men and women don’t understand each other | ‘एक-दूसरे को समझ नहीं पाते पुरुष और स्त्री’: गुल पनाग बोलीं- यही जिंदगी का उसूल, अगर सब अच्छा होता तो आज ‘पाताल लोक’ नहीं होता
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men and women don’t understand each other | ‘एक-दूसरे को समझ नहीं पाते पुरुष और स्त्री’: गुल पनाग बोलीं- यही जिंदगी का उसूल, अगर सब अच्छा होता तो आज ‘पाताल लोक’ नहीं होता

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30 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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अमेजन प्राइम वीडियो की बहुप्रतीक्षित वेब सीरीज ‘पाताल लोक’ का दूसरा सीजन 17 जनवरी 2025 से स्ट्रीम होने जा रहा है। हाल ही में सीरीज की स्टारकास्ट इश्वाक सिंह, गुल पनाग और डायरेक्टर अविनाश अरुण धवारे ने दैनिक भास्कर से बातचीत की। अविनाश ने बताया कि इस बार सीरीज में पुरुष किरदारों के साथ महिला किरदार भी उभरकर नजर आएंगी। वहीं, गुल पनाग ने बताया कि जिंदगी का ऐसा उसूल है कि पुरुष और स्त्री हंड्रेड प्रतिशत एक दूसरे को नहीं समझ पाते हैं। वैसे भी अगर हम सब एक जैसे होते तो यह पाताल लोक नहीं होता। बातचीत के दौरान सीरीज की स्टारकास्ट और डायरेक्टर ने और क्या कहा? पढ़िए बातचीत के कुछ खास अंश में..

‘पाताल लोक 2’ की स्टारकास्ट गुल पनाग, इश्वाक सिंह और डायरेक्टर अविनाश अरुण धवारे ने दैनिक भास्कर से बातचीत की।

‘पाताल लोक 2’ की स्टारकास्ट गुल पनाग, इश्वाक सिंह और डायरेक्टर अविनाश अरुण धवारे ने दैनिक भास्कर से बातचीत की।

अविनाश, जिस तरह से ट्रेलर को दर्शकों की तरफ से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है, कैसा फील कर रहे हैं?

‘पाताल लोक 2’ को लेकर आने में 4-5 साल लग गए। हम लोग बहुत ही बेहतरीन कहानी के साथ आ रहे हैं। मैं यही आशा करता हूं कि जिस तरह से दर्शकों ने पाताल लोक सीजन वन को प्यार दिया था उसी तरह से ‘पाताल लोक 2’ को भी प्यार दें।

इश्वाक, इस सीरीज के पहले पार्ट के बाद लाइफ में क्या बदलाव आए?

कभी नहीं सोचा था कि ऐसे शो में काम करने का मौका मिलेगा। सब इंस्पेक्टर से लेकर आदमी जिस तरह से आईपीएस अधिकारी बनता है। उसी तरह से मेरे एक्टिंग प्रोफेशन में बदलाव आया है। आप यह कह सकते हैं कि एक्टिंग प्रोफेशन में एसीपी बन गया हूं।

गुल, यह बताइए कि रेनू चौधरी का हाथीराम चौधरी के साथ जो रिश्ता है, उसमें इस बार नया क्या फ्लेवर लेकर आने वाली हैं?

हर रिश्ते में समय-समय पर तब्दीली आती है। कुछ तब्दीली हाथीराम और रेनू चौधरी के भी रिश्ते में आई है। पहले बच्चे पालने की जद्दोजहद में आपस में तनाव रहता था। अब बेटा बड़ा हो गया है। रेनू अब अपनी पहचान बनाना चाहती है। मुझे उम्मीद है कि दर्शकों ने जिस तरह से पहले सीजन में मेरे इस किरदार को पसंद किया था। उसी तरह इस बार भी पसंद करेंगे।

इससे पहले हाथीराम चौधरी के साथ जैसे रिश्ते रहे हैं, उसके बारे में क्या कहना चाहती हैं?

हर आदमी यही कहता कि मेरी पत्नी मुझे नहीं समझती है। कुछ हद महिलाओं की भी यही सोच है कि उनका पति उन्हें नहीं समझ पा रहा है। यह तो जिंदगी का उसूल है। हंड्रेड प्रतिशत हम एक दूसरे को नहीं समझ सकते हैं।

यह सुधार कैसे आए कि पति-पत्नी एक दूसरे को समझ सके?

