Awami Action Committee Banned: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए जम्मू-कश्मीर के दो संगठनों को बैन कर दिया है। इन संगठनों के नाम अवामी एक्शन कमेटी (एएसी) और जम्मू-कश्मीर इत्तिहादुल मुस्लिमीन (जेकेआईएम) हैं। एएसी की कमान मौलवी मीरवाइज उमर फारूक के पास और जेकेआईएम की बागडोर शिया नेता मसरूर अब्बास अंसारी के हाथ में है।
केंद्र सरकार के इस एक्शन की मौलवी मीरवाइज उमर फारूक ने निंदा की है। मीरवाइज उमर फारूक अलगाववादी संगठन ऑल पार्टीज हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष हैं और श्रीनगर की जामिया मस्जिद के मुख्य मौलवी हैं। यह मस्जिद कश्मीर की सबसे प्रभावशाली मस्जिद है। जबकि मसरूर अब्बास अंसारी ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता हैं।
केंद्र सरकार ने कहा है कि उसने यह कदम राष्ट्र विरोधी गतिविधियों, आतंकवाद का समर्थन करने और अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोपों के चलते उठाया है।
1948 से आजादी की लड़ाई लड़ रहे बलूच लड़ाके बने पाकिस्तान के लिए मुसीबत, क्यों मांग रहे अलग देश?
क्या कहा गृह मंत्रालय ने?
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नोटिफिकेशन में कहा कि एएसी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल है और यह देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए हानिकारक है। मंत्रालय ने कहा है कि जेकेआईएम भी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल है और इसके सदस्य जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए आतंकवादी गतिविधियों और भारत विरोधी प्रचार में शामिल रहे हैं। इसलिए गृह मंत्रालय ने दोनों संगठनों को Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967 के तहत पांच साल के लिए गैरकानूनी घोषित कर दिया है और इन पर बैन लगा दिया गया है।
गृह मंत्रालय ने कहा है कि अवामी एक्शन कमेटी के नेता जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन देने में शामिल हैं। नोटिफिकेशन के मुताबिक, मंत्रालय ने कहा है कि उमर फारूक, मुश्ताक-उल-इस्लाम, निसार अहमद राथर और निसार अहमद भट जैसे अवामी एक्शन कमेटी के नेताओं के खिलाफ जो मामले दर्ज हैं, उनमें देश की अखंडता के खिलाफ नारे लगाना और ऐसे भाषण देना भी शामिल है कि जब तक जम्मू-कश्मीर भारत से अलग नहीं हो जाता, वे संघर्ष करते रहेंगे। मंत्रालय ने कहा है कि जेकेआईएम जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने के लिए हथियारों के इस्तेमाल और सरकार के खिलाफ नफरत को बढ़ावा दे रहा है।
सच को चुप नहीं कराया जा सकता- उमर फारूक
केंद्र की इस कार्रवाई पर मौलवी मीरवाइज उमर फारूक ने कहा है कि उनका संगठन लोकतांत्रिक तरीकों से कश्मीर के लोगों के हक की वकालत कर रहा है और इसके लिए इस संगठन के सदस्यों ने अपनी कुर्बानी दी है और जेल भी गए हैं। उन्होंने कहा है कि सच को ताकत के जरिए दबाया जा सकता है लेकिन चुप नहीं कराया जा सकता।
क्लिक कर जानिए बलूच लिबरेशन आर्मी क्या है? पाकिस्तान की ट्रेन को क्यों किया हाईजैक