Fact Check: कर्नाटक सरकार का सिर्फ मुस्लिम लड़कियों को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के लिए बजट देने का दावा गलत
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Fact Check: कर्नाटक सरकार का सिर्फ मुस्लिम लड़कियों को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के लिए बजट देने का दावा गलत

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सोशल मीडिया पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से जुड़ा हुआ एक पोस्ट शेयर किया जा रहा है। इस पोस्ट के जरिए सिद्धारमैया सरकार पर सांप्रदायिक होने का दावा किया जा रहा है। 

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क्या है दावा 

इस पोस्ट को शेयर करके लिखा जा रहा है कि कर्नाटक में हिंदू लड़की स्वाति की बेरहमी से हत्या, पुलिस ने एक अपराधी नयाज को गिरफ्तार किया। दावा किया जा रहा है कि अपने बजट में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सरकार के बजट में केवल मुस्लिम समुदाय की लड़कियों को आत्मरक्षा प्रशिक्षण देने की घोषणा की है। 

रागिनी सिन्हा नाम की एक फेसबुक यूजर ने इस पोस्टर को शेयर किया है। (पोस्ट का आर्काइव लिंक)

Christian Missionaries Exposed नाम के एक और फेसबुक यूजर ने इस पोस्टर को शेयर किया है। (पोस्ट का आर्काइव लिंक)

राजेश अनंतरामन नाम के एक एक्स यूजर ने लिखा “वह खुलेआम संकेत देते हैं कि वह चाहते हैं कि हिंदू महिलाओं का बलात्कार हो और उनकी हत्या हो। यह वही कांग्रेस है जो लोकतंत्र और संविधान बचाने पर व्याख्यान देती है।” (पोस्ट का आर्काइव लिंक)

पड़ताल 

इस दावे की पड़ताल करने के लिए हमने सबसे पहले इंटरनेट पर कीवर्ड के माध्यम से इस खबर को खोजने की कोशिश की। यहां हमें इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर देखने को मिली। इस खबर में बताया गया था कि “मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बजट में घोषणा की कि अल्पसंख्यक निदेशालय द्वारा संचालित 169 आवासीय विद्यालयों और महाविद्यालयों में पढ़ने वाली 25,000 छात्राओं को आत्मरक्षा कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा।”  

हमने आगे सर्च किया तो हमें  7 मार्च 2025 को प्रस्तुत किए गए कर्नाटक राज्य के बजट को देखा।  इस बजट के बिंदु संख्या 221 में लिखा है कि “अल्पसंख्यक निदेशालय द्वारा संचालित 169 आवासीय विद्यालयों/महाविद्यालयों में पढ़ने वाली 25,000 छात्राओं को आत्मरक्षा कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।”

आगे हमने कर्नाटक के अल्पसंख्यक निदेशालय की वेबसाइट को देखी तो यहां से हमें पता चला कि अल्पसंख्यक समुदायों में मुस्लिम, ईसाई, जैन, बौद्ध, सिख और पारसी शामिल हैं। 

पड़ताल का नतीजा 

यहां ये सह साफ हो गया कि प्रशिक्षण सभी अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों के लिए है, न कि केवल मुस्लिम समुदाय से।

 



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