मैं इस मामले में कोई परामर्श नहीं दे सकती हूं। अगर संक्षेप में मेरी बात समझे तो आदमी और औरत के बीच असमानता तो रहती ही है। यही बात हमें स्पेशल बनाती है। अगर हम सब एक जैसे होते, तो कहानियां नहीं बनती। फिर यह पाताल लोक नहीं होता।

अविनाश, इस बार आप रेनू चौधरी के किरदार को किस तरह से देख रहे हैं?

इस बार रेनू के किरदार में बहुत सारा प्यार, समझ और जिम्मेदारी आ गई है। मुझे लगता है कि एक दूसरे को जानने से पहले खुद को जानना चाहिए। इस बार रेनू खुद को जानने की कोशिश कर रही है। उनके और हाथीराम के रिश्ते के बीच एक नया आयाम देखने को मिलेगा। रेनू के किरदार को गुल पनाग ने बहुत ही खूबसूरती के साथ जिया है।

इश्वाक सिंह के किरदार को किस तरह से देख रहे हैं?

इश्वाक सिंह का बहुत ही स्पेशल किरदार है। यह ऐसा किरदार है, जिसकी तरह का इंसान बनने की कोशिश करता है। मुझे लगता है कि इश्वाक सिंह का सीरीज में इमरान अंसारी का ऐसा किरदार है, जिसके जैसा हर किसी को बनना चाहिए।

इश्वाक सिंह का सीरीज में इमरान अंसारी का ऐसा किरदार है।

इश्वाक सिंह का सीरीज में इमरान अंसारी का ऐसा किरदार है।

इश्वाक, इस बार आपने इमरान अंसारी के किरदार के लिए किस तरह की तैयारी की है?

अलग से कुछ खास करने की तैयारी नहीं करनी पड़ी। पहले सीजन के किरदार के हिसाब से ही खुद को ढालता रहा। हम अपने आस-पास ऐसे कई इमोशनल क्षण से गुजरते रहे हैं, जो हमारे अंदर कहीं ना कहीं रहते ही हैं। वो सारे इमोशन शूटिंग के दौरान अपने आप ही बाहर आ जाते हैं।

ऐसे किरदार से बाहर निकलना कितना मुश्किल होता है?

यह कैसे बताऊं, यह हमारे काम का एक हिस्सा है। खुद को किसी ऐसे फीलिंग में बांधना बहुत मुश्किल होता है,जो आपके अंदर नहीं है। इस दौरान खुद को अपनी दुनिया से अलग करना पड़ता है। और, सीन कट होने के बाद खुद की दुनिया में आ जाते हैं।

गुल, आप इस शो को किस तरह से देखती हैं?

पाताल लोक ने लोगों को कनेक्ट ही किया है। इसमें हमने ऐसी वास्तविकता को दिखाया है जो आम तौर पर अखबार के आठवें पन्ने में सिमट कर रह जाता है। इस सीरीज ने जितना लोगों का मनोरंजन किया है। उतना सोचने पर भी मजबूर किया है। यही पाताल लोक की सबसे बड़ी कामयाबी है। यह सीरीज वह सारी चीजें दिखा रहा है, जिसे जानते हुए भी हम अनजान बन रहे हैं।

रेनू चौधरी के किरदार से निकलने के लिए क्या करती हैं?

अक्सर लोग पूछते हैं कि रेनू के किरदार और मुझमें क्या समानता है। मैं रेनू की तरह बिल्कुल भी नहीं हूं। मैं एक ऐसे बैकग्राउंड से आती हूं। जहां मुझे सशक्तिकरण ही मिला है। रेनू उस वर्ग से आती है जो उसके लिए यह बहुत दूर का सपना है। शूटिंग के दौरान अपने आपको वैनिटी वैन में छोड़कर आती हूं। मैं यह सोचती हूं कि रेनू जिन परिस्थितियों से गुजर कर वहां तक पहुंची है, उसमें वो कैसे रिएक्ट करेगी? हम सब में एक रेनू और अंसारी है, जिसे हमने दबा कर रखा हुआ है।

अविनाश, दुनिया की सच्चाई को दिखाने की हिम्मत कहां से लेकर आते हैं?

दुनिया को साक्षी भाव से देखना बहुत जरूरी है। मैं चीजों को ऐसी नजरिए से देखता हूं, जिसे जज ना कर सकूं। जिस तरह से है, उसी तरह से दर्शाने की कोशिश करता हूं।

रियल लोकेशन पर शूटिंग के दौरान किस तरह की परेशानियां आती हैं?

इस बार तो बहुत सारे खूबसूरत लोकेशन और किरदार देखने को मिलेंगे। हर दिन की शूटिंग का बहुत ही खूबसूरत लम्हा रहा है। ऐसी कोई खास परेशानी नहीं आई। हमने जहां भी शूट किया लोगों का बहुत ही सहयोग मिला।



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