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- Lack Of Self confidence Increases The Fear Of Failure, How To Get Success In Life, Success And Happiness, Inspirational Story In Hindi
7 मिनट पहले
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लक्ष्य मुश्किल हो तो उस में असफलता मिलने की संभावनाएं बनी रहती हैं। जिस काम की शुरुआत में असफल होने का भय रहता है, वह काम और मुश्किल लगने लगता है। असफलता का भय दूर करने के लिए शास्त्रों की कथाओं से सीख ले सकते हैं। जानिए 5 ऐसी कथाएं, जिनमें सफल होने के सूत्र बताए गए हैं…
भ्रम के साथ शुरू न करें कोई काम
श्रीमद्भगवद्गीता में महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले अर्जुन भ्रम में फंसे हुए थे, वे सही-गलत समझ नहीं पा रहे थे। उस समय श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि किसी भी स्थिति में हमें भ्रम में नहीं फंसना चाहिए। अगर हम भ्रम में फंसे रहेंगे तो सफलता मिलना संभव नहीं है।
अर्जुन का भ्रम दूर करने के लिए श्रीकृष्ण ने गीता उपदेश दिया। श्रीकृष्ण की बातें सुनकर अर्जुन के सारे भ्रम दूर हो गए और फिर वे युद्ध के लिए तैयार हो गए।
सफल होना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें अपने सारे भ्रम दूर करना चाहिए। भ्रम के साथ काम करेंगे तो सफल नहीं हो पाएंगे।
आत्मविश्वास की कमी से बढ़ता है असफलता का डर
रामायण में हनुमान, अंगद, जामवंत और वानर सेना को मालूम हो गया था कि देवी सीता समुद्र पार रावण की लंका में हैं। इस बात की सच्चाई जानने के लिए किसी को लंका जाना था। उस समय अंगद ने कहा कि मैं समुद्र पार करके लंका जा तो सकता हूं, लेकिन वापस लौट आऊंगा, इसमें मुझे संशय है।
यहां अंगद ने आत्मविश्वास की कमी दिखाई और लंका जाने से मना कर दिया। इसके बाद जामवंत ने हनुमान जी को उनकी शक्तियां याद दिलाई और लंका जाने के लिए प्रेरित किया।
जामवंत की बातें सुनकर हनुमान जी आत्मविश्वास से भर गए और लंका जाने के लिए तैयार हो गए। बाद में हनुमान जी ने इतने मुश्किल काम को अपने आत्मविश्वास से कर दिखाया।
काम करने से पहले ही आत्मविश्वास कमजोर हो जाएगा तो सफलता हाथ से निकल जाएगी, इसलिए आत्मविश्वास कमजोर न होने दें। खुद पर भरोसा रखें।
असफलता से सीख लेकर आगे बढ़ें
महाभारत में युधिष्ठिर में जुआ (द्युत) खेलने की बुरी आदत थी। इस आदत की वजह से युधिष्ठिर दुर्योधन और शकुनी से सबकुछ हार गए, अपने भाइयों और द्रौपदी को भी दांव पर लगा दिया, इन्हें भी हार गए। युधिष्ठिर ने अपनी असफलता को स्वीकार किया और इससे सीख लेकर आगे बढ़े। इतना कुछ होने के बाद भी युधिष्ठिर ने धैर्य और धर्म नहीं छोड़ा। असफलता से मिली सीख की वजह से ही उन्होंने आगे के सभी निर्णय सही लिए, श्रीकृष्ण और भाइयों की मदद से कौरवों को युद्ध में पराजित किया।
असफल हो जाए तो निराश नहीं होना चाहिए। असफलता से सीख लें और आगे बढ़ें। किसी भी स्थिति में धैर्य और धर्म नहीं छोड़ना चाहिए। तभी सफलता मिल सकती है।