 3-4 स्टोरी का आइडिया सुनाया। जब उन्होंने इस फिल्म का आइडिया सुनाया कि पिता-पुत्र के बीच आपसी मतभेद है और उन्हें एक साथ 48 घंटे गुजारने हैं। मैंने कहा कि यह फिल्म करना चाहता हूं, क्योंकि इसे डायरेक्ट करने का मन है। इस तरह से ‘द मेहता बॉयज’ की शुरुआत हुई। हालांकि, राइटिंग के प्रोसेस को सीखने में मुझे थोड़ा समय लगा था।

सवाल- ना सिर्फ पिता-पुत्र, बल्कि बाकी रिश्तों के बीच भी दूरियां आने लगी हैं। इसकी क्या वजह मानते हैं आप?

जवाब- अगर हमें इसका कारण पता होता तो समस्या ही नहीं होती। लोगों को सुझाव देता और प्रॉब्लम सॉल्व हो जाती, लेकिन असल में इसके कारण क्या है? वही हम ढूंढने निकले हैं। उसी के लिए यह फिल्म बनी है। अगर समस्या का समाधान होता तो फिल्म में मजा ही नहीं आता।

सवाल- पिता बनने के बाद पिता की अहमियत समझ में आती है। मां ने पिता के बारे में ऐसी कोई बात बताई हो, जिसे आपने अपने जीवन में आत्मसात कर लिया हो?

जवाब- मेरे पिता जी बहुत अच्छे इंसान थे। उनकी सिर्फ एक छोटी सी फोटो के अलावा हमारे पास कुछ नहीं है। मैं 6 महीने का था जब पिता जी की मृत्यु हो गई। मेरी मां ने कभी भी उनकी कमी महसूस नहीं होने दी। बड़ी अच्छी बात यह है कि पिता हमेशा एक पिता बने रहना चाहता है।

सवाल- आप अपने बेटों के साथ किस तरह से पेश आते हैं?

जवाब– मेरे बेटे बहुत अच्छे हैं। मुझे उनपर गर्व है। मेरा व्यवहार उनके प्रति शायद शिव (द मेहता बॉयज का किरदार) जैसा हो सकता है। वैसे मैं अपने बेटों से बहुत प्यार करता हूं। जिंदगी में थोड़े बहुत मतभेद तो चलते रहते हैं।

सवाल- आगे भी डायरेक्शन में सक्रिय रहेंगे?

जवाब- बिल्कुल, मेरे हिसाब से करते रहना चाहिए।



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