सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर की जी रही है जिसमें पाकिस्तानी झंडे में लिपटे कुछ ताबूत नजर आ रहे हैं।
क्या है दावा
इस तस्वीर को शेयर करके दावा किया जा रहा है कि बीएलए के लोगों ने जाफ़र एक्सप्रेस का अपहरण किया और पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया है। इसके बाद उनके ताबूत यहां दिख रहे हैं।
Thetelecast नाम के एक इंस्टाग्राम अकाउंट ने लिखा “झूठ बोल रही PAK सेना? बलूच आर्मी ने मारे 50 से ज्यादा जवान, अपनों ने खोली पोल। #बलूच आर्मी ने पाकिस्तानी सेना पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें ट्रेन से बचकर आए लोगों ने दावा किया है कि कई पाकिस्तान सैनिक मारे गए हैं।”
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डॉ. अनीता व्लादिवोस्की (@anitavladivoski) नाम की एक एक्स यूजर ने लिखा “बहादुर बलूच लड़ाकों द्वारा शिकार किए गए सू** के शव” (पोस्ट का आर्काइव लिंक)
Dead Bodies of Converted Pigs Hunted by Brave Baloch Fighters pic.twitter.com/WdmiRZNwiR
— Dr. Anita Vladivoski (@anitavladivoski) March 13, 2025
सतीश मिश्रा (@SATISHMISH78) नाम के एक एक्स यूजर ने लिखा “खबर तो यह थी कि 200 ताबूत भेजे गए थे। यहां तो सिर्फ 10-20 ही दिख रहे हैं।” (पोस्ट का आर्काइव लिंक)
खबर तो था कि 200 ताबूत भेजे गए थे
यहां तो सिर्फ 10-20 ही दिख रहा हैं। pic.twitter.com/MOKKeA7BFa
— Satish Mishra 🇮🇳 (@SATISHMISH78) March 13, 2025
पड़ताल
इस दावे की पड़ताल करने के लिए हमने इस तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च किया। यहां हमें द इंडिपेंडेंट की खबर देखने को मिली। इस खबर में ये फोटो प्रकाशित की गई थी। खबर को 2011 में छापा गया था। इस खबर के मुताबिक “पाकिस्तान की सेना को उस समय बड़ा झटका लगा जब एक आत्मघाती हमलावर, जो किशोरवय था और स्कूल की वर्दी पहने हुए था, सैन्य अड्डे में घुस गया और विस्फोट कर दिया, जिसमें कम से कम 31 सैनिक और कैडेट मारे गए।
जब तालिबान ने उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान के मरदान शहर में पंजाब रेजिमेंट सेंटर पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली, तो प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने हमले की निंदा की। उन्होंने एक बयान में कहा, “इस तरह के कायरतापूर्ण हमले सुरक्षा एजेंसियों के मनोबल और आतंकवाद को खत्म करने के राष्ट्र के संकल्प को प्रभावित नहीं कर सकते।”
द संडे टाइम्स में हमें यह खबर 2011 को ही प्रकाशित मिली। इस खबर में बताया गया था कि उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान के मैदान में 10 फरवरी 2011 को एक सैन्य प्रशिक्षण केंद्र में आत्मघाती हमले में मारे गए पीड़ितों के ताबूतों के पास उनके रिश्तेदार और अधिकारी प्रार्थना करते हुए।
पड़ताल का नतीजा
हमारी पड़ताल में ये साफ है कि घटना 2011 की है जिसे अभी का बताकर शेयर किया जा रहा है।