Fact Check: नेपाल में बौद्ध भिक्षुओं को पीटने का वीडियो भारत का बताकर फैलाया जा रहा झूठ, पढ़ें पड़ताल
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Fact Check: नेपाल में बौद्ध भिक्षुओं को पीटने का वीडियो भारत का बताकर फैलाया जा रहा झूठ, पढ़ें पड़ताल

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सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया जा रहा है जिसमें कुछ पुलिस के जवान बौद्ध भिक्षुओं को पीटते हुए नजर आ रहे हैंं। 

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क्या है दावा  

इस वीडियो को शेयर करके भारत का बताया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि भारत में बौद्ध भिक्षुओं को पीटा गया। 

अतुल कोडवाल (@Bahujanjanatad) नाम के एक एक्स यूजर ने लिखा “महाबोधि_मुक्ति_आंदोलन में शांतिपूर्ण ढंग से बौद्ध भिक्षु प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन प्रशासन का  रवैया निंदनीय है। ये किसी मंदिर के पुजारी नहीं है जिन्हें पुलिस लात मार रहीं है ये तथागत बुद्ध के अनुयायी है अगर ये चुप है तो बुद्ध है। और अगर युद्ध की जरूरत पड़ी तो ये सम्राट अशोक है।” (पोस्ट का आर्काइव लिंक)

 

प्रीतम कुमार बौद्ध (@Pritamkrbauddh) नाम के एक एक्स यूजर ने लिखा “एक बार वापस ‘भीमा कोरेगाव’ करना पडेंगा।” (पोस्ट का आर्काइव लिंक)

 

अशोक डीएनडी एंटरटेनमेंट नाम के एक यूट्यूब चैनल ने लिखा “बौद्ध भिक्षुओं को प्रशासन द्वारा लात घुसा व डंडे से मारते हुए व प्रताड़ित करते हुए” (पोस्ट का आर्काइव लिंक)

पड़ताल 

इस वीडियो की पड़ताल करने के लिए हमने वीडियो को गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च किया। यहां हमें एक्स पर एक पोस्ट देखने को मिला। यह पोस्ट द भूटानी समाचार पत्र के संपादक तेनजिंग लामसांग के द्वारा पोस्ट किया गया था। इसको 11 अप्रैल 2024 को पोस्ट किया गया था। पोस्ट में तेनजिंग लामसांग ने लिखा “नेपाल: बुद्ध का जन्म नेपाल में हुआ था। साथ ही नेपाल: एक ऐसे बौद्ध भिक्षु को लात मारो जो शांतिपूर्वक घूम रहा था और जिसका नेपाल पुलिस द्वारा दबाये जा रहे घरेलू राजनीतिक विरोध से कोई लेना-देना नहीं था।”

इस मामले में बारे में ज्यादा जानने के लिए हमने कीवर्ड के माध्यम से इस खबर को खोजने की कोशिश की। यहां हमें नेपाल के समाचार पत्र रिपब्लिका पर ये खबर देखने को मिली। इस खबर को 8 अप्रैल 2024 को प्रकाशित किया गया था। खबर में बताया गया था कि शनिवार को राजेंद्र महतो के नेतृत्व में राष्ट्रीय क्रांति अभियान द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई। इस दौरान पुलिस ने सड़क किनारे टहल रहे दो साधुओं के साथ दुर्व्यवहार किया। पुलिस मुख्यालय ने सोशल मीडिया पर सूचना जारी कर बताया था कि घटना में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई थी। 

पड़ताल का नतीजा 

हमारी पड़ताल में यह साफ है कि मामला भारत का नहीं बल्कि नेपाल का है। जिसे भारत का बताकर भ्रामक दावा किया जा रहा है। 

 





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