zakir hussain family shares first post from his instagram account after death | जाकिर हुसैन के निधन के बाद परिवार का पहला रिएक्शन: पत्नी ने पोस्ट पर लिखा- प्यार में हमेशा साथ रहना, 15 दिसंबर को हुआ था निधन
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zakir hussain family shares first post from his instagram account after death | जाकिर हुसैन के निधन के बाद परिवार का पहला रिएक्शन: पत्नी ने पोस्ट पर लिखा- प्यार में हमेशा साथ रहना, 15 दिसंबर को हुआ था निधन

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3 घंटे पहले

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विश्वविख्यात तबला वादक और पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन 15 दिसंबर यानी रविवार की रात को हो गया था। उनके निधन के बाद परिवार ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर की है। ये पोस्ट जाकिर हुसैन के इंस्टाग्राम अकाउंट से की गई है।

सुपुर्द-ए-खाक के बाद की पहली पोस्ट

इंस्टाग्राम पर एक ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर पोस्ट की गई है। इसमें जाकिर हुसैन, अपनी वाइफ एंटोनिया मिनेकोला, और बेटी अनीसा और इसाबेला के हाथ थामे नजर आ रहे हैं। इंस्टाग्राम पर पोस्ट शेयर करते हुए कैप्शन लिखा गया- ‘फॉरएवर टुगेदर इन लव।’

सैन फ्रांसिस्को में हुआ था निधन

पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन 15 दिसंबर को हो गया था। उनके निधन की खबर रविवार रात से आ रही थी, लेकिन परिवार ने इसकी पुष्टि सोमवार सुबह की थी। वे इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से जूझ रहे थे और दो हफ्ते से सैन फ्रांसिस्को के अस्पताल में भर्ती थे।

गुरुवार को किया गया सुपुर्द-ए-खाक

जाकिर हुसैन को गुरुवार को सैन फ्रांसिस्को के फर्नवुड कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया था। भारतीय समयानुसार जाकिर हुसैन को गुरुवार की रात 10:30 बजे सुपुर्द-ए-खाक किया गया था।

उस्ताद जाकिर हुसैन को 2023 में पद्म विभूषण सम्मान मिला

उस्ताद जाकिर हुसैन को 1988 में पद्मश्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। उन्हें 2009 में पहला ग्रैमी अवॉर्ड मिला था। 2024 में उन्होंने 3 अलग-अलग एल्बम के लिए 3 ग्रैमी भी जीते।

9 मार्च 1951 को मुंबई में जन्मे उस्ताद जाकिर हुसैन ने सिर्फ 11 साल की उम्र में अमेरिका में पहला कॉन्सर्ट किया था। 1973 में उन्होंने अपना पहला एल्बम ‘लिविंग इन द मटेरियल वर्ल्ड’ लॉन्च किया था। उस्ताद को 2009 में पहला ग्रैमी अवॉर्ड मिला। 2024 में उन्होंने 3 अलग-अलग ऐल्बम के लिए 3 ग्रैमी जीते। इस तरह जाकिर हुसैन ने कुल 4 ग्रैमी अवॉर्ड अपने नाम किए।

उनके पिता का नाम उस्ताद अल्लारक्खा कुरैशी और मां का नाम बावी बेगम था। उस्ताद अल्लारक्खा अपने समय के बेहद प्रसिद्ध तबला वादक थे। उन्होंने ही जाकिर को संगीत की शुरुआती तालीम दी। जाकिर हुसैन की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के माहिम स्थित सेंट माइकल स्कूल से हुई थी। उन्होंने ग्रेजुएशन मुंबई के ही सेंट जेवियर्स कॉलेज से किया था।

सपाट जगह देखकर उंगलियों से धुन बजाने लगते थे

जाकिर हुसैन के अंदर बचपन से ही धुन बजाने का हुनर था। वे कोई भी सपाट जगह देखकर उंगलियों से धुन बजाने लगते थे। यहां तक कि किचन में बर्तनों को भी नहीं छोड़ते थे। तवा, हांडी और थाली, जो भी मिलता, वे उस पर हाथ फेरने लगते थे।

​​​​​तबले को अपनी गोद में रखते थे जाकिर हुसैन

शुरुआती दिनों में उस्ताद जाकिर हुसैन ट्रेन में यात्रा करते थे। पैसों की कमी की वजह से जनरल कोच में चढ़ जाते थे। सीट न मिलने पर फर्श पर अखबार बिछाकर सो जाते थे। तबले पर किसी का पैर न लगे, इसलिए उसे अपनी गोद में लेकर सो जाते थे।

12 साल की उम्र में 5 रुपए मिले थे

जब जाकिर हुसैन 12 साल के थे, तब अपने पिता के साथ एक कॉन्सर्ट में गए थे। उस कॉन्सर्ट में पंडित रविशंकर, उस्ताद अली अकबर खान, बिस्मिल्लाह खान, पंडित शांता प्रसाद और पंडित किशन महाराज जैसे संगीत की दुनिया के दिग्गज पहुंचे थे।

जाकिर हुसैन अपने पिता के साथ स्टेज पर गए। परफॉर्मेंस खत्म होने के बाद जाकिर को 5 रुपए मिले थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने इस बात का जिक्र करते हुए कहा था- मैंने अपने जीवन में बहुत पैसे कमाए, लेकिन वे 5 रुपए सबसे कीमती थे।

ओबामा ने व्हाइट हाउस में कॉन्सर्ट के लिए न्योता भेजा था

अमेरिका में भी जाकिर हुसैन को बहुत सम्मान मिला। 2016 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में भाग लेने के लिए व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया था। जाकिर हुसैन पहले इंडियन म्यूजिशियन थे, जिन्हें यह इनविटेशन मिला था।

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